True hindi horror stories
True hindi horror stories, bhoot kaise hote hai, मुझे भूतो की बाते और उनकी कहानिया पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है | कभी कभी तो मैं पूरी रात उनकी किताबे पढता हु और सपने मैं भी उन्ही के बारे मैं सोचता रहता हु, की वो देखने मैं कैसे होते होंगे | अगर वो मेरे सामने आ जाए तो क्या मैं उन्हें पहचान पाऊंगा |
अनहोनी की एक हिंदी कहानी :- True hindi horror stories
इसी चक्कर मैं एक दिन मेरे साथ कुछ ऐसा घटा जिसके बारे मैं मैंने कभी सोचा भी नहीं था | मेरी उम्र लगभग उस दौरान 23 साल की थी | मैं बरेली उत्तर प्रदेश का रहने वाला हु | मुझे बहुत ही अच्छे से याद है की जब मैं बरेली से गाज़ियाबाद बाया बस से जा रहा था | अचानक से रात मैं बस एक जंगल के रस्ते पर बीचो बिच रुक गयी , क्योकि वो अचानक से ख़राब हो गयी थी |
बस मैं हम कुल 18 लोग ही सफर कर रहे थे , जिनमे से ज्यादातर आदमी ही थे कुछ औरते भी थी | बस ड्राइवर और कंडक्टर बस को ठीक करने मैं लगे हुए थे | मुझे बहुत तेज़ नींद आ रही थी , तो मैंने सोचा की जब तक बस ठीक होगी , तब तक मैं एक नींद ले लेता हु | मैं एक गहरी नींद मैं था की तभी मुझे बस के ऊपर किसी के चलने की आवाज आने लगी | पहले तो मैंने सोचा की सायद ड्राइवर या कंडक्टर होगा , लेकिन जब मैंने दोनी को बस के अंदर ही बैठे देखा तो मेरी हवा ख़राब हो चुकी थी | आखिर ये कौन था जो बस के ऊपर था | ये जानने के लिए मैं बस की खिड़की मैं से देखने लगा की तभी मुझे अचानक से एक साया नज़र आया बस के ऊपर |
मैं एक दम से बस के अंदर हो गया और ये सोचने लग गया की ये क्या था जो मैंने बस के ऊपर देखा था | तभी मैंने अपनी बगल वाली सीट पर बैठे हुए आदमी से कहा की बस के ऊपर कोई है | उसने मेरी बात को नज़र अंदाज कर दिया और फिर से सो गया | किसी भी को वो आवाज नहीं सुनाई दे रही थी जो की मुझे दे रही थी |
लेकिन मेरी तो अब नींद ही भाग चुकी थी | मैं क्या करू क्या न करू ये ही सोच रहा था की अचानक से बस के आगे कोई कूद पड़ा ऊपर से | मैंने एकदम से खड़ा हुआ सीट से और देखा की कौन है जो बस के आगे कूदा है | मैं बस से हिम्मत करके उतरा , लेकिन मुझे कोई भी नज़र नहीं आया | सब बस मैं बैठे सो रहे थे , लेकिन मैं बस के चारो और देखा की कौन था पर मुझे कोई भी नज़र नहीं आया |
true hindi horror stories, bhoot kaise hote hai, मुझे नहीं पता था की , ये केवल मेरे दिमाग की एक उपज है | बल्कि मैं तो अभी भी यही सोच रहा था की कोई तो जरूर है जो की यहाँ है और हम जैसा नहीं है | तभी मैंने कुछ दूर चाँद की रौशनी मैं किसी को खड़ा देखा तो मैं उसकी और बढ़ने लग गया | लेकिन वो वहा से नहीं हटा और चुप चाप खड़ा रहा | जैसे ही मैं उसके पास पंहुचा , तभी वो अचानक से वहा से गायब हो गया मेरे देखते ही देखते | तभी मैं जोर से चिल्लाया और बस के सभी लोग जाग कर बस से निचे उतर गए | मैंने उन्हें बताना चाहा पर वो मुझे से यही पूछ रहे थे की आखिर तुम यहाँ क्या कर रहे हो | मैंने कहा ये सब हुआ मेरे साथ तो वो बोल ऐसा कुछ भी नहीं है | ये तुम्हारा सिर्फ वहम है और कुछ नहीं | मुझे अहसास हुआ की आखिर मैं वो मेरा मात्र एक वहम ही था और कुछ है |
रात के डर की हिंदी कहानी :- True hindi horror stories
यह बहुत समय पहले की बात है, उस समय सभी को ऐसा लगता था की हमे रात के समय में नहीं जाना चाहिए क्योकि इससे समस्या आ सकती है, यह उस दिन की बात है, जब में अपने गांव में रात के समय में आ रहा था इसकी वजह थी उस दिन जिस ट्रैन से आ रहा था वह पहले से ही कुछ घंटे देरी से चल रही थी, जिसकी वजह से रात होनी तय थी, अब कुछ नहीं किया जा सकता था, जब स्टेशन पर पहुंचा तो उस जगह से मेरे गांव की दुरी बीस किलोमीटर थी,
दिन के समय में आसानी से जाया जा सकता था, मगर अभी रात हो गयी थी, कोई सवारी मिल जाये तो अच्छा ही होगा मगर बहुत देर तक इंतज़ार करने पर एक बस आती है, वह बस हमारे गांव के सामने से होकर जाती है, जिसके बाद मुझे गांव में जाने के लिए 2 किलोमीटर की दुरी तय करनी थी, कुछ देर बाद ही बस ने मुझे गांव के बाहर उतार दिया था, अब अकेले ही गांव में जाना था, इसलिए अब कुछ भी सोचना बेकार ही था, अब अकेला ही पैदल जाना होता था,
इसलिए गांव की और चल दिया था डर इस बात का था, की कोई भी नज़र नहीं आ रहा था, अब अकेला ही चलना था, इसलिए अकेला ही जा रहा था, लेकिन मुझे ऐसा भी लग रहा था की कोई मेरे पीछे आ रहा है, वह कौन हो सकता है लेकिन जब पीछे देखा तो कोई नहीं था, ऐसा क्यों हो रहा था, कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, मगर मेरा ख्याल ऐसा था की कोई तो है, जो मेरे पीछे आ रहा है, क्योकि उसके कदमो की आवाज मुझे आ रही थी, में कुछ देर रुक गया अब मुझे समझना था की कौन मेरे पीछे चल रहा है,
फिर कोई आवाज नहीं आती है, अभी तो आवाज आ रही थी, यही बात मुझे सोचने पर मजबूर कर रही थी, फिर सोचा की अब मुझे चलना चाहिए क्योकि अब मुझे आवाज नहीं आ रही थी, कुछ देर बाद फिर से वही लग रहा था वह आवाज मेरे पीछे से आ रही थी, ऐसा भी लग रहा था, वह मेरे पास है, यह कैसे हो सकता है, कोई नज़र नहीं आता है, फिर भी कोई है, जो मेरे साथ में है, किसी ने मेरे हाथ को पकड़ा था, ऐसा होते ही अब डर बहुत बढ़ गया था, अब कुछ नहीं हो सकता था,
true hindi horror stories, bhoot kaise hote hai, अब तो भागने में ही भलाई थी, उस जगह से भागने पर ही बचा जा सकता था, इसलिए भगाते हुए अपने गांव के घर में पहुंच गया था, क्योकि अब डर बहुत जयादा लग रहा था, इस डर का सामना मुझे ही करना है, जब घर पहुंचकर यह बात बताई तो कोई भी यकीन नहीं कर रहा था, क्योकि आज तक किसी के भी सतह में यह सब कुछ नहीं हुआ था, लेकिन वह बात आज भी याद आती है तो बहुत डर लगता है, अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो जरूर बताये है,
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