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ज्ञानी पंडित का उपदेश
ये कहानी एक ऐसी घटना पर आधारित है, जिसमे ये बताया गया है की हमे सदा ही अपने कामो के लिए खुद ही मेहनत करनी चाहिए, क्योकि यदि आप अपने काम के लिए खुद काम ना करके , हमेशा दूसरो से ही काम करायेगे तो वो कभी भी सफल नहीं हो सकते है. इसलिए सदा ही अपना काम खुद ही करे.
एक बार खतौली गाँव में एक बूढ़ा ज्ञानी पंडित आया . उसने गाँव के बाहर अपना आसन जमाया . वह बड़ा होशियार ज्ञानी पंडित था . वह लोगों को बहुत सी अच्छी अच्छी बातें बतलाता था . थोड़े ही दिनों में वह मशहूर हो गया . सभी लोग उसके पास कुछ न कुछ पूछने को पहुँचते थे . वह सबको अच्छी सीख देता था . खतौली गाँव में एक किसान रहता था . उसका नाम राम किशन था . उसके पास बहुत सी ज़मीन थी, लेकिन फिर भी राम किशन सदा गरीब रहता था.
उसकी खेती कभी अच्छी नहीं होती थी . धीरे धीरे राम किशन पर बहुत सा क़र्ज़ हो गया . रोज़ जमींदार उसे रुपये के लिए तंग करने लगा . लेकिन खेतों में अब भी कुछ पैदा नहीं होता था . राम किशन ख़ुद तो खेतों में बहुत कम जाता था . वह सारा काम नौकरों से लेता था . उसके यहाँ तीन नौकर थे . वे जैसा चाहते, वैसा करते थे . आखिर जमींदार से तंग आकर राम किशन ने अपनी आधी ज़मीन बेच दी .
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जिन खेनों में बहुत कम पैदावार होती थी. वही राम किशन ने बेच दिये थे . जिस किसान ने उसकी ज़मीन ली थी वह बड़ा मेहनती था और उसका नाम ज्योति प्रसाद था. ज्योति प्रसाद अपना सारा काम अपने हाथों से करने की हिम्मत रखता था . जो काम ज्योति प्रसाद न होता, वह मजदूरों से कराता, पर रहता सदा उनके साथ ही साथ था . ज्योति प्रसाद कभी अपना काम मज़दूरों के भरोसे नहीं छोड़ता था .
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पहली ही फ़सल में उस किसान ने उन खेतों को इतना अच्छा बना दिया कि उनमें कई गुनी फ़सल हुई . राम किशन ने जब यह देखा तो वह अपने भाग्य को कोसने लगा . इधर उस पर और भी कर्ज़ हो गया और उसको बड़ी चिन्ता रहने लगी . आख़िर एक दिन वह भी उस ज्ञानी पंडित के पास गया . उसने बड़े दुख के साथ अपने दुर्भाग्य की कहानी ज्ञानी पंडित से कह सुनाई . ज्ञानी पंडित ने सुनकर कहा अच्छी बात है,
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कल हम तुम्हें बताएँगे . राम किशन चला आया . उसी रात को ज्ञानी पंडित ने गाँव में जाकर राम किशन की दशा का सब पता लगा लिया . दूसरे दिन उसने राम किशन के पहुँचने पर कहा, तुम्हारे भाग्य का भेद सिर्फ जाओ और आओ में है . वह किसान आओ कहता है और तुम जाओ कहते हो . इसी से उसके ख़ूब पैदावार होती है, और तुम्हारे कुछ नहीं . राम किशन कुछ भी न समझा .
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तब ज्ञानी पंडित ने फिर कहा, तुम खेती का सारा काम मज़दूरों पर छोड़ देते हो . तुम उनसे कहते हो, जाओ ऐसा करो, पर ख़ुद न उनके साथ जाते हो, न काम करते हो . लेकिन वह किसान मज़दूरों से कहता है आओ, खेत चलें’ . वह उनके साथ साथ जाता है, और साथ साथ मेहनत करता है . मज़दूर भी उसके डर से ख़ूब मेहनत करते हैं . तुम्हारे मज़दूरों की तरह वे मनमाना काम नहीं करते .
इसलिए अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारे खेतों में भी ख़ूब पैदावार हो तो जाओ छोड़कर आओ के अनुसार चलना सीखो . राम किशन ने ज्ञानी पंडित की बात मान ली . उस दिन से आलस्य को त्यागकर, वह अपने खेत में मज़दूरों के साथ कड़ी मेहनत करने लगा . अब उसके उन्हीं खेतों में ख़ूब फ़सल होने लगी . तो दोस्तों आपको इस कहानी से यही सीख मिलेगी की हमे सदा ही अपना काम खुद ही करना चाहिए और दूसरो को भी यही सलहा देनी चाहिए की दूसरो की मदद उतनी ही ले, जितनी की जरूरत हो. सारा काम दूसरो पर नहीं छोड़ना चाहिए.
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