bhoot kaise hote hai
भूत -प्रेत की कहानी
bhoot kaise hote hai, क्या होते है भूत पिसाच या फिर ये कैसे दिखते है. इनके बारे मैं कोई भी नहीं बता पाया है आज तक. लेकिन फिर भी लोग इनकी चर्चा ही करते रहते है. आज मैं आपको बताने जा रहा हु की भूत पिसाच क्या होते है और कैसे दिखते है. जब मैं लगभग 13 साल का था तो मैं अपने नाना के साथ गांव से नज़दीक एक मेले मैं घूमने गया हुआ था वो भी रात मैं. गांव के मेले मैं ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होती है और वहा पर लोग आसानी से खोते भी नहीं है. मैंने अपने नाना से कहा की क्या मैं अकेले यहाँ पर घूम सकता हु , तो नाना ने कहा हां क्यों नहीं. तुम घुम्म आओ और मैं तुम्हारा यही पर इंतज़ार करुगा.
आज मैं 23 साल का हु और आप लोगो को ये बात बताने जा रहा हु. मैं मेले मैं घूमने के लिए निकल पड़ा और घूमते घूमते एक ऐसी दुकान पर पंहुचा जहा पर कोई भी नहीं था. लेकिन दुकान के बाहर एक बोड लगा था की ” एक बार देखोगे , तो दुबारा देखने की हिम्मत नहीं होगी “. मुझे लगा पता नहीं ये क्या बकवास लिखी है और मैं उस दुकान के अंदर चला गया. वहा पर कोई भी नज़र नहीं आ रहा था. लेकिन एक पर्दे के पीछे मुझे एक साया सा नज़र आ रहा था , जो की कुछ अजीब सा लग रहा था. मैं दुकान मैं इधर उधर देखने लग गया. की तब ही मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा और मैं अचानक से डर गया. मैं एक दम से पीछे मुड़ा लेकिन कोई भी नज़र नहीं आया मुझे.
तभी एक दम से मेरे बगल मैं खड़ा हुआ पुतला अचनाक से गिर गया और मुझे अब वहा पर किसी के होने का अहसास साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था.मैंने तुरंत ही वहा से बाहर जाने का सोचा और गेट की और चलने लग गया. की तभी अचानक से गेट बंद हो गया और बहुत कोसिस के बाद भी गेट खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था. बहुत कोसिस के बाद मैं थक गया और दुकान के एक कोने मैं बैठ गया. मैं अब ये सोच रहा था की नाना जी मुझे ढूंढ रहे होंगे और परेशान भी हो रहे होंगे. मैं क्या करू अब और कैसे बाहर निकलू इस दुकान से. मैं कुछ भी नहीं सोच पा रहा था.
तभी अचानक से दुकान के अंदर वाला गेट खुला और उसमे से एक आदमी बाहर निकला , लेकिन उसका चेहरा नकाब से ढका हुआ था. उसने मुझसे पूछा की तुम कौंन हो और यहाँ पर क्या कर रह हो. मैंने उनसे कहा मेरा नाम सोहन है और मैं अपने नाना जी के साथ मेले मैं घूमने आया था , और जैसे ही मैं इस दुकान मैं आया तो यहाँ का गेट अचानक से बंद हो गया और खुलने का नाम ही नहीं ले रहा है अब. मैं यहाँ पर फंस चूका हु. वैसे आप कौन है. उसने कहा मेरा नाम गोपाल है और मैं इस दुकान का मालिक हु. तुम्हे यहाँ नहीं आना चाहिए था बच्चे. क्योकि यहा पर आना तो आसान है लेकिन यहाँ से बाहर जाना बहुत ही मुश्किल है.
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bhoot kaise hote hai, उसने एक दम से अपने चेहरे से वो काला नकाब हटा लिया. उसका चेहरा एक दम भयानक और लम्बे लम्बे दंत थे . वो एक दम से भूत पिसाच सा लग रहा था. मानो वो मुझे थोड़ी ही देर मैं मार कर खा जायेगा. उसने जैसे ही मेरी और अपने हाथ बढ़ाये , तभी एक दम से मेरे नाना जी उस दुकान के अंदर आ गए, गेट को तोड़ कर. और उन्होंने मुझे उस भयानक इंसान से बचा लिया. बाद मैं मुझे पता चला की वो इंसान दुकान की आड़ मैं बच्चो को डराता था.
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