Danger bhoot ki kahani
danger bhoot ki kahani, भूत कही पर भी नज़र आ सकते है चाहे वो सुनसान जंगह पर हो या फिर किसी भीड़ वाली जंगह पर , वो सब जंगह होते है | ये जरूरी नहीं होता है की भूत या प्रेत केवल कब्रिस्तान या फिर सुनसान पड़ी हवेलियों मैं ही रहते है | बल्कि ये तो अपना वास कही पर भी कर लेते है |
ट्रैन मैं दिखा भूत हिंदी कहानी :- danger bhoot ki kahani
बस रह जाती है तो वो जंगह जो की भगवन की होती है यानी की मंदिर , चर्च या फिर मदरसा | ऐसे स्थानों पर भूत या प्रेतों का मिलना बहुत ही मुश्किल होता है | लेकिन क्या आप कभी सोच सकते हो की आपका भूत से सामना “ट्रेन” या बस मैं भी हो सकता है | जी हां आज मैं आप लोगो को “ट्रेन” मैं नज़र आने वाले भूत के बारे मैं बताने जा रहा हु |
मेरा नाम अजय सिंह है और मैं मुजफ्फरनगर का रहने वाला हु | मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी मैं काम करता हु और दिल्ली मैं किराए पर रहता हु | एक बार की बात है मैं दिवाली की छुट्टियों मैं अपने घर जाने के लिए रात की “ट्रेन” से दिल्ली से निकला | “ट्रेन” ट्रैक मैं कुछ खराबी होने के कारण “ट्रेन” दिल्ली से निकलने मैं काफी लेट हो गयी थी | लगभग मैं दिल्ली से रात 12.30 बजे निकला था | ट्रैन मेरठ स्टेशन पर आकर रुकी लगभग 2.30 बजे | मैं रात मैं जब निकला था तो कुछ खा के नहीं निकला था , तो मुझे बहुत ही ज्यादा भूख लग आयी थी | तो मैंने सोचा की क्यों न कुछ खा ही लिया जाए स्टेशन पर उतारकर |
तो मैं “ट्रेन” से निचे उतर गया और कुछ खाने के लिए ढूंढने लग गया | मुझे कोई भी खाने का आइटम नज़र नहीं आ रहा था तो मैं सोचा की आज तो भूखे पेट ही सोना पड़ेगा | तो मैंने “ट्रेन” मैं वापिस जाकर सोने की सोची और चल दिया ट्रैन की और | जैसे मैं ट्रैन मैं चढ़ने वाला था तभी मुझे किसी ने आवाज लगाई ” भाई साहब “, मैं रुका और उसकी और मुड़ा | मैंने उससे पूछा की क्या हुआ सर , उसने कहा ” क्या ये “ट्रेन” सहारनपुर जा रही है ” , तो मैंने कहा ये चंडीगढ़ जाएगी तो सहारनपुर होते हुए ही जाएगी | आप इसमें बैठ सकते है और वो आदमी मेरे ही कोच मैं , मेरी ही सामने वाली सीट पर बैठ गया |
“ट्रेन” स्टार्ट हुई और हम दोनों बैठे हुए बाते कर रहे थे एक दूसरे से , की तभी अचानक से “ट्रेन” के कोच की बिजली बंद हो गयी | कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था, “ट्रेन” मैं | मैं सामने बैठे हुए आदमी को आवाज़ लगा रहा था | लेकिन वो बिलकुल भी जवाब नहीं दे रहा था | मुझे लगा सायद वो सो गया है, लेकिन तुरंत ही एक दम से लाइट आ गयी और मैंने देखा की मेरे सामने वाली वाली सीट पर कोई भी नहीं है | मैं मुजफ्फरनगर के काफी नज़दीक आ चूका था , की तभी मेरे पास मेरे व्हाट्सप पर एक मैसेज आया और जैसे ही मैंने मैसेज देखा तो उसमे एक खबर थी की |
danger bhoot ki kahani, ये फोटो जिस आदमी की है उसकी कल रात ही “ट्रेन” से कटकर मोत हो गयी थी | और ये फोटो उसी आदमी की थी जो की मेरे सामने बैठा था | ये खबर पढ़कर तो मेरी रूह ही काँप गयी और मैं तुरंत ही स्टेशन आने पर “ट्रेन” से उतरकर अपने घर चला गया और ये सब बात अपनी फॅमिली को बताई | तब से मैं जब भी उस घटना को याद करता हु तो मैं बहुत डर जाता हु | तब से मैंने हमेशा ही दिन मैं सफर करता हु, रात मैं नहीं |
ट्रैन के डिब्बे में भूत की हिंदी कहानी :- danger bhoot ki kahani
वह ट्रेन का सफर भुलाये नहीं भूलता है ऐसा लगता है कि मानो आज की बात है उस दिन रात के समय में “ट्रेन” का सफर किया उससे अधिक डर कभी जिंदगी में नहीं लगा मुझे नहीं लगता था कि ऐसा कभी होगा लेकिन फिर भी मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ जो कि मैं यहां पर बताने जा रहा हूं शायद उस दिन के बाद मुझे रात में सफर करना अच्छा नहीं लगता था
यह बहुत समय पहले की बात है जिस “ट्रेन” से मैं अपने गांव जा रहा था उस डिब्बे में कोई नहीं था वह पूरा डिब्बा खाली हो चुका था यह रात का सफर था और ठंड बहुत अधिक थी कहीं पर भी कुछ नजर आता हुआ नजर नहीं आ रहा था “ट्रेन” धीमी अवस्था में चली जा रही थी और ऐसा लग रहा था कि कुछ समय बाद में स्टेशन भी आने वाला है लेकिन मैंने उसी डिब्बे में किसी को घूमते हुए देखा था उसकी आवाज मुझे महसूस हो रही थी जबकि उस डिब्बे में कोई भी नहीं था
मैं दो बार उस पूरे डिब्बे को देख चुका था वहां पर कोई नहीं था मैं अकेला ही था लेकिन वह आवाज किसकी आ रही थी ऐसा लग रहा था कि कोई चल रहा है मैंने सोचा कि मुझे चलकर देखना चाहिए कि वह कौन है तब मुझे कोई खड़ा हुआ नजर आया लेकिन एक पल के लिए वह नजर आता था और दूसरे पल में वह गायब हो जाता था उसे देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन फिर भी यह जानना था कि वह कौन है जो नजर आता है और फिर नजर नहीं आता है
“ट्रेन” के डिब्बे में घूमता हुआ उसकी और पहुंचा लेकिन वहां पर कोई नहीं था वह मानो गायब हो गया है जैसे यहां पर कोई है ही नहीं यह देख सोच रहा था कि जल्दी से जल्दी स्टेशन आ जाए क्योंकि इस डिब्बे में अधिक देर तक रुकना मेरे लिए संभव नहीं था मुझे बहुत डर लग रहा था जो कि दिखाई देता है यह “ट्रेन” जल्दी ही मेरे स्टेशन पर पहुंच जाए इस बारे में मुझे ख्याल आ रहा था तभी स्टेशन पर “ट्रेन” आ कर रुक गई और मैं बाहर निकल आया उसे स्टेशन पर उतरने वाला मैं ही सिर्फ एक था
रात के लगभग 2:00 बजे थे उस “ट्रेन” के सफर के बाद अपने गांव में जाना बहुत ही खतरनाक साबित हो रहा था चारों और ऐसा लग रहा था मानो वह परछाई मेरा पीछा कर रही है रास्ते पर अकेला चला जा रहा था कोई सवारी ना मिलने की वजह से धीरे-धीरे गांव के रास्ते को छोटे-छोटे कदमों से तय करता हु आगे बढ़ रहा था लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि वह “ट्रेन के डिब्बे” का भूत अभी भी मेरे पीछे है
danger bhoot ki kahani, शायद वह मेरे साथ चल रहा है यह मेरा वहम भी हो सकता है लेकिन मैंने जो देखा वह यहां पर बताया शायद यह घटना किसी के साथ हुई हो मुझे इस बारे में कोई ज्ञान नहीं लेकिन जो मैंने देखा वह बताना जरूरी समझा जीवन में कभी-कभी ऐसी समस्याएं आती हैं जिनका किसी को पता नहीं होता है लेकिन जब वह आ जाती है तो शायद इस बात का ज्ञान होता है कि जरूर कुछ है जो हमें समझ नहीं आता
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