bhooto ki duniya
क्या सच मैं भूत होते है
bhooto ki duniya, क्या सच मैं भूत होते है , ये सब जानना चाहते है और जानने की इच्छा भी रखते है. मैं भी ये सब जानना चाहता था की क्या सच मैं भूत होते है. एक दिन ये जानने के लिए मैं एक हवेली मैं जो की बहुत सालो से सुनसान ही पड़ी हुई थी. लोगो का ये मानना था की उसमे भूतो का वास है और यहाँ पर जो कोई भी जाता है वो कभी भी जिन्दा वापिस नहीं आता है. तो मैं भी हिम्मत करके ये जाने के लिए उस हवेली मैं एक दिन चला ही गया. नवंबर का महीना था और साथ ही ठंडी ठंडी हवा भी चल रही थी. उस दिन बारिश बहुत ही ज्यादा हई थी, जिस कारण से सड़क पूरी तरह से गीली थी.
हवेली का रस्ता बहुत ही कच्चा था जिस कारण से वहा पर चलना भी बहुत ही मुश्किल हो रहा था. अँधेरा बहुत ही ज्यादा था तो मैं अपने साथ एक टोर्च लेकर गया ताकि मैं रस्ते को सही ढंग से देख सकू और रास्ता भटक ना जाओ. जैसे जैसे मैं उस हवेली की और बढ़ रहा था वहा का मौसम बदलता ही जा रहा था. यानी की मुझे मौसम कुछ गर्म सा लग रहा था. मैं समझ नहीं पा रहा था की आखिर मैं ऐसा हो क्यों रहा है. ये सब ज्यादा न सोचते हुए मैं चलता ही चला गया और आखिर मैं पहुंच गया उस हवेली के दरवाजे पर. जो की बहुत समय से बंद होने के कारण बहुत ही गन्दा लग रहगा था. मैंने उसे खोला चाहा पर वो कड़क बंद होने के कारण खुल नहीं पा रहा था.
मैं उसके अंदर जाने का रास्ता ढूंढ़ना शुरू किया तो मुझे एक खिड़की नज़र आयी अंदर जाने के लिए. तो मैंने उसका सीसा तोड़ दिया और मैं वही से अंदर चला गया. वहा से मैं एक कमरे मैं दाखिल हुआ जो की बहुत ही गन्दा था. पुरे कमरे मैं अँधेरा ही अँधेरा था. तो मैंने टोर्च को जलाया और मुझे दिवार पर दिखाई दी एक तस्वीर जो की एक राजा की लग रही थी. जब मैंने बहुत ही गौर से देखा तो उस तस्वीर मैं मुझे कुछ अलग सा नज़र आ रहा था. क्योकि उसे देख ऐसा लग रहा था की मनो वो अभी बनाई गयी हो. लेकिन हवेली तो बहुत ही पुरानी थी , तो तस्वीर नई क्यों लग रही थी.
जब मैं उस कमरे को देख रहा था तभी मुझे एक आवाज सुनाई दी , वो किसी के चलने की आवाज थी. मैंने कमरे से बाहर आके देखा तो मुझे एक साया सा नज़र आया. मैं सीढ़ियों से निचे गया , तो वो साया वहा से जा चूका था. मैं उस हवेली मैं इधर उधर घूमने लग गया. ये पता करने के लिए की क्या वाकई मैं इस हवेली मैं भूत है या फिर लोग केवल अफवाहे ही उड़ाते है. मैंने अपने पीछे मुड़कर देखा की कोई सीढ़ियों पर चल रहा था, क्योकि सीढ़ियों पर पड़ी धूल उड़ सी रही थी, जैसे कोई चलता हो. लेकिन कोई भी नज़र नहीं आ रहा था.
Read More-दहशत की एक रात कहानी
bhooto ki duniya, मैं भी उन चिन्हो के पीछे पीछे चल दिया तो मैं क्या देखता हु की वो एक दरवाजे के पास जाकर रुक गए. मैंने जेसे ही वो दरवाजा खोला तो अचानक से मेरे सामने एक रूह उड़कर आई और मुझे धक्का दे दिया, जिस कारण से मैं सीढ़ियों पर से पीछे गिर गया और बेहोश हो गया. जब मुझे होश आया तो मैं उस हवेली के बाहर पड़ा था और सुबहे हो चुकी थी. तब आखिर मैं भी मान ही लिया की भूत होते है और उस हवेली मैं भूतो का साया आज भी मड़राता है. इसलिए मैं ये कह सकता हु की सच मैं भूत होते है.
Read More-भूत का नाटक एक घोस्ट कहानी
Read More-एक दानव कुत्ते की कहानी
Read More-कब्रिस्तान मैं वो इंसान
Read More-एक भूत की फोटो जब देखी
Read More-गोविन्द की भूतिया कहानी
Read More-भूत या रहस्य एक कहानी
Read More-कब्रिस्तान का रास्ता
Read More-भूत-प्रेत की सच्ची कहानी
Read More-तालाब का भूत एक सच्ची घटना
Read More-कमरा नंबर 201 की कहानी
Read More-काला जादू की सच्ची कहानी
Read More-खेत मैं प्रेत से सामना
Read More-लड़की का प्रेत एक कहानी
Read More-मैंने देखी जब एक छाया
Read More-पत्नी की आत्मा एक कहानी
Read More-गली नंबर 18 की कहानी