danger bhoot ki kahani
भूत देखना है
danger bhoot ki kahani, एक दिन मैंने अपने दोस्त रोहन से कहा की मुझे भूत देखना है. तो मेरी वो इस बात पर हंस पड़ा , लेकिन मैंने उससे कहा की मैं बहुत ही सीरियस हु और मुझे भूत को देखना है. तो उसने मुझे कहा की इससे पहले तुम भूत को देखने की इच्छा रखते हो तो मैं तुम्हे अपने साथ घटाने वाली एक सच्ची घटना को बताना जरूरी समझता हु. तो मैंने अपने दोस्त रोहन से उसके साथ घटित उस घटने के बारे मैं जानना शुरू कर दिया. रोहन ने मुझे बताया की जब वो अपनी स्कूल की छुट्टियों मैं अपने गांव मैं गया हुआ था तो उसके साथ ये घटना घटित हुई थी.
रोहन और उसके पापा दोनों ही ट्रैन से अपने गांव जा रहे थे. जब वो स्टेशन पर उतरे तो वो काफी लेट हो गए थे और गांव जाने के लिए उन्हें कोई भी सवारी भी नहीं मिल पा रही थी. तो उन्होंने पैदल ही अपने गांव जाना सही समझा. रेलवे स्टेशन से रोहन का गांव लगभग 3.5 किलोमीटर पड़ता है. तो वो दोनों बाप बेटा चल दिए अपने गांव पैदल ही. जैसे ही वो पक्के रस्ते से उतरकर गांव के लिए कच्चे रस्ते पर चले तो उन्हें रास्ता कुछ गिला सा लगने लगा था. लेकिन बारिश तो हुई नहीं थी तो रास्ता फिर गिला कैसे था. रोहन के पास या उसके पापा के पास उस टाइम मैं मोबाइल नहीं था, क्युकी ये बात उन दिनों की है जब मोबाइल का उपयोग नहीं था
गांव मैं बिजली भी नहीं थी जो की रास्तो पर लाइट जली हो और रास्ता नज़र आ जाय. अब कुछ भी न सोचते हुए दोनों चल दिए अपने गांव की और. रस्ते मैं चलते टाइम उन्हें बस एक ही आवाज आ रही थी और वो थी गीली मिटटी मैं चलने की कच्चकच्चकच्चकच्च. हम दोनों चल रहे थे और कुछ दूर चलते ही मेरा पैर अचानक से फिसल गया और मैं गिर गया एक खेत मैं. मैं जहा पर गिरा था मेरा हाथ किसी चीज़ से टकराया और वो था एक इंसान का हाथ.मैं एक दम से डर गया , की ये कौन यहाँ पर लेता है. पापा ने जब गौर से देखा तो वो रामपाल बाबा थे मेरे. जो की वहा पर मरे पड़े हुए थे.
ये देख कर हम दोनों ही डर गए. उनका एक पैर और एक हाथ उनके शरीर पर नहीं था. पापा तो एक दम से सहम गए और अब हम दोनों घर की और बढ़ने लग गए. जैसे जैसे हम गांव की और बढ़ रहे थे , वैसे वैसे ही वहा के दृस्य और भी भयानक होते ही जा रहे थे.
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हम दोनों जल्द से जल्द अपने दादा दादी के पास जाना चाहते थे. बस यही हमारे दिमाग मैं चल रहा था. कुछ दूर चलते ही मेरी नज़र अचानक से एक खेत मैं गयी , तो मैं देखा की कोई मुझे वहा पर खड़ा नज़र आ रहा था वो कोई इंसान नहीं लग रहा था क्योकि उसकी लम्बाई बहुत ही ज्यादा था यांनी की लगभग 20 से 30 फ़िट से भी ऊँचा था वो. अब हम समझ चुके थे की वो कोई भी इंसान नहीं बल्कि एक दानव यानी की भूत था.
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danger bhoot ki kahani, उससे बचते हुए हम अपने घर पहुंच ही गए तो देखते है की अभी तक मेरे दादा जी और दादी जी ज़िंदा थे. तो हमने उन दोनों को अपने साथ लिया और तुरंत ही गांव के पिछले रस्ते से बाहर निकलने लग गए. गांव के काफी लोग भी वहा से भाग रहे थे. इस तरह से हमने उस भूत से बचते हुए अपनों की जान बचाई. तो दोस्त कभी भी भूत से सामना करने की बात नहीं करना क्योकि अगर आपका सामना उससे हो गया तो वो आपको कभी भी जिन्दा नहीं छोड़ेगा, तब मैंने अपने दोस्त रोहन की बात को माना और भूत से मिलने या उसे देखने का ख्याल भी अपने दिमाग से निकल दिया.
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