bhoot pret ki kahani
क्या भूत होते है एक कहानी
bhoot pret ki kahani, kya bhoot hote hai, ये बात उन दिनों की है जब मैं अपने कॉलेज की छुट्टियों मैं अपने घर जा रहा था | मैं राजस्थान के दनकौर जिले का रहने वाला हु और मुंबई मैं पढता हु | मेरे परिवार मैं कुल 8 लोग रहते है | कुछ टाइम पहले मेरे दादा जी नहीं रहे थे, लेकिन लोगो का कहना था की वो अभी भी कुछो को दिखाई देते है | लेकिन हमारे परिवार मैं वो अब तक किसी को भी नहीं दिखाई दिए थे | लेकिन आखिर वो एक दिन आ ही गया जब मुझे भी अपने दादा जी के होने का अहसास हो गया , की वो अभी भी जिन्दा है और लोगो का ये कहना की वो दिखाई देते है , ये भी एक सच बात है की , उनका अस्तित्व अभी भी जिन्दा है |
मुझे बहुत ही अच्छे से याद है की मेरे दादा जी अचानक बीमार हो गए थे, वो हम सब लोगो से बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे , उनका हमेशा ये ही मानना था की अगर परिवार के सदस्य एक नहीं है , तो वो परिवार एक नहीं है | इसलिए वो हम सब को एक सॉझ जोड़ कर रखते थे | अब मैं आपको बताता हु की आखिर मैं मेरे साथ हुआ था क्या, जिस कारण से मैंने दादा जी के होने और भूतो के होने पर विश्वास किया | मैं जिस ट्रैन से अपने घर राजस्थान आ रहा था , उसमे मेरे साथ कुछ ऐसा घटा जो की मैं आपको बताने जा रहा हु | रात के लगभग 1 बजे होंगे , सभी लोग अपनी अपनी सीट पर सोये हुए थे |
मैं भी सो रहा था , लेकिन मुझे नींद मैं ऐसा लगा की किसी ने मेरा हाथ पकड़ा , मैं उठा और देखा तो कोई भी नज़र नहीं आया | सभी सो रहे थे | मुझे लगा सायद मेरा वहम होगा और मैं फिर से सो गया | कुछ देर बाद अब की बार किसी ने मेरा पैर पकड़ा | मैं एक दम से उठा तो कोई भी नहीं था वहा | अब मैं सोया नहीं और ये देखने लग गया की , कोंन है जो मुझे परेशान कर रहा है बार बार | अबकी बार तो मैं उसे पकड़ ही लगा | सोना हराम कर दिया है मेरा उसने | मैं लगभग आधे घंटे तक जगता रहा लेकिन कोई भी नहीं आया इस बार | मैं थक कर फिर से सो गया | की तभी मुझे एक आवाज सुनाई दे ” किशोर बेटा ” |
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मैं अपने दादा जी की आवाज को बहुत ही अच्छे से पहचानता हु , मैं उठा और मैंने कहा की ” दादा जी ” | देखा तो कोई भी नहीं था | अब तो मानो मेरी नींद ही गायब हो चुकी थी | मैं सीट से उतरा और कोच मैं इधर उधर घूमने लग गया |की तभी ट्रैन के एक गेट पर कोई खड़ा था ,
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bhoot pret ki kahani, kya bhoot hote hai, जब मैंने उन्हें पास जाकर देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि मेरे दादा जी ही थे | उन्हें देखकर मेरी आँखों मैं आंसू आ गए, मैं उन्हें गले लगाना चाहता था , पर नहीं लगा सकता था क्योकि वो जिन्दा नहीं थे | उन्होंने मुझसे बहुत सारी बात की और मैंने भी | उस दिन मुझे ये अहसास हुआ की मरने के बाद भी लोग जिन्दा रहते है | जिन्होंने दादा जी को देखा था , वो गलत नहीं थे |तभी तो लोग कहते है की भूत होते है |
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