haunted stories in hindi
भूतो का वीराना
haunted stories in hindi, आप लोगो ने ये तो सुना ही होगा की जहा पर वीराना होता है वही पर भूत प्रेत बस्ते है. क्योकि इन्हे वीराना बहुत ही ज्यादा पसंद होता है. यहाँ पर किसी भी इंसान का आना जाना नहीं होता है. ना ही यहाँ पर किसी भी प्रकार की पूजा ही की जाती है. ऐसी जंगह पर भूत अपना घर बना लेते है. तो आज मैं आपको वीराना घोस्ट के बारे मैं ही बताने जा रहा हु. ये सब मैं आपको एक कहानी के जरिये ही बतायूंगा, क्योकि कहानी के अलावा और कोई भी सही माध्यम नहीं होता है इन् सबकी जानकारी देने के लिए. मेरा नाम सुरेश मेहता है और मैं दिल्ली करोलबाग़ का रहने वाला हु. मेरी एक मेडिकल स्टोर की शॉप है करोलबाग़ मैं.
मेरा एक बार राजस्थान मैं जाना हुआ और वो भी घूमने के लिए ही. क्योकि मेरा वहा पर कोई भी काम नहीं पड़ता है. मुझे पुराने खंडहरों के बारे में जानना और उनमे घूमने का बहुत ही अधिक शोख है. मेरा यही शोख मेरे लिए एक बार बहुत ही मुश्किल भरा हुआ. क्योकि मैं उन खण्डहरों मैं जा पहुंचा था जिन्हे लोग वीराना के नाम से पुकारते थे. मुझे लगा सायद इनका नाम ही वीराना होगा बस, लेकिन ऐसा नहीं था वो अपने आप मैं ही एक वीराने से कम नहीं थे. क्योकि वहा पर बस्ती थी भूत प्रेतों की आत्माये. मैं जब वहा पर पंहुचा तो मुझे वहा की आवो हवा कुछ बदली हुई सी लग रही थी और वहा से कुछ अजीबो गरीब आवाजे भी आ रही थी.
ऐसा लग रहा था की मैं वहा पर अकेला नहीं बल्कि कोई मेरे साथ साथ चल रहा था लेकिन दिखाई नहीं दे रहा था. लेकिन किसी के होने का अहसास मुझे लग रहा था. जब मैं कुछ और अंदर जा पंहुचा उस वीराने मैं , तो मुझे किसी ने पीछे से मेरा नाम लेकर मुझे पुकारा सुरेश. मैंने पीछे देखा तो पेड़ के पास कोई खड़ा था, वो कोई औरत लग रही थी. जैसे ही मैं उसके पास पंहुचा तो वो वहा से गायब हो चुकी थी. मैं उसे ढूंढ ही रहा था की अब मुझे फिर से एक आवाज आयी सुरेश मैं यहाँ हु. मैंने देखा तो फिर मुझे वही औरत नज़र आयी. लेकिन अब वो गायब नहीं हुई थी बल्कि मेरा पाने पास आने का इंतज़ार कर रही थी.
haunted stories in hindi, जैसे ही मैं उसके पास पंहुचा तो क्या देखता हूँ उसने मुझे से कहा तुम यहाँ के कर रहे हो सुरेश , तो मैंने उससे पूछा की तुम मेरा नाम कैसे जानते हो, तो उसने मुझे कहा की मैं तुम्हारी ही यहाँ पर इंम्तेज़ार कर रही हूँ बरसो से. मैंने कहा बरसो से , उसने कहा हां. और वो तुरंत ही एक चुड़ैल के रूप मैं बदल गयी और मुझ पर झपट पड़ी. लेकिन मेरे गले मैं हनुमान जी का लॉकेट होने के कारण से वो मुझ पर हमला नहीं कर पायी, और मैं वहा से भाग निकला और अपनी जान मैंने वीराने के पास बने हुए एक मंदिर मैं जाकर बचायी. मैं सुबहे होने तक वही पर ही रुका रहा. जब सुबहे हुए तब मैं वहा से बाहर निकला और बच पाया. तभी से मैंने वीराना खंडहरों मैं जाना बंद कर दिया.
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