Bhoot ki kahani in hindi
Bhoot ki kahani in hindi, भूत भगाने वाले बाबा की हिंदी कहानी, यह कहानी आपको पसंद आएगी, इस कहानी में कुछ ऐसा पता चलता है की दुनिया में कुछ ऐसा भी है जो हमे पता नहीं है, आज मैं आपको अपने साथ घटित एक सच्ची कहानी के बारे मैं बताने जा रहा हु, भूतो को भागने वाले बाबा की. मेरा नाम आदेश त्यागी है. एक बार की बात है, मैं जब 10 साल का था, तब मुझे भूत प्रेतों से बहुत डर लगता था, आप लोगो को पता है, आज कल लोग भूत प्रेतों पर विश्वाश नहीं करते but मैं जरूर करता हूँ,
भूत भगाने वाले बाबा की हिंदी कहानी : bhoot ki kahani in hindi
जैसा की आप लोग जानते हो की भूत का नाम सुनते ही लोगो के रोंगटे खड़े हो जाते, चलो अब असली बात पर आते है, एक बार की बात है, मैं एक बार सो रहा था, तब मेने एक डरवना सपना देखा, और मैं डर के उठ खड़ा हो गया, मेरी चीख निकल गयी और घर के सारे लोग जाग गए, तब मुझे मेरी मम्मी ने पूछ क्या हो गया, मेने कहा मैंने भूत को देखा, मम्मी बोली नहीं कोई भूत नहीं होते, वो तो पुराने ज़माने मैं हुआ करते, मैं अब भी डरा हुआ था. Bhoot ki kahani in hindi
तब मम्मी ने मुझे समझाया और तब मैं सो गया जब मैं सुबह जगा, तब मैंने रात की बात अपनी मम्मी से पूछी तब मम्मी ने मुझे मेरे दादा जी के साथ हुई एक घटना के बारे मैं बताया की तेरे दादी ने मुझे बताया था, की एक बार तेरे दादाजी, दोस्तों एक बात और बता दूं की पहले रास्ते ऐसे ही कच्चे होते थे और लोगो को पैदल ही सफ़र करना पड़ता था, एक बार मेरे दादा जी को उनकी बहन के ससुराल जाना पड़ा, उन्हें खबर मिली की उनकी बहन के ससुर चल बसे हैं, इसलिए उन्हें रात मैं ही निकलना पडा, और वो सुबह के २ बजे निकल पड़े, गांव से तीन चार मील दूर एक पीपल का पेड़ था, कुछ लोग बताते रहते की उस पेड़ पर भूत रहता है. दादाजी ने सोचा की जो होगा देखा जायेगा, जाना उसी रास्ते से था वो जब उस पीपल के पेड़ के पास पहुंचे तो देखते हैं की पीपल का पेड़ बहुत जोर जोर से हिल रहा है. Bhoot ki kahani in hindi
साथ मैं तरह तरह की आवाजे आ रही थी, साथ ही पास मैं शियार के रोने की आवाजे आ रही थी, दादा जी पहले तो एक दम रुक गए देखते क्या है, कि एक बड़ा सा भूत उनके सामने खड़ा था, उसके बड़े बड़े दांत यह भयानक चेहरा दादा जी पहले तो थोडा डरे, फिर उन्होंने पुछा कि कौन है, भूत ने भी यही पुछा कि कौन है दादाजी ने कहा कि पहले मेने पुछा है, कि कौन है तब भूत ने कहा कि मैं भूत हूँ ,तब दादा जी ने कहा भाई तुम भूत तो मैं क्या करूँ, मेरे सामने से हट जा मुझे जाने दे, भूत बोला क्योँ जाने दूं, पहले मुझ से लड़ाई करो दादा जी बोले लड़ना है, तो अभी मुझे जाने दे मुझे दुसरे गांव मैं जाना ,है उधर से लौटूंगा तब लड़ना भूत ने कहा देख तेरे को आज छोड़ रहा हूँ, but आगे से सोच समझ के रात को निकला करो.
भूत कि इस तरह कि बातों से पता चला, कि वो उसे जाने क्योँ दे रहा हे, क्यों कि चार बज गए थे, और दोस्तों आपको पता है कि चार बजे से ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाता हे, और गांव के लोगो का मानना है कि ब्रह्म मुहूर्त मैं गाँव के भूमियाँ बाबा का पहरा होता है, और वो गांव का पहरा देते है, उस पीपल से थोड़ी दूर पर ही एक गांव है, दोस्तों बाबा भूमियाँ बहुत ही अच्छे है, एक बार प्रेम से बोलिए रामपुर वाले भूमियाँ वाले बाबा कि जय, उस वक़्त उसी भूमियाँ बाबा का रास्ते से जाना था और उनके घंटे कि आवाज भी सुने दे रही थी, उस आवाज को सुन कर भूत समझ गया, कि आज इसे छोड़ देता हूँ नहीं तो मेरी खेर नहीं, उसी वक़्त दादा जी के ध्यान में आया कि यहाँ तो पास गांव के गाँव के भूमियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं, तभी उन्होंने बोला जय भूमिया वाले बाबा कि जय, उसी वक़्त वहां भूमिया बाबा नीली घोड़ी पर बैठ के आ पहुंचे, और उन्हें पास देखते ही भूत भागा खेतों मैं फिर वो दिखाई नहीं दिया, बस खेतों मैं आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी.
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उस वक़्त दादाजी ने देखा कि ऊपर से नीचे तक सफ़ेद कपडे पहने हुआ और घोड़ी पर बैठे हुए भूमियाँ बाबा को प्रणाम किया, और बोला है बाबा अगर आज आप नहीं होते, तो जाने क्या होता बाबा ने कहा तुम कौन हो और कहाँ जा रहे हो, तब बाबा ने बताया कि मैं पास के गांव मैं रहता हूँ मेरी बहन के ससुर चल बसे हैं, इसलिए मुझे रात मैं ही निकलना पड़ा, तब भूमियाँ बाबा ने उन्हें कहा चल मैं तुझे रास्ते कि नदी पार करवा के आता हूँ, तब भूमियाँ बाबा पीछे पीछे और मेरे बाबा आगे आगे चल दिए, जब वो नदी के पास पहुंचे तो क्या देखते हैं, कि नदी के पास चार पांच लोगो कि आवाज सुनाई दे रही है, और वो बात कर रहे थे कि कोई आ रहा है, उनमे से एक ने कहा चलो अपने दो साथी और बन जायेंगे आज देखते क्या है कि एक एक करके वो सारे नदी मैं धमाक धमाक कूद गए, दादाजी फिर समझ गए के सारे भी भूत थे, भाई पानी मैं रहने वाले भूतों को बुढुआ भूत कहते है जो लोग डूब कर मर जाते है उन्हें बुढुआ भूत बोलते है.
ऐसे भूत तुम्हे बस पानी मैं डुबो कर मार सकते हैं, वो सब भूमियाँ बाबा के डर के मारे भाग गए थे, तब बाबा ने कहा कि इस टाइम नदी बहुत चढ़ी हुई है, तुम ऐसा करो कि अपनी आखें बंद करो, दादाजी ने जैसे ही आँखें बंद करी तो क्या देखते हैं, कि वो नदी के उस पार खड़े हुए है और न हीं उनके पैर गीले हैं, तब भूमियाँ बाबा ने कहा कि तुम अब जाओ मेरे जाने का टाइम हो गया है, तब बाबा ने जैसे उनको हाथ जोड़ कर प्रणाम किया, और वो अंतर्ध्यान हो गए, प्रेम से बोलिए रामपुर वाले भूमिया बाबा कि जय तब मेरे बाबा गांव पहुंचे, तब वहां सब लोग जाग रहे थे, Bhoot ki kahani in hindi
वहां पर वो भी बैठा था, जो नाव से नदी पार करवाता था, तब उसने देखा कि मेरे दादा जी के न तो पैर गीले है, न कपडे और इतनी जोर से चल रही नदी कैसे पार की, तब उसने पुछा भाई तुम इतनी दूर से रात मैं तो आ गए, पर मेने तो अभी नाव भी नहीं डाली, तुम ने नदी कैसे पार की तब दादाजी ने सब हाल कह सुनाया, तब वहां के लोगो मैं भी वहां के भूमियाँ वाले बाबा प्रति इतना लगाव हो गया, की उनके नाम लिए बिना कोई कुछ काम नहीं करता. आपको मेरी ये भूत भागने वाले बाबा की कहानी कैसी लगी जरूर बताये. भूत भगाने वाले बाबा, Bhoot ki kahani in hindi, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आप इसे शेयर भी कर सकते है, और हमे भी बता सकते है,
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