Bhutiya kahani | Bhoot kahani
bhutiya kahani, ये कहानी एक ऐसी आत्मा की है जो की मरने के बाद भी जिन्दा थी , और भटक रही थी , की कोई तो हो जो उसे इस दुनिया से मुक्ति दिला सके | जी हां कुछ आत्माये ऐसी भी होती है | जो मरने के बाद भी इसी दुनिया मैं रह जाती है , ऐसी ही एक कहानी मैं आज आपको बताने जा रहा हु |
गोविन्द की भूतिया कहानी, Bhutiya kahani
bhutiya kahani, मेरा नाम रोहित तिवारी है और मैं जिला लखनऊ उत्तर प्रदेश का रहने वाला हु | वैसे तो मैं भी आत्माओ मैं विश्वास नहीं करता हु , but जब अपने साथ या अपने सामने कुछ ऐसा हो जाए , जिस पर हम विस्वास नहीं करते है | फिर भी हमे उन पर विश्वास करना ही पड़ता है |
बात उन दिनों की है जब मैं जयपुर से माउंट आबु जा रहा था , तो मेरे साथ रास्ते मैं कुछ ऐसा हुआ , जिस पर किसी भी इंसान का यकीन करना नामुमकिन है , but मैं आज भी अपने साथ हुई उस घटना को जीता हु | ये बात लगभग 20 से 25 साल पुरानी है | but जब भी वो मुझे घटना याद आती है तो ऐसा लगता है की मानो वो कल की ही बात हो | मुझे पूरी रात सफर करना था , तो मैं शाम को जल्दी ही निकल लिया अपने घर से | मैं कुछ लगभग अपने घर जयपुर से २५० किलोमीटर ही चला हुँगा , अचानक से एक सुनसान सड़क के आने पर मेरी गाड़ी अचानक से रुक गयी यानि की बंद पड़ गयी |
जब ऐसा हुआ तो रास्ते मैं हलकी हलकी बारिश पड़ रही थी | मैं गाड़ी से उतरा और अपनी गाड़ी को चेक करने लग गया , but मेरी समझ मैं नहीं आ रहा था , की आखिर गाड़ी को हुआ क्या है | जो अचानक से बंद पड़ गयी | मैं बिलकुल भी समझ नहीं पा रहा था, की तभी मेरे पीछे से कोई आकर खड़ा हो गया | मैं अचानक से डर गया , और उससे पूछा की भाई तुम, कौन हो और इतनी रात को भला यहाँ क्या कर रहे हो | उसने बताया की मेरा नाम गोविन्द है और मैं पुणे का रहने वाला हु | मैंने पूछा की तुम इतनी रात को यहाँ कैसे आ गए | गोविन्द ने कहा की मैं यहाँ पर आज से लगभग 10 साल पहले घूमने आया था , और मेरा एक्सीडेंट हो गया | जिस कारण से मेरी मोत हो गयी |
bhutiya kahani, bhoot kahani, तब से लेकर आज तक मैं यही पर भटक रहा हु एक जिन्दा लाश बनकर | मैं मरकर भी मर नहीं पाया हु | शायद यही लिखा था मेरी किस्मत मैं | पहले तो मुझे उसकी बातो पर विश्वास नहीं हुआ, but जैसे जैसे वो मुझे अपने बीते हुए लमहो को मेरे सामने रखता गया, मैं उसकी बातो को समझता गया | और आखिर मैं मुझे ये विश्वास हो ही गया की अब मेरे सामने जो खड़ा है , वो जिन्दा है बल्कि मरा हुआ गोविन्द है | जिसकी आत्मा आज भी भटक रही है मुक्ति पाने के लिए.
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