brahmarakshas story in hindi
Brahmarakshas story in hindi, हिमालय की पहाड़ियों मैं बहुत कुछ ऐसा छिपा हुआ है, जिसके बारे मैं आज भी बेहत से लोग अनजान है, क्योकि कुछ तो ऐसे है जो की अपने क्षेत्र से बहार ही नहीं निकले है या फिर जिस माहौल मैं वो आज तक रहते हुए आये है , वो उसे छोड़ना ही नहीं चाहते है. but जिसके बारे मैं, मैं आज आप लोगो को बताने जा रहा हु. वो बात संबधित है भ्रमराक्षस से. आज हम इसी से सम्बंधित आपको एक कहानी के बारे मैं बताने जा रहे है. जो की इस प्रकार है.
Brahmarakshas story in hindi : भ्रमराक्षस की कहानी
राधेशाम पंडित अपने चार अनुभवी, बहादुर friends के साथ हिमालय की यात्रा पर निकल गए. उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में कई हफ्ते बिताए और बहुत सारी अलौकिक, विस्मयभरी बातें, घटनाएँ देखीं. रोंगटे खड़ी कर देनी वाली यह घटना आज भी मेरे जेहन में वैसे ही मौजूद है जैसे मैंने उन पंडित से 30 35 वर्ष पहले सुन रखी है. पंडित ने बताया कि एक दिन वे बहुत ही सुबह अपने दोस्तों के साथ हिमालय के एक छोटे शिखर पर चढ़ रहे थे तो लगभग 500 मीटर की दूरी पर उन लोगों को एक बहुत ही विशाल मानव दिखाई दिया. Brahmarakshas story in hindi
उन्होंने जैसा कि अपने दादाजी से सुन रखा था कि हिमालय में विशाल मानव जिन्हें यति या हिममानव कहते हैं, घूमते रहते हैं. उन्हें उस विशाल मानव को देखकर बहुत ही कौतुहल हुआ और उन्होंने अपने दोस्तों से कहा कि हम लोग छिप छिपकर इस महामानव का पीछा करते हैं और इसके बारे में कुछ बातें पता करते हैं. फिर क्या था उस विशाल मानव का पीछा करने के चक्कर में ये लोग हिमालय की उस पहाड़ी पर कब बहुत ही ऊपर चढ़ गए और लगभग दोपहर भी हो गई, इन लोगों को पता ही नहीं चला.
वह विशाल मानव भी बहुत दूर होते होते कहीं गायब हो गया था या किसी गुफा में प्रवेश कर गया था. राधेशाम पंडित के एक साथी ने कहा कि हम लोग काफी ऊपर चढ़ आए हैं और काफी समय भी हो गया है. भूख भी सताने लगी है और अत्यधिक प्यास भी, साथ ही हम लोगों के पास न कुछ खाने को है और न ही पानी ही. फिर क्या था अब वे लोग उस पहाड़ी परपानी की तलाश में, कुछ खाद्य फलों की तलाश में आस पास भटकने लगे. अचानक उन लोगों को आभास हुआ कि वे लोग रास्ता भटक गए हैं, यह आभास होते ही सबकी साँस अटक गई. अब क्या किया जाए, किधर जाया जाए. एक पेड़ के नीचे वे लोग बैठकर भगवान से गुहार करनेलगे कि काश कोई आ जाए और उन्हें रास्ता दिखा दे. पर शायद वे लोग गलती से ऐसेक्षेत्र में प्रवेश कर गए थे, Brahmarakshas story in hindi
जहाँ किसी अन्य मनुष्य का नामो निशान नहीं लग रहा था.धीरे धीरे शाम भी होने लगी थी और प्यास भूख से इन लोगों का बहुत ही बुरा हाल होरहा था. दिमाग भी काम करना बंद कर दिया था. अब कोई चमत्कार ही इन्हें बचा सकता था.खैर इनके साथ ही इनके चारों साथी भी बहुत ही हिम्मती थे. उन लोगों ने आपस में एकदूसरे को हिम्मत और धैर्य बनाए रखने के लिए कहा. राधेशाम पंडित ने कहा कि हमें ईश्वर पर पूरा विश्वास है और जरूर हम लोग इस परेशानी से बाहर निकलेंगे. अचानक वहाँ बहुत ही भयानक और तीव्र हवा चली,
आस पास के छोटे छोटे पेड़ अजीब तरह से एक दूसरे से टकराए और एक विशाल भूतकाया प्रकट हो गई. वह काया देखने में तो इंसान जैसी ही थी पर आकार प्रकार में एकदम अलगजो उसके प्रेत होने की पुष्टि कर रही थी. राधेशाम जी और उनके साथी डरे नहीं अपितु हाथजोड़कर अभिवादन की मुद्रा में उस विशाल काया की ओर देखने लगे. राधेशाम जी और उनका कोई साथ कुछ बोले इससे पहले ही वह विशाल काया तड़प उठी. बहुत दिनों के बाद कुछ खाने को मिला है.
तुम लोगों का मैं शुक्रगुजार हूँ. इसके बाद उस विशाल काया ने कहा कि मुझसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है, Because मैं इस क्षेत्र में चाहकर भी किसी का नुकसान नहीं पहुँचा सकता. इसके बाद वह प्रेत काया वहाँ से जाए इससे पहले ही राधेशाम पंडित ने कहा कि हे भूतनाथ. हम लोग रास्ता भटक गए हैं, कृपया हमें नीचे तक बस्ती में जाने का मार्ग बताएँ. राधेशाम पंडित की बात सुनकर वह प्रेत पहले तो हँसा पर फिर अचानक गंभीर हो गया. उसने कहा कि मैं तो खुद ही भटक गया हूँ. सालों हो गए, इस क्षेत्र से निकलने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद ही नहीं निकल पा रहा हूँ. उसने आगे कहा कि मैं ब्राह्मण हूँ. बहुत पहले इस क्षेत्र में आया था. एक गुफा में एक संत की सेवा में लग गया था Because मुझे सिद्धियाँ प्राप्त करनी थीं. एक दिन मुझसे एक घिनौना अपराध हो गया. मैंने संतजी के समाधि में जाने के बाद धीरे से उठा और उस गुफे के बाहर आ गया. Brahmarakshas story in hindi
गुफे से बाहर आने के बाद अपनी थोड़ी सी शक्ति जो मुझे प्राप्त हुई थी उसके बल पर आस पास अपने तपोबल से नजर दौड़ाई. मुझे पास में ही किसी भूतनी के होने का आभास हुआ. मैंने अपनी शक्ति से उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे एक युवती में परिवर्तित कर दिया. मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे संत गुरुजी मेरे पास आ गए हैं.अचानक मुझे भान हुआ कि मेरे गुरुजी गुस्से में जल रहे हैं. मैं काँपने लगा और इशारे में उस भूतनी को भागने के लिए कहा. कुछ बोलूँ इससे पहले ही मेरे गुरुजी बोल होते, नीच ब्राह्मण. तूने ब्राह्मण का अनादर किया है. तूँ जीने का अधिकारी नहीं. मैं तूझे श्राप देता हूँ कि तूँ भी मनुष्य योनि त्यागकर प्रेत हो जा. गुरुजी के इतना कहते ही मेरा शरीर जलने लगा और मैं कुछ कर पाता इससे पहले ही मनुष्य योनि त्यागकर प्रेत योनि में आ गया था.
इसके बाद गुरुजी ने कहा कि तूँ आस पास के क्षेत्र में ही भटकता रहेगा और अपने किए की सजा भुगतता रहेगा और इतना कहकर गुरुजी गुफा में प्रवेश कर गए. फिर मैंने कई बार सोचा कि गुफा में जाकर अपने गुरु से क्षमा माँगू पर जब भी उस गुफा की ओर बढ़ने की कोशिश करता हूँ, शरीर जलने लगती है और कोई बड़ी शक्ति मुझे गुफा में प्रवेश नहीं करने देती. इसके बाद उस भ्रमराक्षस ने कहा कि शायद आप लोग गुफा में प्रवेश कर जाएँ. उसने कहा कि अगर आप लोग गुफा में प्रवेश कर जाएंगे तो आप लोगों की जान अवश्य बच जाएगी, Because गुफा में बहुत सारे सिद्ध, अतिसिद्ध संत रहते हैं, वे लोग अपने तपोबल से आप सबको नीचे बस्ती में पहुँचा सकते हैं. इसके बाद उस भ्रमराक्षस ने कहा कि निडर होकर मेरे साथ आइए, मैं गुफा का द्वार दिखाता हूँ.
फिर क्या था बिना कुछ बोले या दिमाग पर जोर डाले हम लोग उस प्रेत के पीछे हो लिए. कुछ दूर चलने के बाद हमें कुछ ऊँचाई पर एक गुफा की आकृति दिखी. उस प्रेत ने बताया कि थोड़ा ऊपर जो एक छेद दिख रहा है, आप लोग उससे गुफा में प्रवेश करने की कोशिश करें. हम सभी लोग उस प्रेत की बात सुनकर हतप्रभ हो गए. हम लोग कोई छोटे मोटे जीव, साँप, बिल्ली आदि हैं क्या कि इस पतले छेद से अंदर जा पाएंगे. शायद वह ब्रह्मप्रेत हमारे मन की बात जान गया. उसने अट्टहास किया औरबोला, अरे डरिए मत. यह अलौलिक द्वार है. अगर आप लोगों ने थोड़ा भी पुन्य किया है, या अच्छे इंसान होंगे तो इस पतले छेद के पास पहुँचकर प्रार्थना करने पर, नमस्कार करने पर यह छेद अपने आप आप लोगों को मार्ग दे यानी बड़ा चौड़ा हो जाएगा. हम दोस्तों ने इशारे ही इशारे में एक दूसरे की सहमति लेकर उस पतले छेद के पास पहुँचे. फिर क्या था, हम लोग झुककर उस छेद को प्रणाम किए. अरे यह क्या चमत्कार हो गया और वह पतला छेद एक बड़े आकार में बदल गया. Brahmarakshas story in hindi
हम लोगों ने उस प्रेत महानुभाव को नमस्कार व विदा करते हुए उस गुफा में प्रवेश कर गए. गुफा में और कुछ अंदर जाने पर अचानक इन लोगों को रुकना पड़ा. Because सामने से इन्हें जंगली हिंसक पशु आते हुए दिखाई दे रहे थे तो कभी उफनती नदी इन्हें बहा ले जाने का प्रयास कर रही थी तो कभी प्रज्ज्वलित आगे बढ़ती अग्नि इन्हें जलाने का पर यह सब माया जैसा ही लग रहा था Because न वे हिंसक पशु इन्हें नुकसान पहुँचा रहे थे और ना ही नदी इन्हें भिगो रही थी और ना ही अग्नि इन्हें जला रही थी. इस हिम्मती दल ने हिम्मत दिखाई और आगे बढ़ना जारी रखा. कुछ दूर और आगे जाने पर एक संत दिखे. जिनका शरीर दिव्य था. पूरे शरीर से आभा निकल रही थी,
मस्तक सूर्य जैसा चमक रहा था, चेहरे पर एक अतुल्य, रहस्यमय मुस्कान तैर रही थी और वे दिव्य संत धीरे धीरे चहलकदमी कर रहे थे. हम लोग सहम गए और हाथ जोड़कर जहाँ थे वहीं खड़े हो गए. फिर क्या हुआ कि उस दिव्य संत ने हमें और अंदर आने के लिए कहा और बिना कुछ बोले गुफा में एक तरफ बैठ जाने का इशारा किया. उस गुफा की सबसे रहस्य, अलौकिक बात यह थी कि जिस किसी को जितनी जगह चाहिए थी, वह अपने आप मिल जाती, बन जाती थी. अरे यह क्या, ज्योंही हम लोग बैठने लगे, पता नहीं कहाँ से हमारे बैठने वाली जगह पर खूबसूरत व आरामदायक बिस्तर बिछ गए. फिर उस संत की सौम्य आवाज सुनाई दी, मनुज श्रेष्ठ. लगता है कि आप लोग रास्ता भटक गए हैं और काफी देर से परेशान हैं. आप लोगों को भूख और प्यास भी खूब लगी है.
Brahmarakshas story in hindi
आप लोगों को रास्ता बताने से पहल हमारा यह भी कर्तव्य बनता है कि आप अतिथियों की सेवा करूँ. इतना कहने के बाद उस संतजी ने वहीं पास में उगी तुलसी माता के कुछ पत्तों को तोड़ा और हम पाँचों के सामने एक एक रख दिए. फिर क्या था, एक नया, रहस्यमयी चमत्कार. मिनटों नहीं लगे उस तुलसी पत्ते को थाली गिलास स्वादिष्ट व्यंजनों में तब्दील होने में. सब से अनोखी बात यह थी कि हम सबके थाली में अलग अलग व्यंजन थे यानि हमारे मन में उस समय जो खाने की इच्छा हो रही थी, उन्हीं व्यंजनों से हम लोगों की थाली भरी पड़ी थी. फिर क्या था उस दिव्य संत का आदेश मिलते ही हम लोगों ने छक छककर उस दिव्य प्रसाद का आनंद उठाकर पूरी तरह से तृप्त हो गए. तो इस तरह से आज हमने आप लोगो को भ्रमराक्षस के बारे मैं जानकारी दी है, हम आशा करते है की आपको ये कहानी (Brahmarakshas story in hindi) और ये जानकारी पसंद आएगी.
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