जाधव ताऊ की कहानी, Jadhav Tau story in hindi

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Jadhav Tau story in hindi

जाधव ताऊ की कहानी

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Jadhav Tau hindi story

बात है रामपुर के गांव  की. जहाँ का एक जाधव ताऊ जिसका नाम जाधव था वो बड़ा ही मशहूर हुआ करता था. एक समय की बात है. जब जाधव ताऊ जवान हुआ करता था. जाधव ताऊ घर पर सोया था. ओर उधर नहर वाले खेत के पास से तीन अजनबी लोग गुजर रहे थे. दोपहर का समय था. ओर आसपास भी कोई नही था. अब तीनो ने सोचा चलो खेत मे चने लगे हे.

 

ओर आसपास भी कॊई नही. ओर हमे भूख भी लगी हे. तो चने खाये जाये. यह तीनो लोग मे से एक संत था. एक क्षत्रिय था. ओर एक नाई. बहुत सोच समझ के बाद तीनो ने चने उखाडे ओर वही बेठ के खाने लगे. जाधव ताऊ घर मे बेठा मक्खी मार रहा था. तभी ताई ने कहा जरा खेतो मे देख आ कोई जानवार ना घुस गया हो. बात जाधव ताऊ के दिमाग मे आई.

जाधव ताऊ डंडा ले कर खेतो की तरफ़ चल पडा. अब जाधव ताऊ ने दुर से देखा कि तीन लोग चने के पोधे उखाड उखाड कर फ़सल खराब कर रहे है. खाते कम ओर नुक्सान ज्यादा कर रहे हे. गुस्सा तो जाधव ताऊ को बहुत आया. फ़िर जाधव ताऊ ने चारो ओर देखा. आसपास कोई नजर भी नही आया. अब जाधव ताऊ ने सोचा कि सीधा जाकर अगर मेने लडाई की तो यह तीन है.

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ओर मै अकेला कही यह भारी ना पड जाये. तो फ़िर जाधव ताऊ ने अपनी बुद्धी का प्रयोग किया. केसे. जाधव ताऊ गया उन के पास ओर पहले आदमी से बोला भाई साहब आप कोन. जबाब मे उस ने कहा मे एक संत हुं. तो जाधव ताऊ बडा खुश हुआ. बोला महा राज आप ने तो मेरा खेत ही पबित्र कर दिया अरे मुझे हुकम देते मे घर पर छोड आता.

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खाईये जितना चाहे.ओर हां अगर आप को घर के लिये भी चाहिये तो मे अपनी बेलगाडी से आप के घर पर चार पांच गठरी चनो की छोड आऊगां फ़िर जाधव ताऊ दुसरे आदमी के पास गय. ओर बोला भाई सहाब आप कोन? तो उसने कहा मै क्षत्रिय हुं. इतना सुनते ही जाधव ताऊ बोला अरे कुवर जी आप तो हमारे अन्नदाता है. मेरे कितने अच्छॆ भाग्या है मेरे कुवरं साहब पाधारे आप भी खाईये जितना चाहे. अगर घर के लिये भी चाहिये तो हुकम मेरे महाराज कुवर साहव. अब आप खाईये मै जरा इन से बात कर लू. फ़िर जाधव ताऊ तीसरे के पास गये. ओर बोले भाई साहब आप कोन तो तीसरा आदमी बोला जी मै नाई. अब जाधव ताऊ बोला नाइ तेरी हिम्मत केसे हुयी मेरे खेत मे घुसने की. इन संत ने चने उखाडे यह हमरे पुजनिया है.

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हमारे विवाह शादी पर . किसी के मरने पर. दुख सुख मे हमे कथा सुनाते हे काम आते है. ओर यह कुवर साहब तो हमारी सरकार है. हमारे राजा. यह भि दुख सुख मे हमारे काम आते है. संत ओर क्षत्रिय दोनो नाई को पिटता देख कर खुश हो रहे थे. जब जाधव ताऊ ने नाई को अच्छी तरह से बजा दिया तो उसे टागं से पकड कर खेत से बाहर फ़ेंक दिया.फ़िर जाधव ताऊ आया उस क्षत्रिय की तरफ़ तौ बोला संत तो हमारे पुज्निय ठहरे . लेकिन आप ने फ़िर क्यु उखाडे हमारे चने.

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हे बोलो ओर फ़िर जाधव ताऊ ने अपना डंडा उस क्षत्रिय पर खुब मांजा.क्षत्रिय को पिटाता देख कर नाई ओर संत बहुत खुश हुये. नाई मन ही मन कह रहा था जब मेरी पिटाई हुयी तो बहुत खुश था अब तु भी पिट. ओर जाधव ताऊ ने उसे भी मारा. उधर संत कह रहा था तो जाधव ताऊ ने उसे भी इतना मारा कि बेचारे से खडा भी ना हो पाया जा रहा था. ओर उसे भी टांग से पकड कर नाई की बगल मे फ़ेंक दिया.

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उधर क्षत्रिय सोच रहा था अब गाव मे जा कर यह संत हम दोनो की खिली उडायेगा. देखो नाई ओर क्षत्रिय खुब पिटे. ओर हमे देख देख कर खुश भी हो रहा था. हे भगवान इस की भि पिटाई करवा.ओर अब जाधव ताऊ चले संत की ओर . ओर बोले पूजनीय जी अब आप की भी पुजा हो जाये तो केसा रहेगा.क्यो मेरे पुजनिया क्या यह खेत युही तेयार हो जाता है क्या. अरे इस मे बीज डालना पडता है. खाद डालनी पडती है. फ़िर मेहनत ओर फ़िर इस की हिफ़ाजत करनी पडती है. जब आप पुजा वगेरा करते हो तो कोई एक पेसा भी कम लेते हो.

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