Bhuto ki kahani | Ghost kahani
bhuto ki kahani, परिवार का भूत हिंदी कहानी, दोस्तों ये बात उस भूत की है जिसकी बाते गांव सभी लोग करते थे. उसी के बारे मैं आज आपको बताने जा रहा हु. क्योकि आज भी बहुत से ऐसे लोग है जो की भूत या प्रेत या आत्मा मैं बिलकुल भी विश्वास नहीं करते है. मैं ये नहीं कहता हु की आप सभी भूतो मैं विश्वास करे but विश्वास ना करने का भी हमारे पास ठोस कारण नहीं है.
परिवार का भूत हिंदी कहानी : bhuto ki kahani, Ghost kahani
Because ये आज भी हमारे इसी समाज का हिस्सा होते है. जैसे भगवन नज़र नहीं आते but फिर भी वो होते है, उसी तरह भूत या प्रेत भी होते है but वो कभी भी नज़र नहीं आते है. उनकी भी सच्चाई उसी तरह है जिस तरह भगवन की है.ये बात उन दिनों की है जब मैं घूमने के लिए बस से मुंबई जा रहा था. मेरा नाम सुभाष है. मैं ख़ास मुंबई का ही रहने वाला हु और अपने काम से पुणे आता जाता रहता हु. मुझे बहुत ही अच्छे से याद है, दिसंबर का मौसम था और रात को ठंडी ठंडी हवा भी चल ही थी. बस और ट्रेन बहुत ही ज्यादा भीड़ होने के कारण मैंने अपनी ही गाड़ी से मुंबई जाने का विचार किया और रात मैं लगभग सात बजे पुणे से निकल पड़ा. मैं अकेला ही मुंबई जा रहा था. Because मैं पुणे मैं भी अकेला ही रहता हु. bhuto ki kahani
मुझे पुणे से बहार निकलने मैं ही लगभग रात के 11 बज गए थे, Because रस्ते मैं एक ट्रक का एक्सीडेंट हो गया था जिसके चलते ट्रैफिक जाम हो जाने के कारण मैं बहुत ही ज्यादा लेट हो गया था. इसी भीड़ को देखते हुए मैं कभी भी गाड़ी से अपने घर नहीं जाता हु. मुझे पता है की अगर कभी जाम लग जय तो बहुत ही ज्यादा प्रॉब्लम हो जाती है सफर करने मैं. तो जब मैं भीड़ से बहार निकला और हाईवे पर पंहुचा तो रात के लगभग 12 बज चुके थे. पता नहीं कैसे हलकी हलकी बारिश भी शुरू हो चुकी, bhuto ki kahani
थी.
मुझे बिलकुल भी याद नहीं था की मैं अपनी गाड़ी की सर्विस नहीं कराई थी, इसी के चलते मेरी गाड़ी हाईवे पर कुछ दूर जाते ही बंद पड़ गयी. मेरी लाख कोसिस करने के बाद भी वो शुरू नहीं हो पा रही थी. अब बारिश भी बहुत तेज़ शुरू हो चुकी थी. मैं बहुत ही परेशान हो गया. की रात होने के चलते कोई भी नज़र नहीं आ रहा था. जहा पर मैं था वही से मुझे कुछ दूर एक झोपडी मैं कुछ हलकी सी रौशनी नज़र आ रही थी. मैंने सोचा क्यों ना रात मैं इसी से कुछ मदद मांगी जाए, तो मैं गाड़ी से उतर कर उस झोपडी की और चल दिया. bhuto ki kahani
जैसे जैसे मैं उसकी और जा रहा था वो वैसे वैसे वो मुझसे दूर होती जा रही थी. मैं समझ नहीं पा रहा था की ये सब क्या हो रहा है. मुझे तो गाड़ी से देखने मैं लगा था की ये नज़दीक ही होगी , but ये तो मेरे पास ही नहीं आ रही थी. और इस कारण से ही मैं बहुत ही अंदर चला गया था इस जंगल के. मुझे समझ मैं नहीं आ रहा था की मैं अब क्या करू, क्या मैं वापिस चला जाओ अपनी गाड़ी मैं , या फिर चलता ही चला जाओ जंगल मैं अंदर की और. मैंने अंदर जाने का ही फैसला लिया. bhuto ki kahani
जैसे ही मैं कुछ और अंदर गया जंगल मैं तो मुझे अपने पीछे किसी के चलने की आवाज सुनाई दी. मैं एक दम से पीछे मुड़ा तो मुझे कोई भी नहीं दिखा.थोड़ी देर बाद फिर से मुझे किसी के चलने की आवाज सुनाई दी , फिर कोई नहीं दिखा. अब तो मैं बहुत ही डर गया और मैंने अब वापिस अपनी गाड़ी मैं जाने का सोचा. मैं तेज़ तेज़ अपनी गाड़ी की और कदम बढ़ा रहा था की मुझे एक दम मेरे सामने कोई आकर खड़ा हो गया. उसकी आंखे लाल सुरक रात की चांदनी मैं साफ़ नज़र आ रहा था.
bhuto ki kahani, मैंने डर के मारे जोर से चिल्ला पड़ा और चिल्लाते ही मैं बेहोश गया. मुझे होश अगली सुबह आया तो मैंने देखा की मेरे चारो और लोग खड़े है और मैं अपनी ही गड़ी के पास बहार सड़क पर पड़ा था. मुझ से लोग पूछने लग गए की मैं यहाँ पर क्या कर रहा हु, तो मैंने लोगो को सब बात बताई , तब उन्होंने मुझे बताया की यहाँ पर लगभग 30-35 साल पहले रोड एक्सीडेंट मैं एक परिवार की मोत हो गयी थी. तब से यहाँ पर उनकी आत्मा भटकती रहती है. उस दिन के बाद मैंने कभी भी उस हाईवे पर गाड़ी से सफर नहीं किया, मैं जब भी अपने घर गया ट्रैन से ही गया.
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