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पुराने दिन हिंदी कहानी
hindi stories, यह बात 1997 की है तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी और दरवाजे को खोलने में कुछ वक़्त लग गया और जब दरवाजा खोला तो सामने हमारे जाने पहचाने दोस्त खड़े हुए थे उन्हें देखकर तो बहुत ज्यादा यादे ताजी हो गयी क्योकि हम और वो दोनों साथ पढ़े हुए थे
बच्पन्न की दिन किसी ये याद नहीं रहते ये तो वो दिन थे जो हर कोई याद करके खुश हो जाता है पहले तो एक पूरा मिनट तो उसे देखने में ही लग गया हरे भाई बहुत साल बाद आये थे अब सुनाओ क्या हाल है इतने साल बाद यहां आना हुआ तुम तो हमे भूल ही गए अब क्या चल रहा है
हम दोनों की वार्ता चल रही थी तभी हमारी गरमा गर्म चाय भी आ गयी अब मौसम भी ठंडा है नवंबर का महीना और ठण्ड तो है ही, लीजिये चाय पीजिये हम दोनों चाय पीने लग गए उन दिनों मनोरजन का कुछ जायद साधन भी नहीं था
आजकल की तरह मोबाइल भी कहा थे जिसके सहारे टाइम पास हो जाता अब तो बहुत कुछ बदल गया है अब लोगो की पास समय नहीं है काम का बोझ ज्यादा है किसी के पास किसी से मिलने का समय नहीं है अब जमाना बहुत बदल गया है पहले लोग कुछ समय निकाल कर मिलने जाते थे अब समय ही नहीं है तो निकले भी तो क्या, खेर आगे हमारी बाते शुरू हुई
पुराने यादे फिर से ताजा हो गयी पुराने दिन याद दिला दिए उसने और अब दोहपहार का समय हो गया था खाने की भी तैयारी हो चुकी थी साथ में खाना खाया और बहुत सारी बाते की, बाते करते हुए समय बीत गया और शाम कब हो गयी पता नहीं चला
अब क्या चल रहा है जीवन में हमने पूछा तो उसने बताय की अभी लड़का दसवीं कक्षा में है और छोटी बेटी अभी सातवीं में पढ़ रही है और बस वो ही चल रहा है जो हर घर की कहानी है हर रोज सुबह काम पर जाओ और शाम को वापिस आ जाओ.
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आज बहुत दिन बाद सोचा की फुर्सत है तो तुमसे मिला जाए नहीं तो जवानी से बुढ़ापा कैसे आ जाएगा पता नहीं चलेगा हमने भी कहा की सच है यही सब उलझन में आदमी फंस जाता है और वक़्त का तो पता ही नहीं होता की कब चला जाए
आज अगर हम रिश्तो की बात करे तो सिर्फ नाम के ही रह गए है अब वो मिठास नहीं है जो पहले हुआ करती थी पहले हर त्योहार पर मिलने आते थे अब पता ही नहीं चलता की सब कहा गए क्योकि अब कोई नहीं आता है पहले सब एक साथ रहते थे अब छोटी फॅमिली में ही सब खुश रहना चाहते है
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क्योकि अब कोई साथ रहना ही नहीं चाहता अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन वो भी आएगा जब लोग पगले बच्पन्न में और फिर बुढ़ापे में मिलेंगे पता नहीं चलेगा की वक़्त कैसे बीत जाएगा मेरा तो यही मानना है की सबको एक साथ रहना चाहिए क्यों आपको नहीं लगता है की ऐसा होना चाहिए आप हमे जरूर बातये
hindi stories, शाम होते ही हमारे दोस्त ने चलने की इच्छा जाहिर की और कहा की आते रहना और वह अपने घर की और चल पड़े आज यह कहानी हम लिख रहे है जानते है की आज इस बात को काफी साल बीत गए है इस बात से हमे यही सीख मिली है की हमे साथ रहना चाहिए अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आगे भी सहारे करे और हमे भी बताये
हिंदी कहानी:-पुराने दिन
लेखक:- संजीत कुमार
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