Story in hindi | Hindi kahani
मूर्ख राजकुमार की अद्भुत कहानी, story in hindi, मेहरगढ़ साम्रज्य मैं एक छोटा सा एक गांव था, गांव मैं एक बहुत ही गरीब धोबी रहता था. लेकिन उसकी बड़ी समस्या ये थी की उसके एक भी संतान नहीं थी और शादी को लगभग सात साल हो चुके थे. धोबी और उसकी पत्नी को गरीबी का इतना दुख न था, जितना संतान न होने का . दोनों भगवान से प्रार्थना करते कि ईश्वर उन्हें एक संतान अवश्य दे, चाहे वह लड़का हो या लड़की . इसी बीच धोबी के पड़ोस में एक नव विवाहित जोड़ा रहने आया . वे बहुत खुश रहते थे . एक वर्ष पश्चात् ही उनके घर में पुत्र ने जन्म लिया तो धोबी और उनकी पत्नी भी उनके घर बधाई देने पहुंचे .“hindi kahani”
मूर्ख राजकुमार की अद्भुत कहानी : story in hindi
story in hindi, दोनों परिवारों में खूब मित्रता हो गई थी, इस कारण धोबी व पत्नी की खूब आवभगत हुई . घर आकर रात्रि को धोबी ने शिवजी की पूजा की और प्रार्थना की कि उसे संतान प्राप्त हो . ईश्वर ने धोबी की प्रार्थना सुन ली . धोबी अपने पड़ोसी के पुत्र को अपने बच्चे के समान प्यार करता था, कुछ ही समय बाद उसके घर में भी बालक ने जन्म लिया . धोबी ने अपने बेटे का नाम राजकुमार रखा Because उसके घर के लिए वह राजकुमार से कम न था . धोबी व पत्नी अपने पुत्र को बहुत अधिक प्यार करते थे . धीरे धीरे राजकुमार बड़ा हो रहा था . वे उसकी हर इच्छा पूरी करते थे . इस कारण वह जिद्दी होता जा रहा था . वह अपनी मर्जी से खेलता था, अपनी मर्जी से खाता था .“story in hindi”
मां बाप स्वयं परेशानी सहकर भी उसको अच्छे से अच्छा भोजन खिलाते थे . राजकुमार बेहिसाब खाने के कारण मोटा होता जा रहा था . बच्चे उसे पेटू कर कहकर बुलाने लगे थे . एक दिन राजकुमार एक बगीचे से बहुत सारे फल तोड़ आया . मां के मना करने पर भी उसने सारे फल खा लिए . उसी रात उसके पेट में दर्द होने लगा . रात्रि में उसे दस्त होने लगे . राजकुमार की मां परेशान थी कि वह क्या करे ताकि राजकुमार ठीक हो जाए . राजकुमार का पिता किसी जरूरी काम से दो दिन के लिए पास के गांव गया था . सुबह होते ही मां ने राजकुमार से कहा पास के गांव में वैद्य जी रहते हैं . उनकी एक पुड़िया से ही फायदा हो जाता है, तू जल्दी से उनके पास चला जा . सारी परेशानी बता कर जो वह बताएं वह ध्यान से सुनकर आना . “story in hindi”
तेरे पिता जी होते तो उन्हें साथ भेज देती . राजकुमार पेट दर्द व दस्तों के कारण बेहाल हुआ जा रहा था . वह गांव की सड़क पर तेजी से चलते हुए पास के गांव में वैद्य के पास पहुंच गया . वैद्य जी राजकुमार के पिता के परिचित थे, अत: उन्होंने दवाई तैयार करके राजकुमार को एक पुड़िया दवा खिला दी . राजकुमार को पेट दर्द व दस्तों से आराम महसूस हुआ . वैद्य जी ने घर के बाहर पड़ी चारपाई पर कुछ देर उसे आराम करने को कहा . कुछ देर में राजकुमार ने कहा वैद्य जी, मैं घर जाना चाहता हूं . आप यह बता दें कि मैं भोजन में क्या खाऊं . ताकि जल्दी ठीक हो जाऊं .
वैद्य जी ने कहा बेटा राजकुमार दो दिन तक खिचड़ी के सिवा कुछ नहीं खाना है . कल को फिर आकर दवाई खा जाना . मैं तुम्हारे लिए दवाई तैयार करके रखूंगा . राजकुमार ने खिचड़ी शब्द सुना न था, अत: फिर बोला क्या नाम बताया आपने, खचड़ी . वैद्य जी ने कहा तुम बस मां को जाकर बता देना कि वैद्य जी ने खिचड़ी बताई है, मां खुद बना कर खिला देगी . राजकुमार ने पुन: पूछा खिचड़ी . राजकुमार को खिचड़ी शब्द थोड़ा मुश्किल लग रहा था . अत: वह रटते रटते चल दिया . वह धीरे धीरे घर की ओर जा रहा था और मुंह से बोल रहा था खिचड़ी खिचड़ी . वह कब खिचड़ी कहते कहते खचड़ी कहने लगा, उसे पता ही नहीं लगा . कुछ ही देर में वह खचड़ी को खाचिड़ी बोलने लगा .
वह खाचिड़ी रटते हुए एक खेत के पास से गुजर रहा था कि खेत में काम करने वाले किसान ने उसे आवाज दी. ऐ छोकरे, इधर आ, क्या बोल रहा है . राजकुमार ने मासूमियत से जवाब दिया खाचिड़ी, खाचिड़ी . किसान गुस्से में भर कर बोला मैं खेत में बीज बो रहा हूं और तू बोल रहा है खा चिड़ी, खा चिड़ी . अगर चिड़िया मेरा बीज खा गई तो पौधे कहां से निकलेंगे . अगर तुझे कुछ कहना है तो बोल उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी और यहां से भाग . राजकुमार ने दुनिया देखी न थी . पहली बार घर से निकला था . अत: घबराकर रटने लगा उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी . वह इसी प्रकार रटता हुआ घर की ओर चल दिया . कुछ कदम ही दूर गया था कि उसने देखा, एक बहेलिया जाल फैलाए बैठा है और पक्षियों के फंसने का इंतजार कर रहा है .
बहेलिए ने राजकुमार को उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी रटते देखा तो क्रोध में चिल्लाया ऐ लड़के, इतना मारूंगा कि सब कुछ भूल जाएगा, उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी क्या बोल रहा है . क्या तू चाहता है कि सारी चिड़ीयां तेरी बात सुनकर उड़ जाएं और मेरे जाल में एक भी न फंसे . राजकुमार भोलेपन से बोला मैं तो वैद्य जी के पास से आ रहा हूं, उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी कह रहा हूं . अच्छा तू ऐसे नहीं मानेगा, बहेलिया क्रोध से बोला . फिर बहेलिए ने राजकुमार को एक थप्पड़ लगाते हुए कहा लड़के ऐसा बोल, आते जाओ, फंसते जाओ, आते जाओ, फंसते जाओ . बेचारा राजकुमार रोते रोते बोला आते जाओ, फंसते जाओ .
फिर वह इसी प्रकार रटते हुए आगे चल दिया, वह थोड़ी ही दूर गया था कि उसे कुछ लोग इकट्ठे होकर बातें करते दिखाई दिए . वे सब चोर थे और किसी रईस के घर में चोरी की योजना बना रहे थे . तभी उधर से राजकुमार रटते हुए निकला आते जाओ, फंसते जाओ . एक चोर का ध्यान राजकुमार की बात की ओर गया तो उसने फौरन बाकी चोरों का ध्यान राजकुमार की रट की ओर लगाया . पांचों चोरों ने सुना तो दौड़कर राजकुमार को पकड़ लिया और मारने लगे . राजकुमार बेचारा हैरान था कि वे सब उसे क्यों मार रहे हैं .
वह बोला चाचा, मैं तो अपने घर जा रहा हूं, तुम मुझे क्यों मारते हो . एक चोर बोला हम चोरी करने जा रहे हैं और तू हमें बद्दुआ दे रहा है कि हम आते जाएं और फंसते जाएं यानी एक एक करके पकड़े जाएं . ऐसी बुरी बात तो हम अपने घर वालों की भी नहीं सुन सकते . तुझे अगर कुछ कहना ही है तो बोल ले ले जाओ, रख रख आओ . अगर कुछ और बोला तो हम तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे क्या समझा . राजकुमार बोला कुछ नहीं समझा, आप जो कहोगे वहीं बोलूंगा, आप बताओ मैं क्या बोलूं . तुम बोलो ले ले जाओ, रख रख आओ, समझे, एक चोर ने कहा . राजकुमार बेचारा हैरान परेशान था,
वह यह रटते हुए घर की ओर चल दिया, ले ले जाओ, रख रख आओ . राजकुमार अभी कुछ ही दूर गया था कि उसने देखा कि कोई शव यात्रा निकल रही है . कोई जवान व्यक्ति मर गया था . रिश्तेदार व परिजन बुरी तरह रो रहे थे . परंतु राजकुमार को तो किसी से लेना देना न था, वह धीरे से वही रटता रहा जो चोरों ने बताया था . अर्थी उठाने वाले एक व्यक्ति ने राजकुमार की बात सुनी तो वह क्रोध से पागल हो उठा और जोर से चिल्लाया पकड़ो इस छोकरे को . देखो भागने न पाए . इसे देखो, यह क्या बक रहा है ले ले जाओ, रख रख आओ . यह हमारे लिए इतनी अशुभ बात बोल रहा है . हम क्यों किसी की अर्थी बार बार लाएं . क्रोधित रिश्तेदारों ने सुना तो राजकुमार से पूछने लगे कि वह क्या कह रहा है .
भोले राजकुमार ने डरते डरते बता दिया कि वह क्या बोल रहा है . रिश्तेदारों ने राजकुमार को समझाया, तुम जो बोल रहे हो, वह बहुत गलत बोल रहे हो . तुम्हें कुछ बोलना ही है तो यह बोलो ऐसा दिन कभी न हो, ऐसा दिन कभी न हो . राजकुमार बेचारा मरता क्या न करता, वह यही रटता हुआ चल दिया . ऐसा दिन कभी न हो, ऐसा दिन कभी न हो . वह बेचारा डर के मारे समझ नहीं पा रहा था कि उसके साथ इतना बुरा क्यों हो रहा है . बचपन से आज तक उसने मां बाप से अधिक डांट तक नहीं खाई थी . पिटाई का तो सवाल ही न था . उसने घर के आस पास के अलावा बाहरी दुनिया देखी ही नहीं थी .
शाम ढल चुकी थी रटते रटते वह थोड़ी ही दूर आ गया था कि उसने देखा कि कोई बारात निकल रही है . वह सड़क के किनारे खड़े होकर अपनी बात रटते हुए बारात देखने लगा . उसे पता न था कि यह किसी राजा के बेटे की बारात निकल रही है . एक सैनिक ने सुना कि एक लड़का कुछ बोल रहा है . उसने ध्यान से सुना तो दौड़कर राजा के पास आया और उसे सारी बात बताई . राजा को यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि कोई लड़का कह रहा है कि ऐसा दिन कभी न हो . राजा के तुरंत उस लड़के को पकड़ने का आदेश दिया . सिपाही राजकुमार को पकड़कर पीटते हुए राजा के पास ले गए, राजकुमार बेचारा रोने लगा . राजा ने पूछा ऐ लड़के, तुम्हें इस शादी से क्या दुख है .
राजकुमार बेचारा समझ ही न सका कि राजा ऐसा क्यों पूछ रहा है . उसने कहा मुझे तो इस शादी से कोई दुख नहीं है . राजा ने कहा क्या तुम नहीं जानते कि यह राजा के बेटे की बारात है और अशुभ बात बोल रहे हो कि ऐसा दिन कभी न हो . राजकुमार ने ज्यों ही अपने बात विस्तार से सुनानी शुरू की राजा समझ गया कि राजकुमार बेचारा नादान है . उसने राजकुमार से कहा तुम्हें यह बोलना चाहिए ऐसा दिन सभी का हो . राजकुमार ने कहा ठीक है . तब राजा ने सिपाहियों को आदेश दिया कि राजकुमार को उसके घर पहुंचा दो क्योंकि वह अपने घर का रास्ता भटक गया है . सिपाही राजकुमार को उसके घर छोड़ आए . मां सिपाहियों तथा राजकुमार को देखकर हैरान सी हो गई .
Story In Hindi, Hindi kahani, राजकुमार बेचारा रो रहा था, उसके बदन में पिटाई के कारण बहुत दर्द था . राजकुमार ने रोते रोते अपनी मां को सारा हाल सुनाया, फिर पूछा मां ऐसा क्यों होता है कि कोई आदमी एक बात बोलने को कहता है और दूसरा आदमी उसी बात पर मारने लगता है . मां ने कहा बेटा समय व मौके के अनुसार शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं . राजकुमार ने प्रश्नवाचक दृष्टि से मां की ओर देखा तो मां ने कहा सो जाओ बेटा , तुम बहुत भोले हो, इन बातों का मतलब नहीं समझ सकोगे . परंतु बेचारे राजकुमार को बदन दर्द के मारे नींद नहीं आ रही थी . पेट दर्द तो वह कब का भुल चुका था . इसलिए कभी भी दुनिया मैं ज्यादा सीधापन भी ठीक नहीं होता है. हमे थोड़ा सा चतुर भी होना चाहिए.
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