Moral story in hindi
Moral story in hindi, ये कहानी एक साधू और नन्ही सी गिलहरी की है. इस कहानी से आपको कुछ ना कुछ सिखने को जरूर मिलेगा. साधू जीवन के रहस्यों को खोजने के लिए कई दिनों तक तपस्या और कठोर साधना में लगे रहे, पर आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई. थक हारकर उन्होंने तपस्या छोड़कर घर लौटने का निश्चय किया. दुख और पराजय की भावना ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था. वह लड़खड़ाते कदमों से वापस आ रहे थे. रास्ते में उन्हें प्यास लगी. पानी पीने के लिए वह एक नदी के किनारे गए.
साधू और गिलहरी की कहानी :- moral story in hindi
सामने उन्हें एक अजीब नजारा दिखाई दिया. एक नन्ही कंटो नदी के जल में अपनी पूंछ भिगोकर पानी बाहर छिड़क रही थी. कंटो बिना थके अविचल भाव से इस कार्य को करती जा रही थी. साधू को उत्सुकता हुई. उन्होंने कंटो से पूछा, प्यारी कंटो, तुम यह क्या कर रही हो. कंटो ने विनम्रता से उत्तर दिया, इस नदी ने मेरे बच्चों को बहाकर मार डाला. मैं उसी का बदला ले रही हूं. मैं नदी को सुखाकर ही छोडूंगी.
“साधू” ने कहा, तुम्हारी छोटी सी पूंछ में भला कितनी बूंदें आती होंगी. तुम्हारे इतने छोटे से बल और सीमित साधनों से यह नदी कैसे सूख सकेगी. इतना बड़ा काम असंभव है. तुम इसे कभी खाली नहीं कर सकती. कंटो बोली, यह नदी कब खाली होगी, यह मैं नहीं जानती. लेकिन मैं अपने काम में निरंतर लगी रहूंगी. मैं श्रम करने और कठिनाइयों से टकराने के लिए तैयार हूं फिर मुझे सफलता क्यों नहीं मिलेगी.
“साधू” सोचने लगा कि जब यह नन्ही कंटो अपने थोड़े से साधनों सें इतना बड़ा कार्य करने का स्वप्न देखती है, तब भला मैं उच्च मस्तिष्क और मजबूत विकसित मनुष्य अपनी मंजिल को क्यों नहीं पा सकता. ठीक ही कहा जाता है कि कठिनाइयों से लड़ने के संकल्प से ही मनुष्य में शक्ति का संचार होता है जिसके बूते वह सफलता हासिल करता है.
मुसीबतों से लोहा लेकर ही मनुष्य का चरित्र चमकता है और उसमें देवत्व का विकास होता है. यह सोचकर वह फिर साधना के लिए लौट पड़े. तो देखा आपने संकल्प की शक्ति कितनी बड़ी होती है. छोटे से छोटा जीव भी संकल्प के साथ बड़ा काम करने की सोचता है, तो इसी प्रकार हमे भी आपने काम को एक संकल्प के साथ ही पूर्ण करना चाहिए.
साधु जी और एक आदमी की नयी मोरल हिंदी कहानी :- Moral story in hindi
एक बार की बात है “साधु जी” बहुत ही भूखे नजर आ रहे थे “साधु जी” सोच रहे थे कि अगर मुझे आज खाना नहीं मिला तो हो सकता है कि मेरी तबीयत खराब हो हो सकती है मैंने कल से कुछ नहीं खाया है लेकिन वह “साधु” महाराज बहुत ही ज्ञानी थे अगर उनसे ज्ञान लिया जाए तो जीवन सफल हो सकता था
साधु महाराज जी ने आज सोचा कि आज जो भी मुझे सबसे पहले भोजन कर आएगा मैं उसे बहुत सारा धन दूंगा जिससे कि उसकी समस्याएं दूर हो जाएंगी इस तरह साधु महाराज जी खाने के लिए सभी के द्वार पर जाते हैं वह एक आदमी के घर पहुंचते हैं और उनसे खाने के लिए मांगते हैं वह आदमी बाहर आता है और कहता है कि हमारे पास कुछ नहीं है बाबा, आप आगे बढ़ जाए साधु महाराज जी ने सोचा की कोई बात नहीं है मुझे आगे बढ़ जाना चाहिए
क्योंकि यहां पर किसी के भी मन में खाना खिलाने की कोई भी इच्छा नहीं है “साधु” जी ने देखा कि सभी आगे जाने को कह रहे हैं, लेकिन किसी ने अभी तक मुझे कुछ भी नहीं दिया तभी वह एक छोटी सी झोपड़ी के पास पहुंचते हैं जहां पर एक आदमी रोटियां बना रहा था “साधु” महाराज जी को वह आदमी बहुत ही सज्जन लग रहा था लेकिन “साधु” महाराज यह देख रहे थे कि वह बहुत ही करीब है और उसके पास अधिक सामान भी नहीं है वह एक झोपड़ी में रहता है और अपने लिए भोजन तैयार कर रहा है
तभी “साधु” महाराज जी ने उस आदमी को आवाज लगाई और कहा कि मुझे खाने के लिए दीजिए झोपड़ी से बाहर एक आदमी आता है और उसके हाथ में भोजन होता है “साधु” महाराज जी को भोजन करने के लिए कहता है “साधु” जी देखते हैं इसका मन बहुत ही साफ है वह सभी के लिए कुछ न कुछ करने के लिए हमेशा ही तैयार रहता है आज उसने मुझे भोजन कराया और उसके पास अब भोजन करने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि जो भोजन उसने अपने लिए बनाया था वह “साधु” महाराज जी को दे दिया था
“साधु” महाराज जी ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि तुम्हारे पास अब भोजन बचा है क्योंकि मैंने तुम्हारा भोजन कर लिया है तभी वह आदमी कहता है कि यह तो समय की बात है आप जब आए जब मैं भोजन बना रहा था शायद आपके भाग्य में वह भोजन था इसलिए आपको मिल गया “साधु” महाराज जी ने कहा कि अगर तुम्हारी कोई भी इच्छा हो तो तुम मुझसे मांग सकते हो तभी वह आदमी कहता है कि मेरी तो एक ही इच्छा है कि मैं जीवन भर खुश रहूं और इससे अधिक मुझे और कुछ नहीं चाहिए
यह सुनकर “साधु” महाराज जी को बड़ी खुशी हुई क्योंकि वह आदमी मन से निर्मल है, “साधु” महाराज जी वहां से जाने लगते हैं उसके बाद “साधु” कुछ दूरी पर रुक कर उसे आशीर्वाद देते हैं कि आज उसके घर में बहुत सारा धन आ जाएगा और उसके बाद वह चले जाते हैं जब रात होती है तो वह आदमी देखता है की झोपड़ी में बहुत सारा सोना आ गया है जबकि उसके पास तो धन बिल्कुल भी नहीं था
वह समझ जाता है कि यह सब कुछ “साधु” महाराज जी की वजह से हुआ है उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया होगा जिससे कि मुझे धन की प्राप्ति हो सके वह “साधु” महाराज जी बहुत बड़े ज्ञानी है मेरे मन की बात को समझ गए हैं यह कहानी हमें इस बात की ओर संकेत करती है कि जीवन में हमें सभी की मदद करनी चाहिए और जिन्हें भूख लगती है उन्हें भोजन कराना चाहिए शायद इससे आपके आने वाले जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सके
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