खंडहर पड़ा मकान भाग एक, horror story in hindi

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horror story in hindi

भूत की सबसे डरावनी कहानी, (horror story in hindi) यह कहानी दो दोस्तों की है, वह बहुत ही अच्छे दोस्त थे, उनमे से एक दोस्त बहुत ही बातें करता था मगर वह भूतो पर विश्वास नहीं करता था क्योकि उसका यह मानना था की जो कोई दिखाई नहीं देता है वह है भी या नहीं इसके बारे में क्या पता, लेकिन दूसरा भूत की बातो पर विश्वास करता था जो विश्वाश करता था उसका नाम निकेत था और जो विश्वाश नहीं करता था वह संजीव था,

खंडहर पड़ा मकान कहानी भाग एक : horror story in hindi

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horror story in hindi

संजीव का सवभाव हमेशा अच्छा था क्योकि वह सभी से अच्छी तरह से बाते करता था क्योकि उसकी बातो में हमेशा हसी झलकती थी, निकेत थोड़ा कम बोलता था लेकिन वह अपने दोस्त को बहुत मानता था वह दोनों एक छोटे से गांव में रहते थे, उस गांव में ज्यादा लोग नहीं थे क्योकि वह एक बड़े गांव का हिस्सा था कुछ लोग अपना घर दूसरी जगह पर बना चुके थे,

 

इसलिए यह गांव बहुत छोटा हो गया था, निकेत और संजीव का घर कुछ दुरी पर था और जब भी शाम होती थी वह घर से बहार निकल जाते है, और साथ में घूमते थे वह अपनी पढ़ाई किसी दूसरे शहर में रहकर कर रहे थे क्योकि गांव में कोई बड़ा स्कूल नहीं था लेकिन उनके शहर में बड़े स्कूल थे इसलिए वह अपनी छुट्टी में गांव आये हुए थे, वैसे तो वह हर महीने अपने गांव में आ जाया करते थे, मगर इस बार वह कुछ महीनो से नहीं आये थे,

 

इसलिए जब वह आये तो छुट्टी पड़ गयी थी वह दोनों सातवीं कक्षा में पढ़ते थे, यहां तक उन दोनों का परिचय होता है, अब हम आगे बढ़ते है इस बात का आज बहुत साल बीत गए है क्योकि अब दोनों बड़े हो गए है, और अपने-अपने काम में लग चुके है, हमे नहीं पता है की आप इस बारे में क्या सोचते है या आपके विचार क्या कहते है,

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क्योकि यह बात सभी लोग जानते है की इन बातो पर विश्वास करना आसान नहीं है मगर प्रमाण न होने की वजह से विश्वाश थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन आप ही सोचिये जिसके साथ कुछ भी घटित होता है और वह आकर यह बताता है की मेरे साथ ऐसा हुआ है तो हम में से कुछ लोग बात को मानेगे और कुछ नहीं है क्योकि कुछ विश्वास करते है और कुछ नहीं बस यही फर्क होता है, जिसके कारण यह सब होता है,    

 

शाम हो गयी थी, जोकि हर रोज होता है वह दोनों घूमने के लिए निकल पड़े थे, संजीव और निकेत दो घूमते हुए काफी दूर निकल चुके थे उनकी नज़र एक खड़र पड़े मकान पर गयी थी, निकेत नहीं जानता था की वह मकान किसका है मगर संजीव को थोड़ा पता था उसने कहा की यह मकान आज से बहुत साल पहले का है, यहां पर एक परिवार रहता था एक दिन वह परिवार यह घर छोड़कर चला गया था,

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उसमे एक बूढ़ा आदमी ही रह गया था, वह बूढ़ा आदमी अपनी जगह को छोड़कर नहीं जाना था इसलिए वह रुक गया था और किसी बिमारी के कारण यही पर मर गया था, उसके बाद यह मकान ऐसे ही पड़ा है वह मकान काफी बड़ा था और उसके चारो और बहुत सारे पेड़ पौधे उग आये थे, निकेत को बहुत डर भी लग रहा था, संजीव ऐसा कुछ भी महसूस नहीं कर रहा था,

 

तभी संजीव ने कहा की हमे चलकर देखना चाहिए क्योकि हम ऐसे किसी भी मकान में नहीं है जो बहुत पुराना हो, निकेत अंदर जाने से मना कर रहा था क्योकि उसे डर भी लग रहा था वह ऐसे किसी स्थान पर नहीं जाना चाहता था जोकि बहुत डरावना हो, क्योकि वह मकान अभी तक खंडर पड़ा था संजीव ने कहा की तुम हमेशा डरते रहोगे कभी तुम बहुत ज्यादा अँधेरे से डरते हो कभी तुम अचनाक ही डर जाते हो

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ऐसा कब तक चेलगा तुम्हे कुछ सोचना होगा, तुम्हे यह डर बहार निकालना होगा, निकेत ने कहा की मुझे डर लगता है तो वह लगता ही रहेगा इसमें कुछ भी बदलाव नहीं होगा मगर इस मकान में ऐसा क्या है जो तुम अंदर जाकर देखना चाहते है, संजीव ने कहा की कुछ नहीं है मगर हो सकता है की अंदर कुछ मिल जाए, निकेत ने पूछा की क्या है अंदर, संजीव ने कहा की वह मुझे नहीं पता है, मगर जब तक अंदर नहीं जाएंगे तो पता कैसे लगेगा,      

 

संजीव अंदर जाने के लिए त्यार था, निकेत की मज़बूरी थी की वह अपने दोस्त के साथ ही रहे, इसलिए दोनों अंदर चले गए थे जब वह अंदर पतो अंदर भी बहुत पौधे उगे हुए थे क्योकि यह मकान बहुत ही पुराना था, हो सकता है की यह खंडर मकान लगभग पचास साल पुराना होगा इसलिए संजीव का मन पुराने मकान को देखने का कर रहा था, उस पुराने मकान में सामान ऐसा ही रखा हुआ था जबकि वह सामान टूट चूका था

 

ऐसा लगता है की यहां कोई डरा नहीं आया होगा, संजीव इस तरह की बाते कर रहा था मगर निकेत चुप था वह कुछ भी नहीं बोल रहा था, निकेत ने कहा की अब बहार चलना चाहिए क्योकि बहुत समय हो गया है, तभी एक आवाज दूसरे कमरे से आयी वह कमरा बंद नज़र आ रहा था, ऐसा लगता था की कोई वह पर है पर कौन हो सकता है, संजीव सोचने लगा की कोई और भी है हमे देखना चाहिए मगर क्या हो सकता है, 

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संजीव को डर नहीं लगता था लेकिन निकेत को डर लग रहा था, क्योकि बंद बड़े मकान के अंदर जहा छत भी नहीं है, ऐसी झग पर कोई रह भी सकता है, जबकि यह गांव बहुत पुराना है, यहां पर कौन हो सकता है, ऐसा सोचकर निकेत बहुत डर रहा था, मगर संजीव उस कमरे की और बढ़ रहा था जिस जगह पर आवाज आ रही थी,

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जब वह कमरे के अंदर जाने से पहले रुका तो उसे कमरे में अँधेरा नज़र आ रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं सकता था क्योकि कमरा भी टुटा हुआ नज़र आ रहा था कमरे में इतना अँधेरा कैसे हो सकता है उधर निकेत डर चूका था,

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