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दौलतमंद भिखारी की दो हिंदी कहानी :- Hindi story online reading, एक शहर में अमीरचंद नाम का एक व्यापारी रहता था, एक दिन अमीरचंद अपनी गाड़ी में बैठकर मंदिर गया, जैसे ही अमीरचंद अपनी गाड़ी से नीचे उतरा उसके सामने एक भिखारी आ गया और बोला भगवान के नाम पर कुछ दे दो सेठ जी,
दौलतमंद भिखारी की दो हिंदी कहानी : Hindi story online reading
सेठ अमीरचंद ने कहा तुम मेरे साथ चलो मेरे यहां काम करना तुम्हें बहुत सारे पैसे मिलेंगे भिखारी ने कहा मेरी तबीयत ठीक नहीं है मैं आपके यहां नहीं चल सकता मुझे कुछ दे दो हमें अमीरचंद ने कहा क्या दे दूं तुम मेरे साथ चलो काम करो और उसके बदले मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा भिखारी बार-बार कहने लगा मुझे कुछ पैसे दे दो मुझे कुछ पैसे दे दो हमें अमीरचंद ने कहा तुम मुझे गरीब तो नहीं लगते तुम्हारे पास तो बहुत सारे पैसे और दौलत है भिखारी अमीरचंद की बात सुनकर चौंक गया बोला सेठजी आप मेरा क्यों मजाक उड़ा रहे हो मैं तो बहुत गरीब हूं
बाबा की सीख
इसीलिए तो भीख मांगकर अपना पेट पालता हूं अमीरचंद ने कहा अच्छा तुम मुझे एक बात बताओ मैं तुम्हें 1000 दूंगा क्या तुम मुझे अपना एक हाथ दे सकते हो अधिकारी ने कहा मैं बिना हाथ के कैसे काम करूंगा मैं आपको अपना हाथ नहीं दे सकता अमीरचंद ने का अच्छा तो मुझे अपना एक पैर दे दो मैं तुम्हें 2000 दूंगा भिखारी ने कहा बिना पैर के तो मैं चल भी नहीं पाऊंगा फिर भीख कैसे मांगूंगा मैं नहीं दे सकता अमीरचंद ने कहा की अच्छा ठीक है मैं तुम्हें एक लाख रुपए दूंगा तुम मुझे अपनी एक आंख दे दो
भिखारी बोला आंख बिना तो मैं देख भी नहीं पाऊंगा मैं आपको अपनी एक आंख नहीं दे सकता यह सुनकर अमीरचंद, तुम तो मुझे कुछ भी नहीं दे सकते और मैं तुम्हें पैसे देने के लिए तो तैयार हूं भिखारी समझ गया बोला सेठ जी आपने मेरी आंखें खोल दी मैं गरीब नहीं हूं मेरे पास लाखों की दौलत है Because मेरे हाथ पैर सब सलामत है इनसे मैं कमा कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकता हूं मुझे भीख मांगने की कोई जरूरत नहीं है भीख तो वह लोग मानते हैं जिनके हाथ पैर सलामत नहीं होते मेरे तो सब है.
ज्ञान का भंडार
यह कहानी हमे सही और गलत का फैसला करने में सहायता करती है जीवन में ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे कभी भी सुनना पड़े, दौलतमंद भिखारी, hindi story online reading, Story in hindi with moral short, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे.
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यह एक सेठ की कहानी है. वह सेठ एक गांव में रहता था, उसके पास बहुत अधिक धन था. लेकिन उसे लगता था. वह बहुत अधिक धन और काम सकता था. उसकी गांव में एक सुखिया नाम का आदमी रहता था. उसका मन हमेशा भगवान की पूजा करने में लगता था. सुखिया सभी को कहता था. यह धन काम नहीं आता है. भगवान का नाम ही काफी होता है. एक दिन सेठ सुखिया को देखता है.
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वह सेठ कहता है सुखिया तुम्हे कुछ भी मिलने वाला नहीं है. तुम्हारे पास धन नहीं है. कब तक तुम यह पुराने कपड़े पहनते रहोगे. सुखिया कहता है की मुझे धन की जरूरत नहीं है. मेरा भगवान मेरे साथ में होने चाहिए वह सेठ हस्ता है उसके बाद कहता है तुम्हारे भगवान तुम्हे क्या देते है. तुम्हारे पास धन भी नहीं है. सुखिया कुछ नहीं कहता है. वह चला जाता है. सेठ मन में सोचता है यह सुखिया कुछ नहीं करेगा. इसका जीवन दुःखो में ही चला जायेगा. सेठ के पास हर रोज कोई न कोई धन लेने आता था.
वह सेठ उस धन पर बहुत अधिक ब्याज कमाता था. इससे सेठ अमीर होता जा रहा था. एक दिन की बात है. सेठ को किसी काम से गांव से बाहर जाना पड़ा था. उसका एक लड़का था. वह उसे अपने साथ लेकर नहीं गया था. सेठ का नौकर घर में था. लेकिन सेठ के नौकर को बाजार जाना था. वह बाजार गया था. लेकिन समय से घर वापिस नहीं आ सकता था. क्योकि मौसम खराब हो गया था. उधर सेठ भी मौसम की वजह से घर नहीं पहुंच पाया था.
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सेठ का लड़का बीमार हो गया था. कोई भी उसे देखने के लिए नहीं था. उसे बहुत बुखार हो गया था. सुखिया अपने घर जा रहा था तभी वह सेठ का घर खुला देखता है. वह सोचता है. रात होने वाली है. सेठ के घर में कोई नज़र नहीं आ रहा है. सुखिया देखने जाता है. उसके बाद वह लड़के को देखता है वह बीमार पड़ा हुआ था. सुखिया उसे लेकर इलाज के लिए जाता है. डॉकटर दवाई देता है. सुखिया उसे घर लेकर आता है. यह बात गांव में पहुंच गयी थी. सभी लोग सेठ के घर पर थे.
सेठ आता है. वह कहता है. यहां पर लोग क्या कर रहे है. उसके बाद सेठ को पता चलता है. उसका लड़का बीमार हो गया था. नौकर भी नहीं था. सुखिया उसे लेकर गया था. यह बात सुनकर सेठ कुछ नहीं कहता है. अजा धन का घमंड टूट गया था. सुखिया ने वह काम किया था. जो कोई भी नहीं कर सकता था. क्योकि सेठ से सभी लोग परेशान रहते थे. कुछ लोग सेठ को कहते है. हमारा सेठ दौलतमंद भिखारी है. क्योकि इसका धन भी काम नहीं आया है.
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यह सुनकर सेठ कहता है. आज मुझे पता चल गया था. यह धन किसी काम नहीं आता है. क्योकि यह मेरे काम ही नहीं आया है. वह सभी लोगो का कर्जा माफ़ कर देता है. सुखिया से कहता है. तुम्हारे पास वह दौलत है. जो मेरे पास नहीं है. उस दिन के बाद सेठ बदल गया था. जीवन में यह बात याद रखनी चाहिए. धन कुछ नहीं है. हमारा आपसी प्यार ही सब कुछ है. अगर आपको यह दोनों कहानी, hindi story online reading, Story in hindi with moral short, पसंद आयी है. शेयर जरूर करे.
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