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चश्में की हिंदी कहानी
hindi stories, story in hindi, अब उस चश्में से भी कुछ दिखाई नहीं देता है कितनी बार उसे साफ़ किया फिर भी बेटा कुछ दिखाई नहीं देता है तुम मुझे नया चश्मा ला कर दे दो इसका कांच भी शायद अब काम नहीं कर रहा है तभी अंदर से आवाज आती है की अगर दिखाई नहीं देता है तो ज़रूरत भी नहीं है कुछ देखने की, कोई लिखाई पढ़ाई का काम तो करना नहीं है
यह आवाज है रमेश की पत्नी की, इस परिवार में रमेश उसकी पत्नी और रमेश की बूढी माँ रहती है जब रमेश अपने काम से बहार चला जाता है तो रमेश की पत्नी उसकी बूढी माँ से सारा काम करवाती है और खाने के लिए कुछ ख़ास नहीं देती है बल्कि रुखा-सूखा जो बच जाता है उसे मिल जाता है
रमेश की बूढी माँ इस उम्र में कही जा भी नहीं सकती है और कोई परिवार में नहीं है जिसके पास वह जा सके इस परिवार में रमेश की पत्नी की चलती है रमेश की पत्नी की आदत कुछ ठीक नहीं है जो काम उसे करने चाहिए वो रमेश की माँ से करवाती है
रमेश की माँ को आँखों से कुछ कम दिखाई देता है इसलिए वह चश्में का प्रयोग करती है अब चश्मा खराब हो गया है इसलिए वह रमेश से कहती है की चश्मा बनवा दो इस पर रमेश की पत्नी मना कर देती है रमेश भी चुप-चाप वहा से चला जाता है वो कुछ नहीं कहता है
ऐसा नहीं है की रमेश कुछ करना नहीं चाहता बल्कि वो जानता है की अगर वो कुछ करता भी है तो घर में फिर से लड़ाई होगी और रमेश के ऊपर काम को लेकर ही बहुत परेशानी है इसलिए वह सुनता है पर कुछ कर नहीं पाता है अगर कुछ करे भी तो पत्नी की नाराजगी और बढ़ जायेगी जिसके चलते और परेशानी होगी
रमेश अपनी माँ को दुखी भी नहीं देखना चाहता है पर इस समस्या का हल उसे मिल नहीं रहा था रमेश की माँ घर का सारा काम करती है चाहिए उस पर कुछ भी जुल्म हो रहा हो वह रमेश से कुछ नहीं कहती है वो जानती है की अगर वो कुछ कहेगी तो घर पर फिर झगडे होंगे और वह अपने बेटे को दुखी नहीं देखना चाहती
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एक दिन रमेश के बेटे का जन्म दिन था कुछ मेहमान भी आये हुए थे जन्म दिन का सारा खाना रमेश की माँ ने बनाया था रमेश की माँ खाना बहुत अच्छा बनाती है सभी मेहमान खाना खा कर अपने घर की और चले गए थे रमेश की पत्नी आराम कर रही थी क्योकि आज मेहमान आने की वजह से वह थक गयी थी
जब रमेश ने पूछा की माँ कहा है तो उसकी पत्नी ने कहा की यही होंगी जब रमेश अपनी माँ को देखने गया तो रमेश अपनी आँखों के आंसू रोक नहीं पा रहा था और चुप-चाप देख रहा था रमेश अपनी माँ के लिए चश्मा लेकर आया था वही चश्मा वो अपनी माँ को देना चाहता था
रमेश की माँ मेहमान के बचे खाने में से अपना खाना खा रही थी अपनी माँ की यह दशा देख रमेश बहुत दुखी हुआ और अपनी आँखों के आंसू भी वो रोक नहीं पा रहा था जब उसने अपनी माँ को आवाज लगायी तो माँ की आँखों में आंसू थे दोनों एक दूसरे को देख रहे थे रमेश नहीं जनता था की एक दिन ऐसा भी आएगा……..
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hindi stories, story in hindi, दोस्तों हमे अपने बड़ो की हमेशा इज़्ज़त करनी चाहिए हमे सोचना चाहिए की वो हमसे कुछ नहीं मांगते सर प्यार के लेकिन हम सब कुछ भूल जाते है और उन्हें वो दिन देखना पड़ता है जिसे उन्होंने सपने भी कभी नहीं सोचा था हमे हमेशा यह बात याद रखनी चाहिए की एक दिन हम भी बूढ़े होंगे
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