parinda story for kids in hindi
एक परिंदे की कहानी, parinda story for kids in hindi, यह कहानी सभी को पसंद आएगी, यह कहानी हमे यही बताती है, की जीवन में कभी भी कुछ भी हो सकता है, हमे जीवन में सभी बातो का ध्यान रखना होता है,
एक परिंदे की कहानी, parinda story for kids in hindi
यह कहानी एक परिंदे की है, वह हर रोज घर के पास वाले पेड़ पर आकर बैठ जाया करता था, उसकी यह आदत थी की वह उसी जगह पर बैठ जाता था, वह बहुत समय से ऐसा कर रहा था, इसलिए सभी लोग इस बात को जानते थे, क्योकि उसे वह बहुत समय से देखा करते थे, उसके लिए कुछ खाने को भी निकाल दिया करते थे, उसी घर में एक छोटा बच्चा रहता था, वह उसे हर रोज देखा करता था,
वह अपनी माँ से कहता था की मुझे इसके साथ खेलना है, मगर माँ कहती थी की यह तुम्हारे पास नहीं आएगा क्योकि यह डरता है, की कोई इसे पकड़ न ले, इसलिए यह तुम्हारे साथ में नहीं खेल पायेगा, वह बच्चा उदास हो जाता है, वही पर बैठ जाता है, क्योकि वह उसके साथ खेलना चाहता है, वह परिंदा भी पेड़ से यह सब देख रहा था, जब सभी लोग काम में लग गए तो, परिंदा पेड़ से नीचे आया और कहने लगा की में तुम्हारे साथ खेल सकता हु, वह छोटा बच्चा बहुत खुश हो गया था, वह कहने लगा की हम कौन सा खेल खेलेंगे, परिंदा कहने लगा की हम एक दूसरे को पकड़ सकते है,
यह खेल अच्छा होगा, मगर यह खेल हम बहार खेल सकते है, वह बच्चा घर से बहार आया और भागने लगा था उसके बाद वह परिंदा उसे पकड़ने लगा था, दोनों काफी देर तक खेलते रहे थे, जब बच्चा थक गया तो कहने लगा की आज हम बहुत ज्यादा खेल खेल लिया है, कल भी इसी तरह हम दोनों खेलेंगे, परिंदा कहने लगा की कल मुझे जाना है और में अगले दिन वापिस आयूंगा, जब में वापिस आयूंगा तो साथ में खेलेंगे, कल मुझे किसी के पास जाना है, बच्चा कहने लगा की ठीक है, कल नहीं खेल सकते है हम दोनों अगले दिन ऐसा करेंगे
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जब बच्चा घर आया तो कहने लगा की हम दोनों आज बहुत खेले है, मगर माँ ने पूछा की किसके साथ खेला है, वह बच्चा कहने लगा की वह परिंदा जो हमारे पेड़ पर आकर बैठता है उसी के साथ खेला था, मगर माँ ने सोचा की बेटा ऐसे ही बाते कर रहा है, माँ ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया था, वह काम में लगा गयी थी, जब पिताजी घर आये तो बेटे ने कहा की में आज उस परिंदे के साथ खेला था पिताजी ने भी सोचा की बच्चा पता नहीं कहा की बात करता है, वह घर के अंदर चले गए थे,
अगले दिन वह परिंदा पेड़ पर नहीं था, सभी सोच रहे थे, की आज वह परिंदा कही नज़र नहीं आ रहा है तभी बेटा कहता है की आज वह नहीं आएगा, क्योकि आज वह कही गया है, माँ से बेटे ने कहा की वह कह रहा था की आज उसे किसी के पास जाना है, इसलिए वह आज नहीं आएगा, उसकी बाते कुछ अजीब लग रही थी, माँ ने सोचा की यह पता नहीं क्या बात कर रहा है परिंदा हमे सुन सकता है, और हम उसकी बाते सुन सकते है यह तो हो ही नहीं सकता है बेटा पता नहीं किसी बाते करता है
माँ अपने काम में लग जाती है और पिताजी बहार चले जाते है, बीटा भी खेलने लग जाता है लेकिन माँ का दिमाग कुछ सोचने लग जाता है, बच्चा अपनी और से बाते नहीं बना सकता है उसके साथ कुछ हुआ है जो ऐसी बाते कर रहा है, हमे पता लगाना होगा की क्या बात है, मगर कैसे पता चल पायेगा, माँ यही सोच रही थी, कुछ तो पता चल जाएगा, मगर पता कैसे किया जाए, बेटा कह रहा था की आज वह परिंदा बहार गया है और यह अब उस परिंदे ने उसे बताया है, आज सच में परिंदा अभी तक नहीं आया है
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शाम हो चुकी लेकिन वह नज़र नहीं आ रहा था, इसका मतलब कुछ बात है जो हमे पता नहीं है अगली सुबह ही परिंदा पेड़ पर आकर बैठ गया था मगर वह अकेला नहीं था उसके साथ और कोई भी नज़र आ रहा था, मगर यह कौन है, वह बच्चा पेड़ के पास आता है और कहता है की आज हम दोनों खेलेंगे. परिंदा कहता है की आज मेरा दोस्त भी यहां पर आ गया है हम दोनों साथ में खेलते है, वह बच्चा घर से बहार चला जाता है माँ जब अंदर से बहार आती है तो देखती है की बच्चा पता नहीं कहा चला गया है, वह उसे बहार देखने जाती है,
तभी वह दोनों परिंदे को साथ में उड़ते हुए देखती है बच्चा उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहा है मगर वह उन्हें पकड़ नहीं पा रहा है, माँ को कुछ अजीब लगता है, क्योकि दोनों परिंदे साथ में थे, और बच्चा उनके पीछे दौड़ रहा था, माँ बच्चे के पास जाती है और वह दोनों परिंदे उड़ जाते है, अब यह क्या हो रहा है, परिंदे कहा चले गए है, कुछ समझ में नहीं आ रहा है दोनों तो अब यही पर थे,
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माँ घर वापिस आ जाती है, उन्हें कुछ समझ में नहीं आता है, की यह सब क्या हो रहा है, यह मेरा वहम है या सच में ऐसा हो रहा है, पता नहीं क्या है, मगर कुछ तो अजीब हो रहा है, वह घर आ जाती है, अपने बेटे से पूछती है की वह दोनों परिंदे वहा पर क्या कर रहे थे, वह दूसरा परिंदा कहा से आया था, बच्चा कहने लगा की वह उसका दोस्त है, वह अपने दोस्त को भी साथ में लाया था, उसे अपने बेटे पर कुछ शक होता है वह ऐसी हरकत क्यों कर रहा है,
जब शाम को पिताजी घर आते है तो उनकी पत्नी सभी बाते उन्हें बताती है, वह कहते है की तुम्हे ज्यादा सोचना नहीं चाहिए कुछ भी नहीं हुआ है, क्या कभी परिंदे बात करते है हम उन्हें सुन सकते है, जब ऐसा नहीं होता है, तो तुम्हे इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए, तुम बच्चे की बात पर कहा तक यकीन कर सकती हो, अपने पति की बात मानकर वह चुप हो जाती है, मगर मन में यही ख्याल आता है की कुछ अलग है जो समझ में नहीं आ रहा है
अगली सुबह वह दोनों परिंदे पेड़ पर होते है, माँ उन्हें देखती है और कहती है की यह दूसरा कौन है, पहले तो यहां पर एक ही परिंदा नज़र आता था अब दो नज़र आ रहे है, पति भी अंदर से बहार आता है पत्नी कहती है की आप देख रहे है की यहां पर दो परिंदे है, पति कहता है की इसमें सोचना क्या है कही और से दूसरा आ गया होगा, पता नहीं तुम किन बातो को लेकर बैठ गयी हो, मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है, अब मुझे देर हो रही है चलना चाहिए,
पति अपने काम पर चला जाता है पत्नी सोचती है, की कोई भी यकीन नहीं कर रहा है, तभी पत्नी का भाई आ जाता है और कहता है की सब ठीक है, क्योकि बहुत दिन हो गए है, तुम घर नहीं आयी थी, इसलिए माँ ने कहा की जब भी उधर की और जाना हो, तो मिलकर जरूर आना है, बहन कहती है यहां पर सब ठीक है अब बताओ घर में सब कैसे है, सभी ठीक है और तुम्हे याद कर रहे है, तुम घर भी आ जाना, क्योकि सभी याद कर रहे है, बहन कहती है की में कुछ दिन में आती हु,
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भाई कहता है की तुम कुछ सोच रही हो, बहन कहती है की एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही है की यहां पर कुछ अलग हो रहा है कुछ दिन से मेरा बेटा एक ही बात कहता है की में परिंदे के साथ खेलता हु, वह परिंदे इस पेड़ पर आकर बैठ जाते है, वह पहले तो एक था मगर अब दो नज़र आते है ऐसा लगता है की वह दूसरा भी कही से आया है, बेटा कहता है की वह उसका दोस्त है, जब में बेटे को देखने गयी तो मेरा बेटा उनके साथ में खेल रहा था,
क्या ऐसा भी हो सकता है की कोई परिंदा बात कर सकता है मुझे तो डर लग रहा है, भाई कहता है की ऐसा कभी भी नहीं हो सकता है मगर ऐसा लगता है तो हम देख सकते है, जब भी बेटा उनके साथ में खेलता है तो हम देखते है की क्या होता है दोनों इसका इंतज़ार करते है कुछ देर बाद बेटा बहार चला जाता है जब दोनों भाई बहन देखते है तो बेटा उनके साथ में खेल रहा था यकीन नहीं हो रहा था मगर अब यकीन हो गया था, कुछ तो अजीब हो रहा था
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अब इस बारे में शाम को जब पति आयंगे तो बात करते है, क्योकि ऐसा होना कोई आम बात नहीं है, कभी मेरे बेटा कोई मुसीबत में न पड़ जाए, इसलिए भाई भी उस दिन घर पर ही रुक गया था, वह मिला भी नहीं था जब शाम को पति घर आये तो पत्नी ने कहा की मुझे बात करनी है पति कहने लगा की ठीक है बात करते है और तुम्हारा भाई भी आया है उसके लिए खाने का इंतज़ाम करो जब सबने खाना खा लिया तो पति पत्नी और उसका भाई सभी बैठे थे भाई ने कहा की यहां पर कुछ अजीब चल रहा है,
जब बहन ने बताया की वह परिंदा और मेरा बेटा खेलता है तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था मगर जब मेने देखा तो अब भी यकीन नहीं हो रहा है क्योकि ऐसा नहीं हो सकता था, मुहे तो ऐसा भी लगता है की वह परिंदा बात करता है जोकि अच्छी बात नहीं है, क्योकि कोई भी परिंदा हमारी भाषा नहीं समझ सकता है पति को कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्या हो रहा है, इसलिए उसने कहा की ठीक है हम यह सब पता करते है, की क्या हो रहा है, लेकिन अभी रात हो चुकी है, अभी सो जाते है सुबह इस बारे में बात करते है, जब सुबह हुई तो पति पत्नी और भाई ने देखा की बेटा बहार बात कर रहा था कोई भी बहार नहीं गया था
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बेटा बहार बात कर रहा था, सभी ने खिड़की में से देखा की परिंदा भी बातो का जवाब दे रहा था, उन्हें तो यकीन नहीं हो रहा था, की यह सब क्या हो रहा है, कुछ देर तक वह सब बाते सुनते रहे परिंदा कह रहा था, की तुम्हारे मामा आये है, वह बहुत अच्छे आदमी है, में उन्हें बहुत समय से देख रहा हु, तुम्हारे माता-पिता भी बहुत अच्छे है जो मुझे हर रोज खाने को देते है, तुम भी बहुत अच्छे हो जो मेरे साथ खेलते हो, जब तुम मेरे साथ में खेलते हो तो मुझे अच्छा लगता है,
इसलियए में अपने दोस्त को भी लेजकर आया हु, जिससे वह भी तुम्हारे साथ में खेले तुम यही चाहते हो की तुम्हारे साथ में सभी खेले तो हम दोनों साथ में खेलते है, तुम्हे भी अच्छा लगता है और हमे भी, आज शाम को भी हम दोनों वही पर मिलेंगे जिस जगह पर हम हर रोज खेलते है, तुम वही पर आ जाना, उसके बाद दोनों उड़ गए थे, जब परिंदे उड़े तो पति और पत्नी का भाई उनके पीछे बहार चले गए थे वह देखना चाहते थे की यह दोनों कहा से आते है, काफी दूर तक वह उड़ते रहे थे
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जब वह दोनों एक पेड़ पर बैठ गए तो यही पर बैठे रहे थे, दोनों आदमी वापिस आने लगे थे, सोच रहे थे की क्या किया जाए मगर बहुत सोचने पर उन्हें यह विचार आया की कुछ भी नहीं है, वह बेटे के साथ खेलते है, और इससे जयादा कुछ भी नहीं है, हमे यह बात यही पर भूल जानी चाहिए वह घर आते है, और कहते है की सब ठीक यह तो हमारा बेटा बहुत अच्छा है जिसे वह दोस्त मिले जो किसी को भी है मिल सकते है, हमे सोचना चाहिए जैसा है चलते रहने दो, सब ठीक है,
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मुझे बचपन से ही जानवरों, पशु पक्षियों की कहानियां पढना बहुत पसंद था| आपकी यह कहानी मुझे काफी अच्छी लगी!
इस संकलन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद…