real horror stories in hindi
मिटटी मैं धसे भूतो की कहानी
real horror stories in hindi, दोस्तों आपको तो पता ही होगा की भूत अनेको प्रकार के होते है. आज मैं भूतों की जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो बुड़ुआ के बारे में है. जब कोई व्यक्ति किसी कारण बस पानी में डूबकर मर जाता है तो वह बुड़ुआ बन जाता है. बुड़ुआ बहुत ही खतरनाक होते हैं पर इनका बस केवल पानी में ही चलता है वह भी डूबाह भर पानी में.
हमारे तरफ गाँवों में जब खटिया में बहुत ही खटमल पड़ जाते हैं और खटमलमार डालने के बाद भी वे नहीं मरते तो लोगों के पास इन रक्तचूषक प्राणियों से बचने का बस एक ही रास्ता बचता है और वह यह कि उस खटमली खाट को किसी तालाब, गड्ढा आदि में पानी में डूबो दिया जाए.
जब वह खटमली खाट 3-4 दिन तक पानी में ही छोड़ दी जाती है तो ये रक्तचूषक प्राणी या तो पानी में डूबकर मर जाते हैं या अपना रास्ता नाप लेते हैं और वह खाट पूरी तरह से खटमल-फ्री हो जाती है. एक बार की बात है कि हमारे गाँव के ही एक शर्मा जी एक गड्ढे में अपनी बाँस की खाट को खटमल से निजात पाने के लिए डाल आए थे.
बरसात के मौसम की अभी शुरुवात होने की वजह से इस गड्ढे में जाँघभर ही पानी था. यह गड्ढा गाँव के बाहर एक ऐसे बड़े बगीचे के पास है जिसमें बहुत सारी झाड़ियाँ उग आई हैं और इसको भयावह बना दी हैं साथ ही साथ यह गड्ढा भी बरसात में चारों ओर से मूँज आदि बड़े खर-पतवारों से ढक जाता है. दो-तीन दिन के बाद वे शर्मा जी अपनी बँसखट (बाँस की खाट) को लाने के लिए उस गड्ढे की ओर बढ़े.
लगभग साम के 5 बज रहे थे और कुछ चरवाहे अपने पशुओं को लेकर गाँव की ओर प्रस्थान कर दिए थे पर अभी भी कुछ छोटे बच्चे और एक-दो महिलाएँ उस गड्ढे के पास के बगीचे में बकरियाँ आदि चरा रही थीं. ऐसी बात नहीं है कि वे शर्मा जी बड़े डरने वाले हैं. वे तो बड़े ही निडर और मेहनती व्यक्ति हैं. रात-रात को वे अकेले ही गाँव से दूर अपने खेतों में सोया करते थे, सिंचाई किया करते थे. पर पता नहीं क्यों उस दिन उस शर्मा जी के मन में थोड़ा भय व्याप्त था. अभी पहले यह कहानी पूरी कर लेते हैं फिर शर्मा जी से ही जानने की कोशिश करेंगे कि उस दिन उनके मन में भय क्यों व्याप्त था.
उस गड्ढे के पास पहुँचकर जब शर्मा जी अपनी बाँस की खाट निकालने के लिए पानी में घुसे तो अचानक उनको लगा की कोई उनको पानी के अंदर खींचने की कोशिश कर रहा है पर वे तब तक हाथ में अपनी खाट को उठा चुके थे. अरे यह क्या इसके बाद वे कुछ कर न सके और न चाहते हुए भी थोड़ा और पानी के अंदर खींच लिए गए. अभी वे कुछ सोंचते तभी एक बुड़ुआ चिल्लाया, “अरे तुम लोग देखते क्या हो टूट पड़ो नहीं तो यह बचकर निकल जाएगा और अब यह अकेले मेरे बस में नहीं आ रहा है.” हम इसको कैसे पकड़े, इसके कंधे से तो जनेऊ झूल रहा है.” इतना सुनते ही जो बुड़ुआ शर्मा जी से हाथा-पाई करते हुए उन्हें पानी में खींचकर डूबाने की कोशिश कर रहा था
वह फौरन ही हाथ बढ़ाकर उस शर्मा जी के जनेऊ को खींचकर तोड़ दिया. जनेऊ टूटते ही लगभग आधा दरजन बुड़ुआ जो पहले से ही वहाँ मौजूद थे उस शर्मा जी पर टूट पड़े. अब शर्मा जी की हिम्मत और बल दोनों जवाब देने लगे और बुड़ुआ बीस पड़ गए. बुड़ुआओं ने शर्मा जी को और अंदर खींच लिया और उनको लगे वहीं पानी में धाँसने. शर्मा जी और बुड़ुआओं के बीच ये जो सीन चल रहा था वह किसी बकरी के चरवाहे बच्चे ने देख लिया और चिल्लाया की बीरेंदर बाबा पानी में डूब रहे हैं. अब सभी बच्चे चिल्लाने लगे तबतक बुड़ुआओं ने शर्मा जी को उल्टाकर के कींचड़ में उनका सर धाँस दिया था और धाँसते ही चले जा रहे थे. पानी के ऊपर अब रह-रहकर शर्मा जी का पैर ही कभी-कभी दिखाई पड़ जाता था.
बच्चों की चिल्लाहट सुनकर तभी हमारे गाँव के भोपाल सिंह वहाँ आ गए और एक-आध बड़े बच्चों के साथ गड्ढे में घुस गए. गड्ढे में घुसकर उन्होंने अचेत शर्मा जी को बाहर निकाला. शर्मा जी के मुँह, कान, आँख और सर आदि में पूरी तरह से कीचड़ लगी हुई थी. अबतक आलम यह था कि हमारा लगभग आधा गाँव उस गड्ढे के पास जमा हो गया था. आनन-फानन में उस शर्मा जी को नहलाया गया और खाट पर सुलाकर ही घर लाया गया. कुछ लोगों को लग रहा था कि शर्मा जी अब बचेंगे नहीं पर अभी भी उनकी साँस चल रही थी. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर आ चुके थे और शर्मा जी का इलाज शुरु हो गया था. दो-तीन दिन तक शर्मा जी घर में खाट पर ही पड़े रहे और अक-बक बोलते रहे.
20-25 दिन के बाद धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हुआ पर उनकी निडरता की वजह से उन पर इन दिनों में भूतों का छाया तो रहा पर कोई भूत उनपर हाबी नहीं हो पाया. आज अगर कोई उस शर्मा जी से पूछता है कि उस दिन क्या हुआ था तो वे बताते हैं कि दरअसल इस घटना के लगभग एक हप्ते पहले से ही कुछ भूत उनके पीछे पड़ गए थे क्योंकि वे कई बार गाँव से दूर खेत-बगीचे आदि में कलावा आदि करते थे, इस कारण वो भूतो दूर रहते है,
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Story kuch khas nai hai…..Maine bhot sari bhuto ki khani lash padhi hai…pir ye uke jaise khi v nhi taharti…..khani much air v badhiya ho sakti h…much air v kjaniya honi chahiye…khaniyo ki sankhya bhot kum h
Bhuto ki khaniya padh our humarr und r due ho Jana chahiye pur ye khaniya push kur thora v due nhi lugta h….air khaniya datawni v nhi h….koi koi khani acchi h Jo duratee h…pur adiktur khani thorax v nhi furati h….khaniya bhot kum h…khaniyo ki sankhya much air v honi cjahiye…bhuto ki khani Kaiser post kure aapke site pur kipya ye v butaye…kinke dwara posted h ye v butaye…mere dwara padhi gai kahaniya mujhe tik hi lagi pur kuch air darawani kahaniya Joni chahiye…