Story in hindi
बुढ़ापे का कड़वा सच कहानी, (story in hindi) जीवन में ऐसा दिन भी आ जाता है जिसके आने के बाद इंसान बहुत ज्यादा बदल जाता है, और उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है, वह सब कुछ भूल जाता है मगर ऐसा करना सही नहीं है, यह कहानी हमे यही बताती है की ऐसा नहीं करना चाहिए.
बुढ़ापे का कड़वा सच कहानी : story in hindi
एक गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी उसका पति मर चुका था और उसके बेटे भी चल बसे थे उसका इस दुनिया में कोई नहीं था रिश्तेदारों के नाम पर बस एक भतीजा था बूढ़ी औरत उसके लिए उसका पति और बच्चे बहुत सारा पैसा छोड़ कर गए थे जो अब उस भतीजे के नाम पर हो गई थी भतीजा पैसों के लालच में ही बूढ़ी औरत को अपने घर ले गया था भतीजे का नाम रामकिशन था रामकिशन की पत्नी का नाम लीला था और उसके तीन बच्चे थे बूढ़ी अम्मा को वह ना तो टाइम से खाना देता था और ना ही उनकी देखभाल करता था बस उनके पैसों का उसे लालच था
इसीलिए रामकिशन ने उसे अपने घर में रख रखा था रामकिशन के बच्चे दोनों लड़के भी बूढ़ी अम्मा को बहुत परेशान करते थे कभी उसके ऊपर पानी डालते तो कभी उसे नोचते थे बूढ़ी अम्मा उन पर चिल्लाती थी और गालियां देती थी जब उसे वह खाना खाने के लिए कुछ भी नहीं देते थे, राम किशन की पत्नी लीला बूढी अम्मा को रात का बचा कुचा खाना ताने मार दे थी और बोलती थी ले बुढ़िया खा ले राम किशन की बेटी बूढ़ी अम्मा से बहुत प्यार करती थी वह चोरी छुपे अपने हिस्से की मिठाई और खाना बूढ़ी अम्मा को दे देती थी रामकिशन के बड़े बेटे की सगाई थी औरतें अंदर नाच गा रही थी और ढोल बाजे बज रहे थे पूड़िया बन रही थी और सब्जियों के बनने की खुशबू आ रही थी
बूढ़ी अम्मा सोच रही थी कि पता नहीं कब मुझे खाना देंगे बूढी अम्मा राम किशन की पत्नी के डर से बाहर नहीं निकली वह अपने कोठी में ही बैठी बैठी खाने के लिए देख रही थी क्योंकि उसने 2 दिन से कुछ नहीं खाया था वह सोचती कि मुझे तो यह लोग रोटी भी नहीं देते फिर इतनी बढ़िया बढ़िया पूड़िया क्यों देंगे, बूढ़ी अम्मा को भी में बनी पूरियों की खुशबू आ रही थी उसने सोचा कि फूल के पास जाकर उसकी महक और भी अच्छी लगती है क्यों ना मैं हलवाई से दो पूरी मांगना हूं फिर वह पैरों के बल सरकती हलवाई के पास बोली और वहां जाकर ऐसे देखने लगी जैसे भूखा की तरह देखता है बूढी अम्मा हलवाई से कुछ कहने ही वाले थे कि उसने देखा राम किशन की पत्नी लीला कभी इधर जाती कभी उधर जाते कभी हलवाई के पास आती कभी कहीं और बोलती खाना बना है या नहीं सब खाने का इंतजार कर रहे हैं
जीवन अच्छे में बदल सकता है हिंदी कहानी
इतने में ही उसने बूढ़ी काकी को वहां देखा वह ऐसे छुट्टी जैसे सांप नेवले पड़ सकता है और उसका हाथ पकड़ कर अंदर ले गई बोली तुम्हारा पेट है या को अच्छे से बैठा नहीं जाता अभी तक भगवान का भोग भी नहीं लगा और मेहमानों ने खाना भी नहीं खाया और तुम खाना खाने के लिए बाहर कैसे आई, बूढ़ी अम्मा ना कुछ बोले ना रोई चुपचाप खिसकती हुई अपनी कोठरी में चली गई भोजन तैयार हो गया सब मेहमान खाने लगे कुछ अंदर कुछ बाहर बूढ़ी अम्मा अपनी कोठरी में चली गई बोली में बाहर क्यों गई थी मैंने बेकार में उसे गुस्सा दिला दिया
अब वह मुझे खाना भी नहीं देगी उसके पेट में वह पूरियों की खुशबू बार-बार आ रही थी वह सोच रही थी कि अब मैं अब प्लेट लग गयी होंगी अब मेहमान खाना खाने लग गए होंगे आप तिलक की रस्म शुरू हो गई होगी बूढ़ी अम्मा ने सोचा अब बाहर जाकर देखती हूं अब तो सब काम करके चले गए होंगे उस से रहा नहीं गया और वैसे दोबारा सरकती हुई बाहर आ गई, उसने आकर देखा अभी तो कोई उंगलियां चाट रहा था कोई दही पी रहा था कोई पूरियां खा रहा था और सब कुछ बूढ़ी अम्मा को देख रहे थे और बोले अरे यह बुढ़िया कहां से आई है इतने में रामकिशन ने अम्मा को देख लिया देखते ही उसने पूरियों का थाल नीचे गिरा दिया और गुस्से में बोला तू यहां क्यों आई है और घसीटते हुए वापस कोठरी में ले गया
रामकिशन की बेटी लाडली यह सब देख रही थी उसे बड़ा दुख हुआ उस वह चिल्लाई और बोले अगर मेहमानों से पहले अम्मा खा लेंगे तो क्या बिगड़ जाएगा यह मेहमान भी तो खाना खा रहे हैं पर वह अपने माता पिता के डर से और कुछ ना कर पाई उसने अपने हिस्से की पूड़ियां एक बर्तन में रख दी कि बाद में अम्मा को दे देगी, सब मेहमान चले गए रात में उसकी मां और पिता भी सो गए तब वह चुपके से उठी और अम्मा की तरफ जाने लगे जब रामकिशन घसीटते हुए लाया है तो उसके हाथ पैरों में पत्थर से चोट लग गई थी और वह बेहोश हो गई थी उसे कुछ याद नहीं था अब अम्मा को थोड़ा बहुत होश आया उसने सोचा अब तो सब मेहमान खा कर चले गए होंगे
इन पूरियों की वजह से बेकार में इतनी चोट खाई पर इस भूखे पेट का क्या करूं और कैसे तुम क्या काम अब तो सब कुछ ख़त्म हो गया होगा इतने में बूढी अम्मा को आने की आवाज सुनाई दी उसने कहा कौन है लाडली बोली अम्मा मैं हूं आपके लिए खाना लाई हूं बूढ़ी अम्मा बोली तुम्हारी मां ने दिया है, कहा नहीं यह तो मेरे हिस्से की पूरियां हैं उसमें सिर्फ चार ही पूरी थी अम्मा ने वह जल्दी जल्दी खाई अब हम पूरियों को खाकर और भूख लगने लगी बोली और ले आओ लाडली ने कहा अब तो अम्मा मुझे मारेगी अम्मा ने कहा तो मुझे वहां ले चलो जहां सब मेहमानों ने खाना खाया था
लाडली अम्मा को वहां ले गई वहां अम्मा और झूठे बर्तनों में पूड़ियां उठा उठाकर थोड़ी बहुत खाने लगी और बची सब्जी चाटने लगी अम्मा सोच रही थी कि मैं यह सब क्या कर रही हूं अगर आज इन लोगों ने मुझे खाना दे दिया होता तो शायद झूठे बर्तन ना चाटने होते. इतने में पत्नी लीला की आंख खुल गई उसने देखा कि उसकी बेटी लाडली वहां नहीं है उसने इधर उधर देखा फिर देखा की लाडली झूठे बर्तन के पास खड़ी है वहां जाकर उसने देखा कि अम्मा झूठे बर्तन चाट रही है उसने सोचा कि एक पंडिताइन आज मेरी वजह से झूठे बर्तन चाट रही है आज मेरे बेटे की सगाई है
निरंतर चलते रहिये प्रेरित कहानी
story in hindi, मैंने लाखों को खाना खिलाया पर उसी को नहीं खिलाया जिसके पैसों पर मैं जिंदा हूं जिसके पैसों से मैं ऐसा कर रही हूं उसे बड़ा बुरा लगा वह रोने लगी और भगवान से प्रार्थना करने लगे कि मुझे माफ करो मुझे इसका दंड मत देना, वह वापस अंदर गई और जा कर एक थाली में सारा भोजन लगाकर अम्मा के पास बैठ कर बोली लो अम्मा मुझे माफ कर दो और खाना खा लो जैसे एक बच्चे को टॉफी दे देने से वह बहल जाता है उसी तरह मैं खाने की थाली देख कर सब कुछ भूल गई और उसने उसे माफ कर दिया.
बुढ़ापे के जीवन की सच्ची दूसरी कहानी :- Story in hindi
वह शहर से पढ़कर जब से आया है वह गांव में रहना नहीं चाहता है, उसके बूढ़े पिताजी अब चाहते है, वह कुछ ऐसा काम करे जिससे गांव वालो को भी कुछ फायदा हो सके मगर रमेश को लगता है की उसे अपने बारे में सोचना चाहिए, क्योकि वह अब अपनी पढ़ाई पूरी कर चूका है उसे जीवनं में आगे बढ़ना है, जब यह बात उसके बूढ़े पिता ने सुनी तो शायद उन्हें भी अब लग रहा था की समय बदल रहा है आज के बच्चे अपने बारे में ज्यादा सोचते है,
मेरे जीवन का निर्णय प्रेरणादायक हिन्दी कहानी
रमेश के बूढ़े पिता भी अब इस बात को मानने लगते है, आखिर उनका सहारा ही उनका लड़का है, अब रमेश की शादी हो जाये तो बहुत अच्छा होगा, लेकिन इस बारे में रमेश कुछ नहीं कहता है, वह अपने पिता से कहता है, की अब मुझे शहर जाना है, क्योकि कम्पनी की छुट्टी समाप्त हो गयी है, बूढ़े पिता सही से बात भी नहीं कर पाए थे की अब उसे जाना था, वह अब का गया कभी वापिस नहीं आएगा यह बूढ़े पिता नहीं जानता था, वह तो यही सोच रहा था, की जब वापिस आयेगा तो उसकी शादी कर दी जाये तो अच्छा होगा,
रमेश को गए हुए एक महीना हो गया था, लेकिन कोई खत भी रमेश ने नहीं लिखा था, बूढ़े पिता को बहुत चिंता हो रही थी, क्योकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ था, उनका मन हो रहा था, की शहर में जाकर अपने बेटे से मिला जाए यही सोचकर की उनके खेत में काम है, वह खत लिख देते है उसके बड़ा ही शहर जायेंगे दो महीने बीत गए थे खत का कोई जवाब नहीं आया था, अब बूढ़े पिता की चिंता बहुत बढ़ गयी थी, उन्हें अब ऐसा लग रहा था, की उन्हें शहर जाना चाहिए अगले दिन बूढ़े पिता शहर जाने के लिए तैयार हो रहे थे
तभी रमेश आता है बूढ़े पिता उसे देखते है उसके बाद उन्हें बहुत अच्छा लगता है क्योकि सब ठीक है उनकी चिंता अब समाप्त हो गयी थी, लेकिन रमेश के साथ कोई और भी आया था वह रमेश की पत्नी थी, जिससे रमेश ने शादी कर ली थी, यह देखकर बूढ़े पिता को यकीन नहीं था, उन्हें नहीं लग रहा था की रमेश यह सब कुछ कर सकता है, बिना बताये ही रमेश ने शादी कर ली थी, अब रमेश कहता है की यह सब कुछ जल्दी में हुआ था, में आपको बता भी नहीं पाया था,
समस्या दूर हुई नयी हिंदी कहानी
“story in hindi” बूढ़े पिता कुछ भी नहीं कह रह थे क्योकि उन्हें लगता था की वह अपने बेटे रमेश की शादी बहुत अच्छे से कर सकते है लेकिन यह अरमान भी उनका चला गया था, रमेश के पिता अब कुछ नहीं कहते है क्योकि उन्हें लगता है की जो हो गया है अब उसमे कुछ नहीं हो सकता है, लेकिन बूढ़ा पिता नहीं जानता था, की रमेश गांव में नहीं रुकना चाहता था, क्योकि उसे शहर जाना था बूढ़े पिता को जब बहुत बुरा लगा जब रमेश ने कहा की अब हम यहां पर बहुत कम आयंगे और आपको शहर पसंद नहीं है, शायद इसका मतलब यह था की रमेश अपने पिता को साथ भी नहीं रखना चाहता था, जीवन में कभी भी ऐसा कोई काम न करे जिससे तकलीफ बहुत बढ़ जाए, “story in hindi” अगर आपको पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे
Read More Story in hindi :-
Read More-अंधे को मिली सजा की कहानी
Read More-मेहनत का फल हिंदी कहानी
Read More-भिखारी और राजा की कहानी
Read More-सच्चे दोस्त की कहानी
Read More-चश्में की हिंदी कहानी
Read More-दोस्त की सच्ची कहानी
Read More-साधू और गिलहरी की कहानी
Read More-दानवीर सुखदेव सिंह की कहानियां
Read More-गुलाब के फूल की कहानी
Read More-व्यापारी के अहंकार की कहानी
Read More-सच्चे मन की प्रार्थना की कहानी
Read More-राजा और मंत्री की कहानी
Read More-एक छोटी सी मदद की कहानी
Read More-मूर्खो से बचे एक कहानी
Read More-व्यापारी के अहंकार की कहानी
Read More-सच्चे मन की प्रार्थना की कहानी
Read More-इंसान और क्रोध की कहानी
Read More-जादुई बक्सा हिंदी कथा
Read More-पशु की भाषा हिंदी कहानी
Read More-जीवन की सीख एक कहानी
Read More-वो सोता और खाता था हिंदी कहानी
Read More-मंगू और दूसरी पत्नी की कहानी
Read More-छोटा सा गांव हिंदी कहानी
Read More-एक बोतल दूध की कहानी
Read More-जादुई लड़के की हिंदी कहानी
Read More-दोस्त की सच्ची कहानी
Read More-जादुई कटोरा की कहानी
Read More-एक चोर की हिंदी कहानी
Read More-छज्जू की प्रतियोगिता
Read More-बाबा का शाप हिंदी कहानी
Read More-सब की खातिर एक कहानी
Read More-मेरा बेटा हिंदी कहानी
Read More-दूल्हा बिकता है एक कहानी
Read More-जादूगर की हिंदी कहानी
Read More-छोटी सी मुलाकात कहानी
Read More-पंडित के सपने की कहानी
Read More-छोटी सी बात हिंदी कहानी
Read More-राजा और चोर की कहानी