भूतिया अस्पताल, real ghost stories in hindi

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real ghost stories in hindi

भूतिया अस्पताल

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real ghost stories in hindi

मेरे दोस्तों ये बात मेरे नाना जी ने मुझे बताई थी , जो की आज मैं आप लोगो को बताने जा रहा हु. ये एक सच्ची घटना है. यहाँ पर आज भो रोने और बिलखने की आवाजे आती है. इस अस्पताल को आज से करीबन 350 साल पहले अंग्रेजो ने बनवाया था . उस अस्पताल के सामने एक कब्रिस्तान है . मेरे नाना जी ने मुझे बताया था कि आज से 70 साल पहले इस अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान एक लड़के की मौत हो गयी थी .

 

तब से उस लड़के की आत्मा उस अस्पताल में भटकती है . रात ढलते ही कोई भी इन्सान उस रास्ते से नहीं गुजरता है क्यूंकि उस लड़के की आत्मा राहगीरों को परेशान करती है . हालंकि मै नाना जी की बताई पुरानी भूतहा कहानियों में ज्यादा विश्वास नहीं करता था . एक रात मै अपने तीन दोस्तों दिनेश , विकास और आकाश के साथ रात को बाइक पर घूम रहे था तभी मेरे एक दोस्त ने मुझसे सरोज अस्पताल वाले रास्ते से चलने को कहा. हम में से कोई भी ज्यादा भूत प्रेतों पर विश्वास नहीं करते थे और हमने उस रास्ते से जाने का विचार किया था.

उस समय रात के 11 बज चुके थे . हम तीनो ने ये बात अपने परिवार वालो को नहीं बताने का वादा किया और उस रास्ते पर निकल पड़े . जैसे ही हम उस रास्ते से निकले रास्ते पर रेत होने की वजह से हमारी बाइक फिसल गयी और हम तीनो धडाम से बाइक से दूर गिर गए . गनीमत थी कि हम लोगो को कोई चोट नहीं आयी थी .बाइक चला रहे मेरे दोस्त दिनेश ने बोला कि उसका बैलेंस तो बराबर था फिर ये बाइक कैसे फिसल गयी . हालंकि वो थोडा डर गया था तो मेरे दुसरे मित्र आकाश ने बाइक चलाने को कहा .

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अब आकाश बाइक चला रहा था . हम 2 किमी ही चले थे कि अचानक हमारी गाडी का टायर पंचर हो गया और गाडी की स्पीड तेज़ होने से गाडी इस बार फिर पिछली बार से भी दूर तक फिसलती गयी . इस बार हमे कोहनियों और घुटनों परथोड़ी चोट आयी थी . दिनेश फिर से बोला कि इस जगह में जरुर कोई गडबड है . हम लोग वापस उल्टे चलते है . लेकिन मैंने और आकाश ने उसकी बात नहीं मानी और बाइक उठाकर पैदल चलना शुरू कर दिया. हम थोड़ी दूर ही चले थे कि अचानक किसी लड़के के चीखने की आवाज़े सुनाई दी .

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ये सुनकर हम रुक गए और दिनेश बोला यार तुम लोगो को चीखने की आवाज़ सुनाई दी क्या ?? हमने उसकी बातो को अनसुना कर कहा कि कोई जानवर की आवाज़ होगी . पांच मिनट चलने के बाद फिर वोही चीख फिर से सुनाई दी . इस बार तो हम दोनों को भी थोडा डर लगने लगा . हम तीनो ने वापस चलने के बारे में सोचा लेकिन हम रास्ते के बीच में आ गये थे . पीछे चलने में 3 किमी और आगे चलने में 2 किमी ओर बाकी थे . हम लोगो ने आगे जाने का सोचा.

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थोडा आगे चलने पर हमे बरगद के पेड़ के नीचे एक औरत दिखाई दी . इतनी रात को अकेली औरत को देखकर हमारे तो रौंगटे खड़े हो गये थे . हम लोगो ने पीछे मुड़ने का सोचा . तभी वो बुढी औरत चिल्लाई बेटा रुको मुझे हाईवे तक का रास्ता बता दो . हमने पूछा कि इतनी रात को आप इस रास्ते से कैसे निकल रही हो . तो उस बुढिया ने कहा कि मै पड़ोस के गाँव की रहने वाली और मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए मै पैदल ही निकल पडी , हाईवे के उस पार मेरा गाँव है . हमने उस बुढिया की बात का विश्वास कर लिया और आगे निकल पड़े .

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रास्ते में वो बुढिया हमसे सारी बाते पूछने लगी . बुढिया हम तीनो के पीछे चल रही थी हम तीनो दोस्त अब अपनी बात कर रहे थे . तभी आकाश बोला कि लो मांजी आपका रास्ता आ गया और वो जैसे ही पीछे मुड़ा तो वहा कोई नहीं था . हम तीनो की तो सिट्टी पिट्टी गुल हो गयी . हम बाइक को धक्का मारते हुए जोर से भागने लगे .भागते भागते दिनेश ठोकर खाकर गिर गया और हमे जोर से चीखे सुनाई दी .हमने भी बाइक को वही पटककर दिनेश को साथ लेकर दौड़ने लगे औ रअस्पताल के पास कब्रिस्तान तक पहुच गए .

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ये सब घटित होते 1 बज चुकी था. हम पसीने से तर बतर हो गए थे और कब्रिस्तान पार कर एक मंदिर में रुक गए क्यूंकि अगर बिना बाइक के घर जाते तो….? . इसलिए उस रात मंदिर में ही रुक गए और सुबह होते ही बाइक लेकर अपने अपने घर आ गये और घर वालो दोस्त के यहा रुकने का बहाना बना दिया .उस रात के बाद से हम उस रास्ते से कभी नहीं गए . मुझे आज भी सपनों में वो भूतिया बुढिया और चीखने की आवाज़े आती है . तो दोस्तों आपको मेरी ये सच्ची घटना कैसी लगी हमे जरूर बताये. ताकि मैं और इससे भी ज्यादा आपको रियल बाते शेयर कर स्कू.

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One thought on “भूतिया अस्पताल, real ghost stories in hindi”

  1. sorry to say but mai boor ho gya kahani read kr k koi mjja nhi aya

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