bhoot ki kahani
ताज नरसरी वाले भूत की कहानी
ये बात मेरे नाना जी ने मुझे बताई थी ताज नरसरी की. जो मैं अब आपको बताने जा रहा हु. मेरा गांव सहारनपुर मैं पड़ता है, जहा की ये बात है. हमारे गाँव से लगभग 2 किलोमीटर पर एक बहुत बड़ा बगीचा है जिसको हमारे गाँव वाले ताज नरसरी नाम से पुकारते हैं. यह लगभग 12 एकड़ में फैला हुआ है. इस बगीचे में आम और महुआ के पेड़ों की अधिकता है.
बहुत सारे पेड़ों के कट या गिरजाने के कारण आज यह ताज नरसरी अपना पहले वाला अस्तित्व खो चुकी है पर आज भी कमजोर दिलवाले व्यक्ति दोपहर या दिन डूबने के बाद इस ताज नरसरी की ओर जाने कीबात तो दूर इस का नाम उनके जेहन में आते ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आखिर क्यों. उस ताज नरसरी में ऐसा क्या है .
जी हाँ, तो आज से 25 साल पहले यह ताज नरसरी बहुत ही घनी और भयावह हुआ करती थी. दोपहर के समय भी इस ताज नरसरी में अंधेरा और भूतों का खौफ छाया रहता था. लोग आम तोड़ने या महुआ बीनने के लिए इस ताज नरसरी में जाया करते थे. हाँ इक्के-दुक्के हिम्मती लोग जिन्हे शिवजी पर पूरा भरोसा हुआ करता था वे कभी-कभी अकेले भी जाते थे. कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि रात को भूत-प्रेतों को यहाँ कबड्डी खेलते हुए देखा जा सकता था.
अगर कोई व्यक्ति भूला-भटककर इस बारी के आस-पास भी पहुँच गया तो ये भूत उसे भी पकड़कर अपने साथ खेलने के लिए मजबूर करते थे और ना-नुकुर करने पर जमकर धुनाई भी कर देते थे. तो आइए उस बगीचे की एक सच्ची घटना सुनाकर अपने रोंगटे खड़े करलेता हूँ.
उस बगीचे में मेरे भी बहुत सारे पेड़ हुआ करते थे. एक बार हमारे नाना जी ने आम के मौसम में आमों की रखवारी का जिम्मा गाँव के ही एक व्यक्ति को दे दी थी. लेकिन कहीं से नाना जी को पता चला कि वह रखवार ही रात को एक-दो लोगों के साथ मिलकर आमतोड़ लेता है. रात को खा-पीकर एक बैटरी लेकर हमारे नाना जी उस भयानक और भूतों के साम्राज्य वाले बारी में पहुँचे. उनको कोने वाला पेड़ के नीचे एक व्यक्ति दिखाई दिया.
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नाना जी को लगा कि यही वह व्यक्ति है जो आम तोड़ लेता है. नाना जी ने आव देखा न ताव; और उस व्यक्ति को पकड़ने के लिए लगे दौड़ने. वह व्यक्ति लगा भागने. नाना जी उसे दौड़ा रहे थे और चिल्ला रहे थे कि आज तुमको पकड़कर ही रहुँगा. भाग; देखता हूँ कि कितना भागता है. अचानक वह व्यक्ति उस बारी में ही स्थित एक बर के पेड़ के पास पहुँचकर भयंकर और विकराल रूप में आ गया.
उसके अगल-बगल में आग उठने लगी. अब तो हमारे नाना जी को ठकुआ मार गया. उनका शरीर काँपने लगा, रोएँ खड़े होगए और वे एक दम अवाक हो गए. अब उनकी हिम्मत जवाब देते जा रही थी और उनके पैर ना आगे जा रहे थे ना पीछे. लगभग 3 मिनट तक बेसुध खड़ा रहने के बाद थोड़ी-सी हिम्मत करके शिव चालीसा का पाठ करते हुए वे धीरे-धीरे पीछे हटने लगे.
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जब वे घर पहुँचे तो वे बहुत ही सहमे हुए थे. तीन-चार दिन बिस्तर पर पड़े रहे तब जाकर उनको आराम हुआ. उस साल हमारे नाना जी ने फिर अकेले उस ताज नरसरी की ओर न जाने की कसम खाली. मेरे नाना जी के द्वारा सुनाई गयी ये बात आपको किस तरह के भूत की याद दिलाती है. क्या आपको भी लगता है की भूत होते है, अगर हां तो मुझे जवाब जरूर दे. ताकि मैं और भी ऐसे किस्से आप लोगो तक पंहुचा सके.
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