क्रोध का फल दो हिंदी कहानी, Hindi kahani

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Hindi kahani, दोस्तों आज मैं आपको तड़ित और भूचाल की एक कहानी सुनाने जा रहा हु जो की बाप और बेटी थे. उन से गांव के सभी लोग परेशान रहते थे. तो क्या हुआ उनके साथ, वो हम इस कहानी मैं पढ़ेंगे. बहुत साल पहले की बात है जब एक गांव मैं तड़ित और भूचाल धरती पर मनुष्यों के बीच रहा करते थे.

क्रोध का फल दो हिंदी कहानी :- Hindi kahani

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राजा विक्रम ने उन्हें मनुष्यों की बस्ती से दूर रखा था. तड़ित भूचाल की बेटी थी. जब कभी किसी बात पर तड़ित “क्रोधित” हो उठती, वह तड़प कर किसी के घर पर गिरती और उसे जला देती या किसी पेड़ को राख कर देती, या खेत की फसल नष्ट कर देती. मनुष्य को भी वह अपनी आग से जला देती थी. जब जब तड़ित ऐसा करती, उसके पिता भूचाल गरज गरजकर उसे रोकने की चेष्टा करते. किंतु तड़ित बड़ी ढीठ थी. वह पिता का कहना बिलकुल नहीं मानती थी. यहाँ तक कि भूचाल का लगातार गरजना मनुष्यों के लिए सिरदर्द हो उठा. उसने जाकर राजा विक्रम से इसकी शिकायत की. राजा विक्रम को उसकी शिकायत वाजिब लगी.

राजा और मंत्री की कहानी 

एक छोटी सी मदद की कहानी

उन्होंने भूचाल और उसकी बेटी तड़ित को तुरंत शहर छोड़ देने की आज्ञा दी और बहुत दूर जंगलों में जाकर रहने को कहा. किंतु इससे भी समस्या का समाधान नहीं हुआ. तड़ित जब नाराज होती, जंगल के पेड़ जला डालती. कभी कभी पास के खेतों का भी नुकसान कर डालती. मनुष्य को यह भी सहन न हुआ. उसने फिर राजा विक्रम से शिकायत की.राजा विक्रम बेहद नाराज हो उठा. उसने भूचाल और तड़ित को धरती से निकाल दिया और उन्हें आकाश में रहने की आज्ञा दी, जहाँ से वे मनुष्य का उतना नुकसान नहीं कर सकते थे जितना की धरती पर रहकर करते थे. तभी सही कहा गया है की “क्रोध” का फल सदा ही बुरा होता है. इसलिए हमे ज्यादा “क्रोध” नहीं करना चाहिए.और सदा ही शांत रहने का सोचना चाहिए.

 

साधु बाबा और एक आदमी का क्रोध की कहानी :- Hindi kahani

यह कहानी एक “साधु बाबा” जी की है वह अपने एक शिष्य के साथ आश्रम की ओर जा रहे थे उनका शिष्य अपने ही साधु महाराज जी को बहुत अच्छी तरह से जानता था उनकी आदत को भी वह बहुत अच्छी तरह से समझता था रास्ते में हूं एक आदमी मिलता है वह “साधु बाबा” से कुछ पूछना चाहता है साधु बाबा उसे कहते हैं कि तुम हमसे प्रश्न पूछ सकते हो

 

वह आदमी गुस्से में लग रहा था वह “साधु बाबा” से कहता है कि भगवान कहीं भी नहीं है इसलिए मुझे उनके अस्तित्व पर कोई यकीन नहीं है मुझे ऐसा लगता है कि भगवान किसी की भी मदद करने के लिए नहीं आते हैं साधु महाराज जी उसे समझाने लगते हैं लेकिन वह समझने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था क्योंकि वह कहता था कि अगर भगवान् होते तो हमारे सामने बहुत सारी मुसीबत नहीं आती

 

वह हमारी सभी परेशानियों को दूर करने के लिए हमारी मदद करते लेकिन मुझे लगता है कि वह यहां पर नहीं है और मुझे यह भी लगता है कि वह किसी की मदद नहीं करते हैं साधु महाराज जी उसे अच्छी तरह से समझाना चाहते थे लेकिन वह समझने के लिए तैयार नहीं था और वह साधु महाराज से भी झगड़ा करने लग गया था “साधु बाबा” जी को बुरा भला कह रहा था महाराज जी का शिष्य सुन रहा था उसे बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि साधु महाराज जी के लिए वह बहुत ही गलत बोल रहा था लेकिन जैसे ही वह उस आदमी से कुछ कहने के लिए उस आदमी की तरफ देखता है

 

तभी “साधु बाबा” जी कहते हैं कि तुम्हें कुछ नहीं कहना है अब हमें आश्रम की ओर चलना चाहिए वह आदमी  साधु महाराज जी को बुरा भला कहता रहा लेकिन “साधु बाबा” जी ने उसे कुछ नहीं कहा और अपने आश्रम की ओर चल दिए शिष्य पूछने लगा कि आपने ऐसा क्यों किया क्योंकि को बुरा कह रहा था फिर भी आपने उसे कोई जवाब नहीं दिया मुझे यह सुनकर बहुत बुरा लग रहा है लेकिन आपको तो इससे ज्यादा बुरा लगा होगा क्योंकि वह आपके बारे में कह रहा था

 

“साधु बाबा” जी कहने लगे कि मुझे पता है वह मुझे बुरा कह रहा है लेकिन अगर हम भी उसे बुरा कहने लगते हैं तो इसमें कुछ भी ठीक नहीं है वह हमारी बात सुनने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं होगा क्योंकि उसे हमारी बात नहीं सुननी है अगर हम भी उसी बहस में वहीं पर रुक जाएंगे तो यह बहस खत्म नहीं होने वाली नहीं है बल्कि बढ़ती जाएगी अब हम उस आदमी से काफी दूर आ गए हैं और वह भी चुपचाप अपने घर चला जाएगा जीवन में कभी भी बहस नहीं करनी चाहिए जो समझना नहीं चाहता है उसे समझाने की जरूरत नहीं होती है

 

क्योंकि इसमें समझने की इच्छा होती तो वह हमारी बात को नहीं काट सकता था लेकिन वह सुनने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था इसलिए आपको इतनी समझ रखनी चाहिए कि अगर आपको कोई बुरा भला कह रहा है तो उससे कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है वहां से चले जाने में ही भलाई होती है क्योंकि इससे हमारी बहस भी आगे नहीं बढ़ती है और उस शायद उस आदमी को भी इस बारे में कुछ अच्छी सीख मिल जाए

 

आज से को गुरु जी का एक और ज्ञान मिल गया था जिससे कि वह अपने जीवन को और अच्छा बना सकता था इसलिए कभी भी क्रोध” नहीं करना चाहिए क्रोध” करने से हमारे जीवन में बहुत सारी परेशानियां आती हैं और उन परेशानियों को दूर करने के लिए अपने क्रोध” को शांत करना सीखना चाहिए अगर आपको यह कहानी पसंद आए तो आगे भी शेयर करें कमेंट करके हमें बताएं 

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