सीखने की कला हिंदी कहानी, story in hindi

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सीखने की कला हिंदी कहानी, (story in hindi) आपको पसंद आएगी क्योकि जीवन में हमे अपने कार्यो पर ध्यान देना चाहिए तभी हम कुछ कर पाएंगे.

सीखने की कला हिंदी कहानी : story in hindi

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एक गांव में एक आदमी रहता था लेकिन वह कुछ भी नहीं करता था उसके परिवार वाले यही कहते थे कि अगर तुम कुछ नहीं करोगे तो जीवन में कभी कुछ भी नहीं बन पाओगे लेकिन वह आदमी इतना आलसी था कि अगर कोई भी काम करने लग जाए तो कुछ ही देर में उसे बहुत बोर हो जाता था और उसे बंद कर देता था उसकी आदत बहुत ही खराब हो चुकी थी और वह कोई भी काम करने को तैयार नहीं रहता था

 

उसके पिताजी कहते थे कि अगर तुम कुछ भी नहीं कर पाओगे तो तुम्हें यहां से जाना होगा उसके पिताजी ने इसलिए उससे यह कहा था जिससे वह काम में अपना मन लगा पाए लेकिन वह इस बात का मतलब ही कुछ और निकालने लगा था जैसे ही उसने यह सुना तो वह घर छोड़कर चला गया जब वह कुछ ही दूरी पर पहुंचा था तो उसे सामने से आते हुए एक साधु जी दिखाई दिए उस आदमी ने साधु जी को प्रणाम किया और कहने लगा कि मुझे अपना घर छोड़ना पड़ा है

 

क्योंकि मैं कोई भी काम नहीं कर पाता हूं इसलिए सभी लोग परेशान हो गए हैं मुझसे इतने परेशान हो गए हैं क्योंकि वह कहने लगे हैं कि अगर तुम कुछ नहीं कर पाओगे तो तुम्हें यहां से जाना होगा इसलिए मैं घर छोड़ कर यहां से जा रहा हूं लेकिन मुझे कोई भी रास्ता नजर नहीं आ रहा है इसलिए आप मुझे सही रास्ता दिखाने की कृपा करें साधु महाराज जी ने कहा कि इस वक्त मैं बहुत थका हुआ हूं तुम मेरे साथ मेरे आश्रम चलो वहीं पर मैं तुम्हें बता देता हूं दोनों आश्रम पहुंच गए वह आदमी बहुत थका हुआ लग रहा था वह कहने लगा कि मुझे बहुत भूख लग रही है

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साधु महाराज जी ने अपने शिष्य से कहा कि हमारे लिए भोजन का प्रबंध कीजिए और शिष्य उनका भोजन बनाने लगे कुछ देर बाद जब भोजन बन के आया तो साधु महाराज जी ने कहा कि तुम्हें बहुत भूख लग रही है तुम भी ग्रहण कर लो उसके बाद में आराम से बात करते हैं उसके बाद जब भोजन हो गया तो साधु महाराज जी ने पूछा कि तुम्हारी समस्या क्या है तुम किस वजह से परेशान हो सबसे पहले तुम्हें मुझे वह बात बतानी होगी वह बोला कि मेरा किसी भी काम में मन नहीं लगता है मैं जब भी कोई काम करने जाता हूं बहुत जल्दी थक जाता हूं और उससे बोर हो जाता हूं

 

इसी कारण मैं बहुत परेशान हो चुका हूं साधु महाराज जी ने कहा कि जो शिष्य हमारे लिए खाना लेकर आए थे क्या तुमने उन्हें देखा वह आदमी बोला कि मैं आपकी बात नहीं समझ पा रहा हूं तभी कहा कि मेरे शिष्य आपके लिए खाना बनाया यह बात तो आप जानते ही हैं मैंने देखा वह खाना बना रहा था साधु महाराज जी ने समझाया कि जब हमारे लिए खाना बना रहा था उसके बाद जब खाना बन चुका तो तुमने भोजन ग्रहण किया वह आदमी बोला कि आप सही कह रहे हैं मैंने भोजन ग्रहण किया लेकिन इस बात का मतलब क्या है तभी साधु महाराज जी बोले कि अगर वह हमारे लिए भोजन नहीं बना पाता तो

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तुम्हें बहुत भूख लग रही थी तो तुम क्या करते हैं उस आदमी ने कहा कि यह हो सकता है कि भूख से मेरी तबीयत खराब हो जाती है और आप लोग परेशान हो जाते हैं साधु जी ने कहा कि तुम ठीक कह रहे हो जीवन में जब तक हम काम नहीं करेंगे तब तक हमें भोजन नहीं मिल पाएगा यह बात तुम भली-भांति जानते हो उस आदमी ने कहा की आप सही कह रहे हैं अगर मैं काम नहीं करूंगा तो मुझे भोजन नहीं मिल पाएगा लेकिन मेरा तो काम करने में मन ही नहीं लगता यह बात तो मैंने आपको बताई थी साधु महाराज जी ने कहा कि मैं समझ गया हूं तुमने मुझे बताया था कि तुम्हारा मन नहीं लगता

 

लेकिन तुम्हारा मन क्यों नहीं लगता है यह तुमने अभी तक मुझे नहीं बताया है वह आदमी बोला है कि मैंने आपको कुछ देर पहले ही बताया था कि मेरा किसी भी काम में मन नहीं लगता है साधु महाराज जी ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम ने अभी तक कोई भी कार्य नहीं किया है अगर तुम कार्य को करते रहते तो तुम्हारा मन ऐसा नहीं होता जैसा तुम मुझे बता रहे हो उसके बाद साधु महाराज जी ने कहा कि इसका जवाब तो शाम को मिल जाएगा जब शाम हुई तो साधु महाराज जी ने कहा कि मेरे शिष्य अभी कुछ सामान लेने के लिए बाहर गया है तुम्हें ही भोजन की व्यवस्था करनी होगी नहीं तो हम भूख से परेशान हो जाएंगे और हमारी तबीयत खराब हो सकती है

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उसके बाद वह आदमी खाने बनाने लगा उसे बहुत भूख लग रही थी साधु महाराज इस बात को जानते थे कि जब उसे भूख लगेगी तो वह अपने लिए कुछ ना कुछ जरूर बनाएगा तभी उस आदमी ने कुछ देर बाद भोजन तैयार कर लिया और कहने लगे कि भोजन बन चुका है आप भी ग्रहण कर लीजिए जब भोजन साधु महाराज जी कर रहे थे अच्छा नहीं लगा था क्योंकि उसने अभी तक भी भोजन बनाने की कला को नहीं सीखा था लेकिन साधु महाराज जी जानते थे कि वह एक काम को करने के लिए तैयार था

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क्योंकि से भूख लग रही थी तभी साधु जी ने समझाया कि अभी तक तुम्हें इस चीज की जरूरत नहीं थी इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा था जब तुम्हें जरूरत होने लगी तब तुम काम को भी धीरे-धीरे सीखने लगे जब तक इंसान को किसी चीज की जरूरत नहीं होती है तब तक वह कुछ भी नहीं कर पाता लेकिन जैसे ही जरूरत पड़ती है तो वह उस कार्य को करने लगता है इसलिए जीवन में कार्य करना बहुत जरूरी है

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तुम्हें अब घर जाना चाहिए और अपने कार्य सीखना चाहिए साधु जी की बात को भी बहुत ही आसानी समझ गया और वह अपने घर पर चला गया उसके बाद उसने अपने घर के सभी कार्य किया और अपनी खेती को भी संभालना शुरू कर दिया था इसलिए जीवन में सभी को कार्य करने चाहिए क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि इस कार्य की आवश्यकता कब पड़ जाए.

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One thought on “सीखने की कला हिंदी कहानी, story in hindi”

  1. Upendar Kumar says:

    I like all story very good story bhai jee
    Getna v taaref karu aapke story ko utna he kam hoga….. really great story

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