bhangarh fort story in hindi
भानगढ़ मैं बस्ते है भूत
bhangarh ka kila, दोस्तों आज मैं आप लोगो को भानगढ़ के किले के खंडहरों बारे मैं बताने जा रहा हु. जहा पर आज भी भूतो का वास् कायम है और जो भी रात को एकेले मैं इन खंडहरों मैं जाता है, वो कभी भी सही सलामत वपिस नहीं आता है. तो अब बताते है आपको इस किले की सच्चाई के बारे मैं. राजस्थान के अलवर जिले में एक किला बहुत ही प्रसिद्ध है जो भूतहा किला माना जाता है.
भानगढ़ का किला चार दीवारी से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं. सामने बाजार है जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनाई गई दोमंजिली दुकानों के खंडहर हैं. भानगढ़ के खंडहरों को भले ही भूतों का डेरा मान लिया गया हो मगर किले की गलियों में कभी जिंदगी मचला करती थी. किले के अंदर बनाए गए बाजार, खूबसूरत मंदिरों, भव्य महल के अवशेष राजावतों के वैभव का बयान करते हैं.
लेकिन जहां घुंघरुओं की आवाज गूंजा करती थी वहां अब शाम ढलते ही एक रहस्यमय सन्नाटा छा जाता है. दिन में भी आसपास के गांवों के कुछेक लोग ही इन खंडहरों में दिखाई देते हैं. भानगढ़ में भूतों को किसी ने भी नहीं देखा. फिर भी इसकी गिनती देश के सबसे भुतहा इलाकों में की जाती है. इस किले के रातों रात खंडहर में तब्दील हो जाने के बारे में कई कहानियां मशहूर हैं. इन किस्सों का फायदा कुछ बाबा किस्म के लोग उठा रहे हैं, मगर इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है.
भानगढ़ के बारे में जो किस्से सुने जाते हैं उनके मुताबिक इस इलाके में हरदेव नाम का एक तांत्रिक रहता था. उसका दिल भानगढ़ की राजकुमारी कलावती पर आ गया जिसकी सुंदरता के चर्चे बहुत ही ज्यादा थे.. एक दिन तांत्रिक ने राजकुमारी की एक दासी को बाजार में खुशबूदार तेल खरीदते देखा. हरदेव ने तेल पर टोटका कर दिया ताकि राजकुमारी उसे लगाते ही तांत्रिक की ओर खिंची चली आए.
लेकिन शीशी कलावती के हाथ से फिसल गई और सारा तेल एक बड़ी चट्टान पर गिर गया. अब चट्टान को ही तांत्रिक से प्रेम हो गया और वह हरदेव की ओर लुढकने लगा. चट्टान के नीचे कुचल कर मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि मंदिरों को छोड़ कर समूचा किला जमींदोज हो जाएगा और राजकुमारी समेत भानगढ़ के सभी बाशिंदे मारे जाएंगे. आसपास के गांवों के लोग मानते हैं कि हरदेव के शाप की वजह से ही किले के अंदर की सभी इमारतें रातों रात ध्वस्त हो गईं.
उनका विशवास है कि कलावती और भानगढ़ के बाकी निवासियों की रूहें अब भी किले में भटकती हैं और रात के वक्त इन खंडहरों में जाने की जुर्रत करने वाला कभी वापस नहीं आता. सूरज ढलने के बाद और उसके उगने से पहले किले के अंदर घुसने पर पाबंदी लगा रखी है. दिन में भी इसके अंदर खामोशी पसरी रहती है. कई लोगो का कहना है कि खंडहरों के बीच से गुजरते हुए उन्हें अजीब सी बेचैनी महसूस हुई. जिससे वातावरण और भी रहस्यमय लगने लगता है. लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो भानगढ़ के भुतहा होने के बारे में कहानियों पर यकीन नहीं करते. नजदीक के कस्बे के प्रेम सिंह का अक्सर इस किले की ओर आना होता है. उन्होंने कहा,
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‘‘मुझे इसमें कुछ भी रहस्यमय दिखाई नहीं देता. किले में रात में घुसने पर पाबंदी तो लकड़बग्घों, सियारों और चोर – उचक्कों की वजह से लगाई गई है जो किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. बाकी इमारतों के ढहने और मंदिरों के सलामत रहने के बारे में भी प्रेम सिंह के पास ठोस तर्क है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के हाथों में जाने से पहले भानगढ़ के किले को काफी नुकसान पहुंचाया गया. मगर देवी – देवताओं से हर कोई डरता है इसलिए मंदिरों को हाथ लगाने की हिम्मत किसी की भी नहीं हुई. यही वजह है कि किले के अंदर की बाकी इमारतों की तुलना में मंदिर बेहतर हालत में हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने किले के अंदर मरम्मत का कुछ काम किया है. लेकिन निगरानी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण इसके बरबाद होने का खतरा बना हुआ है.
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किले में भारतीय पुरातत्व सवेक्षण का कोई दफ्तर नहीं है. दिन में कोई चौकीदार भी नहीं होता और समूचा किला बाबाओं और तांत्रिकों के हवाले रहता है. वे इसकी सलामती की परवाह किए बिना बेरो कटोक अपने अनुष्ठान करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि भानगढ़ के किले के अंदर मंदिरों में पूजा नहीं की जाती. जोगिनाथ मंदिर में तो कोई मूर्ति भी नहीं है. तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए अक्सर उन अंधेरे कोनों और तंग कोठरियों का इस्तेमाल किया जाता है जहां तक आम तौर पर लोगो की पहुंच नहीं होती. किले के बाहर पहाड़ पर बनी एक छतरी तांत्रिकों की साधना का प्रमुख अड्डा बताई जाती है. इस छतरी के बारे में कहते हैं कि तांत्रिक हरदेव वहीं रहा करता था.
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भानगढ़ के गेट के नजदीक बने मंदिर के पुजारी ने इस बात से इनकार किया कि किले के अंदर तांत्रिक अनुष्ठान चलते हैं. लेकिन इस सवाल का उसके पास कोई जवाब नहीं था कि खंडहरों के अंदर दिखाई देने वाली सिंदूर से चुपड़ी अजीबोगरीब शक्लों वाली मूर्तियां कैसी हैं. किले में कई जगह राख के ढेर, पूजा के सामान, चिमटों और त्रिशूलों के अलावा लोहे की मोटी जंजीरें भी मिलती हैं जिनका इस्तेमाल संभवत उन्मादग्रस्त लोगों को बांधने के लिए किया जाता है. किसी मायावी अनुभव की आशा में भानगढ़ जाने वाले लोगो को ना उम्मीदी ही हाथ लगती है. मगर राजपूतों के स्थापत्य की बारीकियों को देखना हो तो वहां जरूर जाना चाहिए. किले के अंदर बरगद के घने पेड़ और हरीभरी घास पिकनिक के लिए दावत देती है.
लेकिन अगर आप वहां चोरी से भूतों के साथ एक रात गुजारने की सोच रहे हों तो जान लें कि भूत भले ही नहीं हों, जंगली जानवर और कुछ इंसान खतरनाक हो सकते हैं. इस किले में प्रवेश करने वाले लोगों को पहले ही चेतावनी दे दी जाती है कि वे सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात् इस इस किले के आस पास समूचे क्षेत्र में प्रवेश ना करं अन्यथा किले के अन्दर उनके साथ कुछ भी भयानक घट सकता है. ऐसा कहा जाता है कि इस किले में भूत प्रेत का बसेरा है, जयपुर और अलबर के बीच स्थित राजस्थान के भानगढ़ के इस किले के बारे में वहां के स्थानीय लोग कहते हैं कि रात्रि के समय इस किले से तरह तरह की भयानक आवाजें आती हैं और साथ ही यह भी कहते हैं कि इस किले के अन्दर जो भी गया वह आज तक वापस नहीं आया है,लेकिन इसका राज क्या है आज तक कोई नहीं जान पाया.
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भानगढ़ एक गुरु सोमनाथ सिंह द्वारा एक शापित स्थान है जिन्होंने इसके मूल निर्माण की मंज़ूरी दी थी लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी थी कि महल की ऊंचाई इतनी रखी जाये कि उसकी छाया उनके ध्यान स्थान से आगे ना निकले अन्यथा पूरा नगर ध्वस्त हो जायेगा , लेकिन राजवंश के राजा ने गुरु सोमनाथ सिंह की इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया और उस महल की ऊंचाई बढ़ा दी जिससे की महल की छाया ने गुरु सोमनाथ सिंह के ध्यान स्थान को ढंक लिया और तभी से यह महल शापित हो गया. एक अन्य कहानी के अनुसार राजकुमारी कलावती जिसकी खूबसूरती का राजस्थान में कोई नहीं था.जब वह विवाह योग्य हो गई तो उसे जगह जगह से रिश्ते की बात आने लगी.
एक दिन एक तांत्रिक की नज़र उस पर पड़ी तो वह उस पर जादू करने की योजना बना बैठा और राजकुमारी के बारे में जासूसी करने लगा. एक दिन उसने देखा कि राजकुमारी का नौकर राजकुमारी के लिए इत्र खरीद रहा है, तांत्रिक ने अपने काले जादू का मंत्र उस इत्र की बोतल में दाल दिया,लेकिन एक विश्वशनीय व्यक्ति ने राजकुमारी को इस राज के बारे में बता दिया. राजकुमारी ने वह इत्र की बोतल को चट्टान पर रखा और तांत्रिक को मारने के लिए एक पत्थर लुढ़का दिया, लेकिन मरने से पहले वह समूचे भानगढ़ को श्राप दे गया जिससे कि राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ बासियों की म्रत्यु हो गई. तो दोस्तों आखिर मैं आप लोगो को मेरे दवारा बताया गया , ये भानगढ़ का रहस्य की जानकारी कैसी लगी, हमे जरूर बताये. ताकि हम आप लोगो को ज्यादा से ज्यादा रहस्य की जानकारियों को आपके सामने रख सके.
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