Real haunted stories in hindi
माधव की आत्मा
ये कहानी जो मैं आपको सुनाने जा रहा हु, ये लगभग 50 से 60 साल पुरानी कहानी है. इस कहानी मैं हम ये बतायेगे की माधव कैसे भूत बना और क्यों भूत बना. माधव हमारे गाँव के ही रहने वाले थे और जब उन्होंने अपने इस शरीर का त्याग किया उस समय उनकी उम्र लगभग 10 से 11 वर्ष रही होगी. वे बहुत ही महंती लड़के थे. पढ़ने में तो बहुत कम रूचि रखते थे लेकिन घर के कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. जानवरो को चारा देने से लेकर उनको चराने, नहलाने, गोबर आदि करने का काम वे बखूबी किया करते थे.
वे खेती किसानी में भी अपने घरवालों का हाथ बँटाते थे. उनका घर एक बड़े पोखरे के किनारे था. यह पोखरा गरमी में भी सूखता नहीं था और जब भी माधव को मौका मिलता इस पोखरे में डुबकी भी लगा आते. दरवाजे लेकिन पोखरा होने का फायदा माधव ने छोटी ही उम्र में उठा लिया था और एक कुशल तैराक बन गए थे. आज गाँव वालों ने इस पोखरे को भरकर घर-खलिहान आदि बना लिया है.
एक समय की बात है की गरमी पड़ रही थी और सूर्य देव अपने असली रूप में तप रहे थे. ऐसा लग रहा था कि वे पूरी धरती को तपाकर लाल कर देंगे. ऐसे दिन में खर खर दोपहर का समय था और माधव रात में सानी पानी करने के बाद भैंस को खूँटे से खोलकर रात लेकिन बाँधने के लिए आगे बढ़े. भैंस भी अत्यधिक गरमी से परेशान थी. भैंस का पगहा खोलते समय माधव ने बचपने में भैंस का पगहा अपने हाथ में लपेट लिए.
जब माधव भैंस को लेकर रात की तरफ बढ़े तभी गरमी से बेहाल भैंस पोखरे की ओर भागी. माधव भैंस के अचानक पोखरे की ओर भागने से संभल नहीं सके और वे भी उसके साथ तेजी में खींचे चले गए. भैंस पोखरे के बीचों बीच में पहुँचकर लगी खूब डूबने लेने. चूँकि पोखरे के बीचों बीच में माधव के लम्बाई के तिगुना पानी था और बार-बार भैंस के बोह लेने से उन्हें साँस लेने में परेशानी होने लगी और वे उसी में डूब गए. हाथ बँधा और घबराए हुए होने की वजह से उनका तैरना भी काम नहीं आया.
4-5 घंटे तक भैंस पानी में बोह लेती रही और यह अभाग्य ही कहा जाएगा कि उस समय किसी और का ध्यान उस पोखरे की ओर नहीं गया. उनके घरवाले भी निश्चिंत थे क्योंकि ऐसी घटना का किसी को अंदेशा नहीं था. 4-5 घंटे के बाद जब भैंस को गरमी से पूरी तरह से राहत मिल गई, जब भैंस लगभग पोखरे के किनारे पहुँच गई तो किसा व्यक्ति का ध्यान भैंस की ओर गया और वह चिल्लाना शुरु किया. उस व्यक्ति की चिल्लाहट सुनकर आस-पास के बहुत सारे लोग जमा हो गए. लेकिन यह जानकर वहाँ शोक पसर गया कि कर्मठी माधव अब नहीं रहा. भैंस ने अपनी गरमी शांत करने के लिए एक निर्बोध बालक को मौत के मुँह में भेज दिया था.
इस घटना को घटे जब लगभग 7-8 साल बीत गए तो लोगों को उस पोखरे में भूत का एहसास होने लगा. गाँव में यह बात तेजी से फैल गई कि अब माधव जवान हो गया है और लोगों लेकिन हमला भी करने लगा है. आज वह पोखरा समतल हो गया है, उस घर खलिहान आदि बन गए हैं लेकिन जब तक उसमें पानी था तब तक माधव उस पोखरे में अकेले नहाने वाले कई लोगों लेकिन हमला कर चुका था. एक बार तो वह एक आदमी को खींचते हुए पानी के अंदर भी लेकर चला गया था लेकिन संयोग से किसी महिला की नजर उस पड़ गई और उसकी चिल्लाहट सुनकर कुछ लोगों ने उस व्यक्ति की जान बचाई. आपको ये कहानी किसी लगी प्लेज़ हमे जरूर बताये.
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