Pret aatma ki sachi kahani
Pret aatma ki sachi kahani, भूत प्रेत की सच्ची हिंदी कहानी, दोस्तों आज मैं आपको कुछ ऐसा बताना जा रहा हु जिसका सीधा ही सम्बन्ध भूत यानी की प्रेत से है | प्रेत या भूत क्या होते है ये तो सब आप लोग शायद जानते ही होंगे और नहीं भी जानते है तो आज की ये सच्ची घटना के जानने के बाद जरूर समझ जायेगे की भूत या प्रेत क्या और कैसे होते है |
Pret aatma ki sachi kahani | भूत प्रेत की सच्ची हिंदी कहानी
pret aatma ki sachi kahani, ये बात है ऐसी जंगह की जहा पर कभी बहुत सारे लोग रहते थे, यानी की वो एक टाउन की तरह ही था | सब लोग एक दूसरे से बहुत ही ज्यादा प्रेम और भावनात्मक तरीके से एक दूसरे के साथ रहा करते थे | but वो कहते है ना की किसी भी इंसान की खुशियाँ कभी भी ज्यादा दिनों तक नहीं रहती है | पहले तो मैं आपको अपने बारे मैं कुछ बताना चाहता हु की मैं कोंन हु और कैसे इस टाउन के बारे मैं इतना सब कुछ जानता हु , जो की मैं आज आपको बताने वाला हु | मेरा नाम सूरज प्रसाद है | ये बात उन दिनों की है जब मैं लगभग 10 साल का था , मुझे बहुत ही अच्छे से याद है की हमारे टाउन मैं कुछ समय के लिए एक बाबा आये थे | (Pret aatma ki sachi kahani)
जिन्हे तिलिस्मी बाबा कहते थे सब लोग | सब लोगो का ये मानना था की वो बहुत सारे टाइप का जादू जानते है | जो की लोगो की बीमारियों और ऊपरी हवाओ मैं बहुत ही ज्यादा फायदा या लाभ देता है | मैं और मेरा सारा परिवार भी उस बाबा को बहुत ही ज्यादा मांनने लग गए थे | Because जब मेरे पिताजी बहुत ही ज्यादा बीमार हो गए थे , तो उन्होंने उनका इलाज किया था और वो धीरे धीरे जल्द ही ठीक हो गए थे | तब से मैं भी उन्हें मांनने लग गया था | but जब लोगो का उस बाबा पर अँधा विश्वास हो गया था, तब उसने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया | उसने अब अपने फायदे के लिए लोगो की धीरे धीरे से अपने वश में करना शुरू कर दिया था जिससे वह लोगो से अपना काम करवा सके
pret aatma ki sachi kahani, जब धीरे धीरे टाउन के सभी लोग वश में हो गए, वश में हुए लोग एक दूसरे पर हमला कर देते और सभी लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो गए थे और तभी से लोग आपस में लड़ने लगे और एक दूसरे को परेशान करने लगे हमारा परिवार जल्द ही वहाँ से टाउन छोड़कर चला गया , ताकि हम ज़िंदा रह सके | आज मेरी उम्र लगभग 28 साल है | और मैं अपने परिवार के साथ बहुत ही ज्यादा खुश हु | अगर मैं वही पर रहता अपने परिवार के साथ तो शायद मैं और मेरा पूरा परिवार भी उस टाउन मैं प्रेत या भूत की तरह भटकता रहता|
भूत प्रेत गांव की कहानी, pret aatma ki sachi kahani
pret aatma ki sachi kahani, भूत या प्रेत इनकी बाते कोई भी करना पसंद नहीं करता है क्योकि उन्हें ऐसा लगता है की यह भूत प्रेत कही भी हो सकते है, बहुत से लोगो को इस बात पर यकीन भी नहीं होता है, मगर कुछ लोग इस बात पर यकीन करते है, इसका मुख्य कारण यह है की जिसने महसूस किया है या भूत प्रेत को देखा है वही इस बात पर यकीन करते है जिन्हे इनका अहसास भी नहीं होता है, वह इस बात पर यकीन नहीं करते है, एक गांव की बात है,
उसमे रमेश नाम का आदमी रहता था वह कहता है की उसे भूत प्रेत नज़र आते है मगर उसकी बात पर कोई यकीन कैसे कर सकता था क्योको जो उसे नज़र आता है कोई देख नहीं सकता था, इसलिए यकीन करना ही बहुत मुश्किल था यह बात उस दिन की है जब रमेश अपने खेत में काम कर था यह रात का समय का था उसे कोई नज़र नज़र आता है वह सोचता है की शायद उसका खेत भी यही पर इसलिए वह यहां पर होगा, मगर वह आदमी रमेश के पास आता है
रमेश कहता है की तुम कौन हो तुम यहां पर काम कर रहे हो, वह आदमी कहता है की मुझे पानी चाहिए क्योकि मुझे बहुत प्यास लगी है, रमेश कहता है की तुम यहां पर रुको में पानी लेकर आता हु, वह पानी लाता है उस आदमी को देता है वह आदमी बोतल को अपने पास रखता है मगर उसका पानी समाप्त हो गया था यह तो हो ही नहीं सकता था रमेश उससे पूछता है की तुम कौन है मगर वह आदमी कहता है इससे तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योकि तुम मेरे बारे में जानकार क्या करोगे रमेश ने पीछे देखा था
pret aatma ki sachi kahani, मगर जब सामने देखा तो वह गायब हो गया था वह कहा चला गया था पलक झपकते ही गायब हो गया था यह तो हो नहीं सकता है वह एक दम से गायब हो गया था यह बात रमेश ने गांव में बताई थी मगर वही बात थी किसी को यकीन होता है किसी को नहीं, मगर रमेश को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन वह तो जानता है की उसके साथ क्या हुआ था, यह भूत प्रेत की कहानी में कुछ तो ऐसा है जो हमे सोचने पर मजूबर करता है
भूत प्रेत की दूसरी सच्ची कहानी : Pret aatma ki sachi kahani
pret aatma ki sachi kahani, भूत प्रेत की बातों में एक बात यह भी थी, की उस दिन के बाद मुझे भी ऐसा लग रहा था की भूत प्रेत होते है, Because वह सर्दियों का मौसम था, उस दिन अपनी कार से घर की और आ रहा था, मुझे लग रहा था की जल्द ही घर पहुंच सकता हु Because ठंड भी बहुत अधिक थी, अधिक देर बाहर रहने पर परेशानी हो सकती है, इसलिए घर पहचान बहुत जरुरी था, मगर मुझे नहीं पता था की कार बीच में बंद हो सकती है, ऐसा क्यों हुआ था, कुछ समझ नहीं पाया था,
जब नीचे उतरकर देखा तो कार ठंड के कारण बंद हो गयी थी, कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, Because रात भी बहुत अधिक हो गयी थी, इस ठंड में घर जाना मुश्किल लग रहा था, but अब क्या किया जा सकता था, यह सुनसान रास्ता कुछ सही नहीं था, तभी सोचा की कार में ही बैठ जाना सही लग रहा था, but तभी मुझे लगा की किसी ने पीछे से हाथ पकड़ा था but यहां पर तो कोई भी नहीं था यह कैसे हो गया था, उस दिन तो मुझे डर लग रहा था
Pret aatma ki sachi kahani, यह बात कुछ भी ठीक नहीं थी Because यह कोईं भूत प्रेत हो सकता है, मुझे इस बता पर यकीन नहीं होता है but ऐसा लग रहा था की यह कोई भूत प्रेत ही होगा, Because इस जगह पर कोई भी नहीं था कुछ जगह बाद कार ठीक हो गयी थी, अब में घर जा सकता था, उसके बाद घर की और चल पड़ा था, but वह बात आज भी याद है, उसे सोचकर ही बहुत डर लगता है, कभी कभी जीवन में इस तरह की बाते भी होती है, जिन पर यकीन नहीं होता है,
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