bhoot pret atma
मेरी सच्ची कहानी
bhoot pret atma, मेरी ये एक सच्ची कहानी है जो की आज मैं आप लोगो को बताने जा रहा हु. जब ये घटना मेरे साथ घटित हुई थी तब मैं लगभग 12 साल का था. वो दिन आज भी मुझे याद है जब मेरा सामना एक भूत से हुआ था और तब से मैं घर से बहार कभी भी एकेला नहीं जाता हु. लेकिन आज जब मैं आप लोगो को इसके बारे मैं बताने जा रहा हु तो मैं आज 23 साल का हु. मैं दिल्ली मैं रहता हु. १२ साल की उम्र मैं, मुझे बहुत ही अच्छे से याद है की मैं उस दिन टूशन से पढ़कर घर वापिस आ रहा था, जब मेरे साथ से सब घटित हुआ. टाइम लगभग रात के 9.15 के आस पास हुए होंगे. जिस रस्ते मैं मेरा टूशन पड़ता था , वो रास्ता ज्यादातर सुनसान ही हो जाता था रात के 8 बजे के बाद से.
वैसे तो ज्यादातर मैं और मेरा दोस्त संजय ही साथ आया जाया करते थे टूशन मैं. लेकिन उस दिन संजय की तबियत ख़राब हो जाने के कारण से संजय मेरे साथ टूशन नहीं जा पाया था. तो मैं अकेला ही चल दिया था टूशन के लिए. जब मैं वापिस आ रहा था तो रस्ते के एक मोड़ पर मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे साथ साथ चल रहा है. तो मैं तुरन्त ही अपने पीछे मुडक़र देखा तो कोई भी नज़र नहीं आया. मैं फिर चल दिया घर की और. कुछ दूर चलने पर फिर से मुझे किसी की आहट सुनाई दी, लेकिन इस बार भी कोई भी नहीं था. मेरा घर टूशन से लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर है. अब मुझे डर लगने लगा था, की कोण है जो मेरे पीछे तो चल रहा है लेकिन दिखाई नहीं दे रहा है.
मैं ये सोचते सोचते कुछ और थोड़ी दूर चला ही था की अचानक से मेरे सामने एक इंसान आकर खड़ा हो गया , वो भी पुरे काले कपड़ो मैं. मैं उसे देख डर गया , वो मेरी ही और बढ़ रहा था. मुझे पहले तो लगा की कोई मुझे डराने की कोशिश कर रहा है , लेकिन जब मैंने रौशनी मैं उसके पैर देखे तो वो सीधे नहीं बल्कि उलटे थे. ये देख कर मैं बहुत ही घबरा गया और जोर से चिल्ला कर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और जब आँखे खोली तो सामने कोई भी नहीं था. ये सब कुछ हो जाने के बाद अब मेरे पास एक ही रास्ता था की मैं जल्द से जल्द अपने घर पर पहुंच जाओ. मैंने अब भागना शुरू कर दिया था. भागते हुए अचानक से मेरा पर एक गड्ढे मैं जा फसा और मैं सड़क पर गिर गया. मेरे पैर के दोनों घुटने छील गए.
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bhoot pret atma, मैं जैसे ही खड़ा हुआ , तभी मेरे सामने वो काले कपड़ो वाला फिर से आकर खड़ा हो गया. और मेरी तरफ अपने दोनों हाथो को बढ़ाने लगा. वो अपने हाथो को ऐसे बढ़ा रह था मानो की वो मुझे पकड़ना चाहता हो. लेकिन मैं तुरंत ही उठकर भागने लग गया. लेकिन उसके हाथ मेरा पीछा ही कर रहे थे, और मुझे पकड़ने के लिए उसने अपने छुपे हुए दो और हाथो को मेरे पीछे लगा दिया. मेरे सामने एक घर आ गया और उसका दरवाजा खुला था तो मैं तुरंत ही उस घर मैं घुस गया और अपनी जान उस भूत से बचायी. मैंने अपने बेग से मोबाइल निकाला और अपने पापा को कॉल की , तब उन्होंने मुझे वहा आकर बचाया और मैं तब सही सलामत अपने घर पंहुचा. ये थी मेरी एक सच्ची कहानी.
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