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दोस्तों मेरा नाम आदेश त्यागी है और मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हु और मैं आज आपको कुछ जानकारी देने जा रहा हु जो की मध्य प्रदेश के बारे मैं है, जी हां आज मैं आपको मध्य प्रदेश की एक ओर रहस्यमय जगह में बारे में बताने जा रहे है जिससे लोग आज भी अन्जान है . इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि शाम ढलते ही इस मंदिर के लोग आसपास भी नहीं भटकते है क्यूंकि स्थानीय लोगो का ऐसा माननाहै कि रात ढलते ही जो भी इंसान यहा रुक जाता है वो पत्थरकी मूर्त में तब्दील हो जाता है .
इस बात में कितनी सच्चाई इसके बारे में स्थानीय लोग या आप खुद जाकर पता लगा सकते है . इस मंदिर के इस रहस्य के बारे में जानने से पहले हम आपको इसका थोडा इसका इतिहास बताते है. शिजोय मंदिर मध्य प्रदेश के भोपाल जिले के साधना गाँव स्थित है जिसे 10वी शताब्दी में बनाया गया था . यह मंदिर इतना सुंदर बना है कि इतिहासकार इस मंदिर को मध्य प्रदेश का खजुराहो कहते है लेकिन 900 वर्ष बेनीराम इस मंदिर की तरफ अभी तक इतने लोगो का ध्यान नहीं गया
जिसके कारण ये मंदिर गुमनामियो के अंधकार में छिपा हुआ है . इस मंदिर में रही पाच बड़े मंदिरों की श्रुंखला भूकम्प से द्वस्त हो गयी थी . यहा पर दो मंदिर है जिसमे से एक शिव जी और दूसरा विष्णु जी का है . इस मंदिर पर बनी पत्थर की कलाकृतिया आपको प्राचीन समय की याद दिला देती है . तो मित्रो इस मंदिर के इतिहास के बाद इस मंदिर से जुड़े रहस्य से आपको रूबरू करवाते है
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स्थानीय लोगो के अनुसार आज से 900 साल पहले किराडू में परमार वंश का राज था . उस समय एक दिन एक बाबा अपने कुछ शिष्यों के साथ यहा पर रहने को आये . यहा पर कुछ दिन रहने के बाद उन्होंने आगे ओर घुमने का निश्चय किया . एक दिन वो बिना शिष्यों को बताये , एक रात यहा से निकल पड़े . उनके जाने के कुछ दिनों बादवो सारे शिष्य बीमारी से ग्रसित हो गए . गाँव के किसी भीइंसान ने उनकी मदद नहीं की . केवल एक कुम्हारिन नेनिस्वार्थ भाव से उनकी सेवा की जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ.
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बाबा घूमते घामते फिर से उसी जगह पहुचे तो उन्होंने अपने शिष्यों की कमजोर हालत को देखकर बहुत गुस्सा आया . उन्होंने गांव वालों से कहा कि जिस जगह पर इन्सान के लिए दया नहीं वहा मानव जाति का विनाश है और ये कहकर उन्होंने पुरे गांववालों को पत्थर बनने का श्राप दे दिया .
शिष्यों की सेवा करने वाली कुम्हारिन को इससे अछुता रखा और शाम ढलने से पहले बिना पीछे मुड़े गाँव से चले जाने को कहा . लेकिन उस महिला ने गलती से पीछे देख लिया और वो भी पत्थर की मूर्त बन गयी . नजदीक के गाँव में आज भी उस कुम्हारिन की मूर्त आज भी है .इस श्राप के बाद सूर्यास्त के बाद यहा कोई नहीं रुकता और जो रहता है वो पत्थर बनजाता है .
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इसलिए प्राचीन समय में लोग हमेशा बाबा महात्माओ को खुश रखने की कोशिश करते थे . लेकिन वर्तमान में ना बाबाओ का अस्तित्व है और ना ही इतनी आस्था शेष रही . बच गए बस ये खंडहर जो उनकी कहानी बयाँ करते है . तो दोस्तो आपको मेरे द्वारा बताई गयी ये जानकारी किसी लगी , हमे जरूर बताये.
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