novel story in hindi
hindi novels online, ये ट्रैन का सफर बहुत ही डरा रहा था, उस कोच में कोई भी नहीं था, रात का सफर वो भी अकेला आदमी उस जगह और कर भी क्या सकता है, ट्रैन अब अपनी पूरी रफ़्तार पर थी, नींद आ ही नहीं रही थी, थोड़ा डर भी लग रहा था, कोई अगर साथ में होता तो कितना अच्छा होता,
पर अब तो ये सफर अकेले ही काटना था, उस कोच में अगर घूम कर देखा जाए तो उस समय घूमते हुए भी डर था, थोड़ा हिम्मत करके देखा पर दिमाग में तो यही था की यहां कोई नहीं है, नज़र पता नहीं किसे ढूढ़ रही थी, डर अब बढ़ता ही जा रहा था, पता नहीं कब हम अपनी जगह पहुंचेंगे,
अपनी सीट पर वापिस आकर बैठ गया और अपने स्टेशन का इंतज़ार करने लगा था, तभी चलती ट्रैन पर आवाज आयी, आवाज इस कोच के दरवाजे की थी, ऐसा लग रहा था, की कोई अंदर आया है, पर दिख कोई भी नहीं रहा था, दरवाजे के पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी, ट्रैन लगातार चल रही थी, नींद भी अब गायब हो चुकी थी, कुछ समझ नहीं आ रहा था,
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ये भी पता नहीं चल रहा था की वहा पर कौन है, दरवाजा लगातार आगे और पीछे जा रहा था, अब तो देखे बगैर रहा नहीं जा रहा था, उस दरवाजे की और धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ रहे थे, जब दरवाजे के पास पहुंचे तो वहा कोई भी नहीं था, सिर्फ हवा से वह हिल रहा था, अब थोड़ा परेशानी दूर हुई थी, बहार की और देखने पर सिर्फ अँधेरा ही था,
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तभी वही खड़े हुए कुछ सोच रहे थे, अब सिर्फ दिमाग में यही था की कोई स्टेशन आ जाए, पर लगता नहीं था की स्टेशन नज़दीक है, मन में आ रहा था, अगर कोई भी स्टेशन आ जाए तो दूसरे कोच में चला जाए, जब तक यहां होंगे तब तक डर बहुत लगता रहेगा, पर ट्रैन तो कही भी रुक नहीं रही थी,
तभी वाशरूम से बहुत तेज आवाज आयी, और डर भी लगने लगा की अब वहा पर कौन हो सकता है, मेने तो किसी को भी अंदर जाते हुए नहीं देखा था, अंदर कौन हो सकता है, और इतनी तेज आवाज क्यों आयी थी, वो दरवाजा तो बंद है, पर अंदर कौन है, तभी दरवाजा खोला तो वहा कुछ भी नहीं था, अब कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो आवाज किसकी थी,
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तभी ट्रैन धीमी हो रही थी, लग रहा था, की अब ट्रैन रुकने वाली है शायद कोई स्टेशन आ रहा है, तभी ट्रैन स्टेशन पर रुक गयी थी, ट्रैन के रुकते ही जल्दी से उस कोच से बहार आया और दूसरे कोच में चढ़ गया उस कोच में कुछ लोग बैठे थे इस तरह उस कोच से पीछा छूट गया था, पर आज भी वो आवाज जो बहुत तेज हुई थी पता नहीं किसकी थी,
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