Vaibhav laxmi vrat katha
लक्ष्मीजी व्रत की कहानी
Vaibhav laxmi vrat katha, vaibhava lakshmi pooja, एक शहर में रामदास नाम का एक आदमी रहता था उसके तीन लड़कियां थी रामदास ज्यादा अमीर नहीं था बस इतना कमा लेता था जिससे उसका और उसकी तीनों बच्चियों का पेट भर जाए धीरे-धीरे रामदास की लड़कियां जवान होने लगी और वह उनके लिए रिश्ते ढूंढने लगा
लेकिन जहां भी बात करता वही बात दहेज पर आकर रुक जाती उसकी तीनों लड़कियां बड़ी ही सुंदर सुशील और हर काम में तेज थी पर आजकल तो इन सब के साथ मोटा पैसा और दहेज में सारा सामान भी चाहिए होता है लड़के वाला भले ही कुछ नाक हे
लेकिन उसे दहेज में मोटा पैसा चाहिए यही चिंता रात दिन रामदास को खाई जाती थी तीनों लड़कियां भी अपने पिता को दुखी देख बहुत दुखी रहने लगे वह पढ़ने लिखने में होशियार थी पर एक यहीं आकर मार खा जाती थी कि उनके पिता के पास दहेज में देने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे जो भी लड़का और उसके माता-पिता देखने आते हो लड़की को देखने के बाद तुरंत पैसे की मांग करते जैसे खुद भिखारी हूं और वह लड़की के मायके से जो आएगा उसी में पेट भरेंगे
एक दिन उन लड़कियों की मौसी उनसे मिलने आई उनके घर में बातचीत हो रही थी तो मुझे समझ गई उसने उन तीनों लड़कियों को अपने पास बुलाया और कहा बेटी तुम्हारी मां नहीं मैं भी तुम्हारी मौसी हूं मैं जो कहूंगा क्या तुम करोगी
तीनों लड़कियां बोली हां जरुर हम तो अपने पिता को कुछ मुसीबत में नहीं देखना चाहते हमारी शादी हो और हमारे पिता को सुख मिले मोदी ने कहा बेटी आदमी इस बात को नहीं मानते पर हम औरतों को लक्ष्मी मां पर पूरी श्रद्धा है तुम लक्ष्मी जी के 21 शुक्रवार करो 21 शुक्रवार करते-करते तुम्हारी सारी मुसीबते दूर हो जाएंगी तीनों लड़कियों ने कहा पर मौसी हमें यह व्रत कैसे करना है
यह तो नहीं पता कहा मैं तुम्हें सब बताती हूं सुबह उठ कर नहा धोकर सारे घर में झाड़ू पहुंचा कर कर मन में मन में लक्ष्मी जी के व्रत की मनोकामना मान लो और सारा दिन लक्ष्मी जी के नाम की जाप करो किसी की चुगली मत करो किसी के बारे में बुरा मत सोचो शाम को पूरा की तरफ एक लकड़ी के पटरी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसमें लक्ष्मी जी का श्रीयंत्र रखो एक लोटा जल का भरकर रखो थोड़े चावल रखो लाल फूल रखो और थोड़ी सी शक्कर या फिर खीर बना लो जिससे लक्ष्मी जी का भोग लगाओ
लक्ष्मी जी के व्रत की कथा और आरती लक्ष्मी जी की किताब में आती है उसको पढ़ो और खीर का प्रसाद अपने घर में सब को खिलाओ और खुद भी खाओ और बस ऐसे ही सो जाओ ऐसे ही 21 शुक्रवार करो तीनों लड़कियों ने मोसी की बताई विधि से 21 शुक्रवार करें तीनों लड़कियां व्रत रखने लगे 21 शुक्रवार पूरे होते होते ही उनके पिता का एक दोस्त विदेश से आया और कहने लगा कि
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मुझे अपने तीनों लड़कों के लिए बहू चाहिए वह भारतीय रामदास ने कहा मैं तुमसे एक बात कहूं बुरा मत मानना उसका दोस्त बोला जरूर क्यों नहीं रामदास ने कहा मेरी तीनों बेटी पढ़ी-लिखी और सुशील है अगर तुम चाहो तो मैं तीनों बेटियों से तुम्हारे बेटे की शादी करने के लिए तैयार हूं
Vaibhav laxmi vrat katha, vaibhava lakshmi pooja , रामदास का दोस्त मान गया बोला यह तो वही बात हुई बगल में छोरा और गांव में ढिंढोरा मुझे ऐसे ही बहू चाहिए उसने रामदास की तीनों बेटियों की मैं विदेश में पढ़ रहे बेटे से शादी करा दी 21 शुक्रवार पूरे होते होते रामदास की तीनों बेटियों की शादी बड़ी शांति से और बिना दहेज के सिमट गई उन तीनों अपनी ससुराल में सुख चैन से रहने लगी कैसी है लक्ष्मी जी की कृपा जो भी लक्ष्मी जी के व्रत पूरी श्रद्धा और भाव से करता है उसके सब दुख दूर होते हैं और लक्ष्मीजी सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाते हैं.
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