Stories hindi in 2024
Stories hindi in 2024, यह कहानी आपको पसंद आएगी, जब पहली बार दो दोस्त घर जाते है, तो उनके सफर में बहुत सी परेशानी आती है, कभी कभी उन्हें यह सफर बहुत कठिन भी लगता है, वह बहुत मुश्किल से घर पहुंचते है,
अनोखा सफर एक कहानी : stories hindi in 2024
वह अपने घर वापिस आ रहा था, उसे अपने घर से दूर हुए अभी लगभग सात साल बीत चुके थे, वह अपनी पढ़ाई बाहर रहकर पूरा कर रहा था, इसलिए उसे घर से बाहर रहना पड़ रहा था, यही कारण था की आज वह अपने घर वापिस आ रहा था वह घर जाने के लिए बस में बैठ चूका था, अभी बस चली नहीं थी, उसका दोस्त भागते हुए उसके पास आता है, वह उससे कल ही मिला था और बताया भी था की कल में अपने घर वापिस जा रहा हु, तो आज क्या बात है की वह भागते हुए आ रहा है,
वह खिड़की के पास पहुंचा और कहने लगा की अकेले ही जा रहे हो, मुझे भी साथ में जाना था, मेने तुमसे बहुत पहले भी कहा था की जब भी अपने घर जाओ तो मुझे भी साथ में लेकर जाना है और तुमने भी कहा था की में इस बात को याद रखूँगा, मगर तुम तो भूल गए हो, मेरे तो दिमाग से बात ही निकल गयी थी, मुझे याद नहीं था मगर जब मेने कल कहा की में घर जा रहा हु तब भी तुमने मुझे नहीं बताया था, अगर जब भी बता देते तो कितना अच्छा होता,
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उस वक़्त में देख रहा था की तुम क्या बोलते हो मगर तुमने कुछ कहा ही नहीं तो मुझे लगा की तुम भूल गए हो, इसलिए में यहां पर आ गया हु, ठीक है जब तुम आ गए हो तो साथ में चलते है, वैसे भी में अकेला ही जा रहा था, अब तुम साथ में आ गए हो तो और भी अच्छा है, दोनों सुस्त साथ में घर की और चल पड़े थे, वह बाते करते हुए जा रहे थे तभी बस बीच में खराब हो जाती है पता नहीं क्या हुआ था अब बस आगे नहीं चल रही थी,
सभी लोग नीचे उतर गए थे, पता नहीं बस में क्या हो गया था कुछ ही दुरी पर एक ढाबा नज़र आ रहा था बस वाले ने कहा की जब तक बस ठीक होती है तब तक आप वहा पर जाकर चाय या नाश्ता भी कर सकते है, यह विचार अच्छा लग रहा था, सभी लोग उसी और जाने लगे थे, यह शाम का वक़्त की भी हो गया था जब निकले थे तब तक दोपहर हो चुकी थी, अब शाम भी हो गयी थी, पता नहीं बस कब तक ठीक होगी, अगर इस बात का पता होता की बस खराब हो जायेगी, तो समय से ही निकलते,
मगर इस बात का पता किसे था की ऐसा हो जाएगा, कुछ देर हो चुकी थी बस वाला आया और कहने लगा की इसमें बहुत समय लग जाएगा, मुझे कुछ सामान पीछे की दुकान से लाना होगा इससे पहले की वह दुकान बंद हो जाए, इसके लिए थोड़ा समय लग जाएगा, अब पता नहीं था की कितना समय और लग जाएगा, अगर हम दूर तक देखे तो जंगल ही नज़र आता है यहां पर और कोई साधन भी नज़र नहीं आ रहा था इस तरह तो घर पहुंचते हुए रात हो जायेगी,
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अब क्या कर सकते है हमे बैठ जाना चाहिए और इंतज़ार करना चाहिए, जब तक बस ठीक नहीं होती है, तब तक कुछ भी नहीं किया जा सकता है दोनों दोस्त बात कर रहे थे तभी पता चला की यह ढाबा बहुत साल पहले से यहां पर है, जबकि यह सड़क ज्यादा चलती नहीं है फिर भी यहां पर यह बहुत साल से है, ढाबे वाले से पूछा की जब यह सड़क ज्यादा चलती नहीं है तब यहां पर आपको क्या फायदा होता है, वह कहने लगा की यहां पर ज्यादा वहां तो आते नहीं है मगर एक या दो बस तो यहां से गुजरती है
जिससे मेरा ढाबा चल जाता है कभी-कभी ऐसा भी होता है की कोई यहां से जाता है तो वह भी यहां पर रुकता है और चाय नाश्ता करता है, मगर तुम यहां पर कैसे रहते हो यहां पर तो दूर तक कुछ भी नहीं है जब हम आ रहे थे तब शहर भी यहां से लगभग बीस किलोमीटर पर था, और आगे भी ऐसा ही घना जंगल है, तुम्हे यहां पर दिक्क्त तो जरूर होती होगी, वह कहने लगा की होती तो है मगर अब क्या करे जब यहां पर ढाबा खोल ही लिया है तो इस बारे में क्या सोचना,
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यह बात भी सही है, मगर यह जानकार बहुत अच्छा लगा की यह ढाबा बहुत पुराना है, ढाबे वाले ने बताया की यह बहुत पुराना है क्योकि इसको मेरे दादा जी भी चलाते थे उस समय यहां पर वहां नहीं चलते थे मगर यहां से जो भी लोग जाते थे तब भी उन्हें फायदा होता था इसलिए मेने इसकी जगह भी कभी नहीं बदली थी, जब उन्होंने ने यहां पर काम शुरू किया है तो में भी इस काम को आगे बढ़ाता रहूँगा, इसलिए कभी भी काम को बंद नहीं किया था
कुछ देर बाद बस वाला आया और कहने लगा की अब बस ठीक हो जायेगी आपको कुछ समय इंतज़ार करना होगा, उसके बाद बस वाला बस को ठीक रहा था, अब एबीएस जल्दी ठीक हो जायेगी, अब बहुत ज्यादा अँधेरा भी हो गया था, क्योकि रात के अब दस बज चुके थे, अगर अब बस ठीक होती है, तो हम रात को ही अपने घर पहुंच पाएंगे मगर घर हमारा गांव में है तो वहा से लगभग एक घंटा गांव में जाने में लग जाएगा, आज का दिन तो बहुत खराब निकला था,
कुछ देर बाद ही बस ठीक हो गयी थी, बस वाले ने कहा की अब सभी लोग चलते है अब बस ठीक हो गयी थी, सभी बस में बैठ गए थे उसके बड़ा बस चलने को तैयार थी, जब बस में बैठे तो रात के ग्यारह बज चुके थे अब बस चला रही थी आधी रात नज़र आ रही थी बस लगभग दो बजे पहुंच गयी थी, जब दोनों दोस्त वहा पर उतरे तो दो बज चुके थे इसका मतलब अब एक घंटा गांव में पहुंचने में लग जाएगा, जब यह बता उसके दोस्त ने सुनी तो वह कहने लगा की यहां पर कोई साधन नहीं चलता है,
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यहां पर कोई भी साधन नहीं चलता है, क्योकि यह रात का समय है, यहां पर रात में कुछ भी नहीं मिलता है अगर शाम हो रही होती तो यहां पर हमे रिक्शा आदि मिल जाते मगर अब रात हो रही है तो कोई भी नज़र नहीं आ रहा है, और अगर हम यहां पर रुकते है तो हमे सुबह के आठ बजे तक इंतज़ार करना होगा, जब आठ बजेंगे तो ही हमे कुछ मिल पायेगा, अब बताओ की अभी चलना है या बाद में चलेंगे, अभी सुबह होने में काफी समय है, इसलिए हमे अभी चलना होगा, दोनों साथ में ही चलने लगे थे
रात भी हो रही थी दोनों उस जंगल के रस्ते से चले जा रहे थे यह कोई भी बात नहीं है की यहां पर रात में चलना आसान नहीं है, पता नहीं की हमे डर भी क्यों लग रहा है क्योकि यहां पर कोई नहीं है यहां बहुत शान्ति है इसलिए हमे थोड़ा डर लग रहा था अगर आज तुम साथ में न आते तो मेरी हिम्मत यहां पर आने की नहीं होती क्योकि इस घने जंगल के बीच में चलना अब मुझे ठीक नहीं लग रहा था, मगर क्या किया जा सकता था, दोनों साथ में चल रहे थे,
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दोनों डरते हुए उस रस्ते से घर तक पहुंच गए थे मगर यह सफर उनके लिए बहुत ही डरावना था क्योकि उन्हें तो आज उतना डर लग रहा था जितना शायद उन्हें पहले कभी भी नहीं लगा था, आज वह समझ गए थे की डर क्या होता है वह दोनों घर पहुंचे और दरवाजे पर पिताजी नज़र आये थे उनका शायद यह भाषण शुरू हो गया था की रात में कोई घर आता है अगर तुम्हे लगता है की देरी हो सकती है तो समय पर चलना चाहिए था, मगर तुम नहीं समझते हो की रस्ते में कुछ भी हो सकता था उसके बाद उसके दोस्त ने कहा की आज के बाद में कभी भी रात में बाहर नहीं निकलूंगा,
यह सफर उन्हें हमेशा याद रहा था भले ही वह दोनों साथ में थे मगर यह सफर आसान नहीं था इसलिए आपको भी ध्यान से चलना चाहिए भले ही कुछ लोग डरते नहीं है, मगर रात में सफर अच्छा नहीं होता है, अनोखा सफर एक कहानी, stories hindi, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आप इसे शेयर जरूर करे और हमे भी बताये,
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