Good small moral stories in hindi
जब मुलाकात हुई
kahaniya in hindi with moral, दो आदमी आपस में मिले और दोस्त बन गए, एक रास्ते पर दोनों की मुलाकात हुई, ये बात बहुत साल पहले की है, अलाहाबाद ट्रैन से जब दोनों लोग वापिस आ रहे थे, तभी दोनों आपस में मिले उसके बाद कुछ बात हुई सफर बहुत लम्बा था, लम्बे सफर में कोई तो ऐसा चाहिए जो साथ में बात कर सके और सफर का भी पता न चले,
रमेश सिंह और सुरेश पाल दोनों की बात शुरू हुई और अब ट्रैन का सफर भी सुबह तक था, दोनों लोग सो भी सकते थे पर ट्रैन किसी-किसी को ही नींद आती है, इसलिए दोनों लोग बात करने लगे दोनों की सीट ऊपर की बर्थ पर थी दोनों आमने सामने थे, ट्रैन भी अपनी चाल से चल रही थी, कुछ देर तक दोनों ने बाते की, उसके बाद ट्रैन एक स्टेशन पर रुकी थी,
उस स्टेशन से दो लोग उसी बर्थ में चढ़े, उनकी उम्र भी बहुत लग रही थी ऐसा लगता था, उनकी उम्र कोई सत्तर के पास होगी, उनके पास कोई सीट नहीं थी, और जब हम दोनों ने देखा की कोई भी सीट देने को तैयार नहीं था, हमने उन्हें कहा की आप दोनों हमारी सीट पर आ जाए हम दोनों अपनी सीट पर बैठ गए,
वह दोनों लोग भी ऊपर आ गए और अब हम चार लोग हो गए थे, उन्होंने ने कहा की हम बहुत जल्दी में थे इसलिए रात को ही हमे आना पड़ा उनकी बातो से लग रहा था, की वो दोनों बहुत परेशान थे, उन्हें कही पर बहुत जल्दी पहुंचना था, पूरी बात तो हमे पता नहीं थी, हम सिर्फ अंदाज़ा ही लगा सकते थे,
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हम दोनों एक सीट पर हो गए और उन दोनों को अगली सीट पर बैठा दिया कुछ देर बाद ट्रैन चल पड़ी, हम दोनों अपनी ही बात में लग गए थे, ट्रैन अगले स्टेशन पर रुकी और वह से भी एक आदमी जिसकी उम्र भी काफी लग रही थी, वह भी सीट ढूढ़ने की कोशिश कर रहा था, उसे भी शायद कोई जगह नहीं दे रहा था, हमने उसे भी अपने साथ ले लिया, अब हम अपनी सीट पर एक और बैठा चुके थे,
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हम तीन लोग एक ही सीट पर थे, हम यह सोच रहे थे, हम दोनों के विचार एक जैसे है, हमने पहले ही दो लोगो को सीट दे चुके थे, और अब एक और आदमी भी आ गया था, क्या हम दोनों अच्छे है या हम दोनों दानी है, जहाँ एक और यह दुनिया किसी की भी मदद नहीं करती है वही हम कर रहे है, हम ही क्यों कोई और भी कर सकता है,
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तभी रमेश ने पूछा की क्या सोच रहे है, कुछ नहीं, हमने इस बारे में सोचना छोड़ दिया और बाते करने लगे थे, ट्रैन अब अगले स्टेशन पर रुकी और रमेश सिंह थोड़ा डर गए, उन्हें लगा की कोई और तो अब नहीं चढ़ेगा, क्योकि जो आएगा वो यही पर बैठ जाएगा, हमसे मना भी तो नहीं होती है, कोई नहीं चढ़ा और ट्रैन चल पड़ी थी, रमेश ने चैन की सांस ली, रमेश ने कहा की कोई नहीं चढ़ा है
हम दोनों बात कर रहे थे पर हम क्या देखते है दूसरे और से एक महिला वो भी काफी उम्र की थी सीट की तलाश कर रही थी, उसे भी सीट नहीं मिल रही, अब तो हम दोनों ने सोच लिया था, अब ऐसा करते है हम दोनों ट्रैन से ही उतर जाते है और इस महिला को सीट दे देते है, हम दोनों उस बर्थ से उतरे और खड़े हो गए, महिला सीट पर बैठ गयी हम दोनों लगभग आधी रात ऐसे ही खड़े रहे थे,
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सुबह हुई हम दोनों उतर गए और अपने घर चले गए, इस बात को आज बहुत साल हो गए है और जब भी यह किस्सा याद आता है हमे हंसी भी आती है और सोचते भी है, लेकिन आज अब ऐसा आदमी शायद ही होगा जो किसी की इतनी मदद करेगा, आज दुनिया बहुत बदल गयी है पर ऐसा इंसान कही तो जरूर होगा, जो सबकी मदद करेगा, आपको यह कहानी कैसी लगी हमे जरूर बताये.
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