shekh chilli ka safar hindi kahani

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 शेखचिल्ली का सफर

shekh chilli ka safar hindi kahani, एक दिन शेखचिल्ली बस में सफ़र कर रहा था जैसे ही वह बस में चढ़ा तो देखा कि सवारी तो बहुत ज्यादा थी और शेखचिल्ली को बैठने की जगह बिल्कुल भी नहीं मिल रही थी और वह सोचने लगा कि इस तरह तो मेरा सफ़र काफी लंबा है और मैं खड़े-खड़े कहां तक जाऊंगा.

 

फिर उसने सोचा कि ऐसे तो बात नहीं बनेगी मुझे तो सीट चाहिए अब वह सीट की तलाशी करने लगा कि कहां पर मुझे जगह मिल सकती है तभी पीछे की सीट पर दो औरतें बैठी हुई थी शेखचिल्ली उनके पास गया और कहने लगा कि अम्मा जी थोड़ा उधर सरक जाइए तभी शेखचिल्ली के अम्मा कहते ही दोनों औरतों ने उसकी पिटाई की और कहा कि यहां से भाग जा नहीं तो तेरी और पिटाई कर देंगे

 

शेखचिल्ली को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि उन्होंने मुझे क्यों मारा लेकिन फिर भी वह सोचता रहा कि सीट तो मुझे चाहिए ही फिर थोड़ा वह आगे बढ़ा तो देखा कि एक बूढी अम्मा वहां पर बैठी हुई थी शेखचिल्ली ने बूढी अम्मा से कहा कि मुझे थोड़ी सी सीट दे देंगे क्या आप,

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 बूढी अम्मा ने कहा कि बेटा मैं तो वैसे ही खड़ी नहीं रह सकती और तुम तो बहुत अच्छे जवान हो तुम आराम से खड़े हो सकते हो फिर भी तुम्हें सीट चाहिए शेखचिल्ली के समझ में बिल्कुल भी नहीं आ रहा है सफर काफी लंबा है और मुझे सीट नहीं मिल रही है और कोई भी उठने को तैयार नहीं है

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शेखचिल्ली के दिमाग में एक तरकीब आई और शेखचिल्ली ने कहा कि अगर तुम में से मुझे कोई सीट नहीं देगा तो मेरी तबीयत खराब हो जाएगी और मैं किसी पर भी उल्टी कर सकता हूं सभी लोग घबराने लगे वह सोचने लगे कि पता नहीं किस पर कर दे और जैसे ही वह पीछे की औरतों के पास गया तो

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 वहां पर उल्टी होने का नाटक करने लगा और वहां से दोनों खड़ी हो गई और शेखचिल्ली को सीट मिल गई बल्कि शेखचिल्ली को इतनी बड़ी सीट मिल गई की शेखचिल्ली बड़े आराम से लेटा हुआ बस में जा रहा था

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shekh chilli ka safar hindi kahani, शेखचिल्ली ने सोचा कि जब मैं बड़े आराम से सीट मांग रहा था तो कोई भी देने को तैयार नहीं था और अब इतनी बड़ी सीट मिली है कि मैं इतने आराम से जा रहा हूं सच ही कहा है अपने दिमाग का इस्तेमाल सही जगह पर और सही वक्त में जरूर करना चाहिए.

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