story for small kids in hindi
छोटे बच्चों की कहानी
ये बात तब की है जब मैं अपनी पत्नी के गांव राजाहेड़ा गया हुआ था, जो की राजस्थान के करोली जिले मैं पड़ता है. मुझे बहुत ही अच्छे से याद है की , वो छुट्टी का दिन था. आसमान साफ था और ठंडी ठंडी हवा बह रही थी. सूरज की किरणें शहर के ऊपर बिखरी थीं धूप में गरमी नहीं थी मौसम सुहावना था बिलकुल वैसा जैसा एक पिकनिक के लिए होना चाहिये चुन्नू सोचने लगा, काश.
आज हम कहीं घूमने जा सकते चुन्नू. रसोई में आया माँ बेसिन में बर्तन धो रही थी माँ क्या आज हम कहीं घूमने चल सकते हैं. चुन्नू ने पूछा क्यों नही, अगर तुम्हारा स्कूल का काम पूरा हो गया तो हम ज़रूर घूमने चलेंगे माँ ने कहा मैं आधे घंटे के अंदर स्कूल का काम पूरा कर सकता हूँ चुन्नू ने कहा चुन्नू स्कूल का काम करने बैठ गया हम कहाँ घूमने चलेंगे. .चुन्नू काम पूरा कर के बाहर आ गया क्या पार्क बहुत दूर है.
मुन्नी ने पूछा हाँ, हमें कार से लम्बा सफर करना होगा बाबा ने बताया सुबह के काम पूरे कर के सब लोग तैयार हुए माँ ने खाने पीने की कुछ चीज़ें साथ में ली और वे सब कार में बैठ कर सैर को निकल पड़े रास्ता मज़ेदार था सड़क के दोनो ओर पेड़ थे हरी घास सुंदर दिखती थी सड़क पर यातायात बहुत कम था सफ़ेद रंग के बादल आसमान में उड़ रहे थे बाबा कार चला रहे थे
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मुन्नी ने मीठी पिपरमिंट सबको बांट दी कार में गाने सुनते हुए रास्ता कब पार हो गया उन्हें पता ही नहीं चला बाबा ने कार रोकी माँ ने कहा सामान बाहर निकालो अब हम उतरेंगे गांधी पार्क में अंदर जा कर मुन्नी ने देखा चारों तरफ हरियाली थी वह इधर उधर घूमने लगी बहुत से पेड़ थे कुछ दूर पर एक नहर भी थी नहर के ऊपर पुल था उसने पुल के ऊपर चढ़ कर देखा बड़ा सा बाग था एक तरफ फूलों की क्यारियाँ थीं थोड़ा आगे चल कर मुन्नी ने देखा एक मूर्ति भी थी.
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घूमते घूमते मुन्नी को प्यास लगने लगी माँ ने मुन्नी को गिलास में जूस दिया माँ और बाबा पार्क के बीच में बने लंबे रास्ते पर टहलने लगे मुन्नी फूलों की क्यारियों के पास तितलियाँ पकड़ने लगी तितलियाँ तेज़ी से उड़ती थीं और आसानी से पकड़ में नहीं आती थीं तितलियों के पीछे दौड़ते दौड़ते जब वह थक गयी तो एक पेड़ के नीचे सुस्ताने बैठ गयी उसने देखा पार्क में थोड़ी दूर पर झूले लगे थे चुन्नू एक फिसल पट्टी के ऊपर से मुन्नी को पुकार रहा था, मुन्नी मुन्नी यहाँ आकर देखो कितना मज़ा आ रहा है मुन्नी आराम करना भूल कर झूलों के पास चली गयी वे दोनों अलग अलग तरह के झूलों का मज़ा लेते रहे चुन्नू-मुन्नी बहुत देर हो गयी. घर नहीं चलना है क्या.
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माँ और बाबा बच्चों से पूछ रहे थे दोनों बच्चे भाग कर पास आ गए पार्क कैसा लगा बच्चों. माँ ने पूछा बहुत बढ़िया चुन्नू और मुन्नी ने कहा वे खुश दिखाई देते थे चलो, अब वापस चलें, फिर किसी दिन दुबारा आ जाएँगे. बाबा ने कहा सफर मज़ेदार था दिन सफल हो गया बच्चों ने सोचा सब लोग कार में बैठ गए बाबा ने कार मोड़ी और घर की ओर ले ली मौसम अभी भी बढ़िया था मुन्नी फिर से सबको मीठी पिपरमिंट देना नहीं भूली सैर की सफलता के बाद सब घर लौट रहे थे. ये मेरी एक सफर की मजेदार कहानी है, जो की मैंने आप लोगो को सुनाई है.
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