Best hindi novels
व्यवहार एक कहानी, (best hindi novels), यह नॉवेल हमारे व्यवहार के बारे में बताता है, जिससे हमे पता चलता है की हम दुसरो के प्रति केसा व्यवहार करते है, हम दुसरो के साथ जैसा “व्यवहार” करते है वैसा ही व्यवहार हमे भी मिलता है इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए. क्योकि जब किसी को पता चलता है तो बहुत दुःख होता है,
व्यवहार की दो हिंदी कहानी : Best hindi novels
हमारी कहानी के किरदार में रीमा, उसके पति राजेश और संजनी जोकि रीमा की सहेली है, उसकी अभी शादी हुई है, जबकि रीमा की शादी को अभी आठ साल हो चुके है, वैसे संजनी रीमा से बहुत छोटी है, रीमा की मुलाकात संजनी से एक सिलाई की कक्षा में हुई थी तभी से दोनों अच्छी दोस्त है, राजेश का व्यवहार बहुत अच्छा है वह सभी से अच्छे से बात करता है, संजनी और रीमा का “व्यवहार” अच्छा है मगर रीमा थोड़ी अलग है, अब हम अपनी कहानी की और आगे बढ़ते है,
रीमा पहली बार उस शहर में आती है जिसमे संजनी पहले से ही रहती है क्योकि राजेश की नौकरी की वजह से उसे इस शहर में आना पड़ा था, संजनी को इस बात की खबर नहीं थी, रीमा को आये हुए अभी दस दिन हुए थे उसने बाजार अभी देखा नहीं था इसलिए वह बाजार से कुछ सामान लेने गयी थी, जिससे बाजार के बारे में उसका ज्ञान भी बढ़ जाए और सामान भी आ जाए, ठण्ड का समय था, रीमा ने शॉल भी लिया हुआ था ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी वह सामान लेने के लिए एक दुकान पर गयी थी और सामान देख रही थी
कुछ सामान ले लिया था और अभी कुछ बाकी था तभी संजनी अंदर आती है, उसकी नज़र रीमा पर पड़ती और कहती है की तुम यहां पर है, आवाज सुनकर रीमा देखती है और पता चलता है की संजनी भी यही पर है, दोंनो बाते करती है, उसके बाद रीमा बताती है की में अभी कुछ दिन पहले ही इस शहर में आयी थी और मुझे यह बिलकुल भी नहीं पता था की तुम यहां पर हो, रीमा कहती है की अब तो पता चल ही गया है रीमा संजनी को अपने घर पर ले जाना चाहती है, संजनी कहती है, की में कुछ सामान ले लू, उसके बाद तुम्हारे घर पर आ जाउंगी,
रीमा भी कहती है की ठीक है में तुम्हारा इंतज़ार करती हु, तुम जल्दी आ जाना रीमा घर पर चली जाती है उसके कुछ देर बाद वह सोचती है की संजनी कुछ देर में आ जायेगी, मुझे उसके लिए कुछ बना लेना चाहिए वह पहली बार यहां पर आ रही है इसलिए वह काम में लग जाती है कुछ देर बाद घंटी बजती है रीमा को लगता है की संजनी आ गयी है वह दरवाजा खोलती है और सामने राजेश होते है राजेश को देखकर पूछती है की आप बहुत जल्दी आ गए है,
राजेश कहते है की आज तबियत कुछ ठीक नहीं है इसलिए सोचा की आराम कर लू, रीमा कहती है की संजनी मेरी सहेली आज आ रही है वह भी इसी शहर में रहती है में उससे कुछ देर पहले ही मिलु हु, वह आती ही होगी आप आराम कर ले, में आपके लिए छाए बनाती हु, तभी घंटी बजती है संजनी अब आ चुकी है, संजनी राजेश से मिलती है और रीमा के साथ अंदर चली जाती है, रीमा ठण्ड होने की वजह से रजाई में बैठी थी उसी रजाई में संजनी भी बैठ जाती है,
संजनी का ऐसे बैठना रीमा को अच्छा नहीं लगता है, लेकिन वह कुछ नहीं कहती है कुछ देर बाद वह चाय बनाने अंदर जाती है एक कप चाय वह राजेश के लिए लेकर जाती है, जिससे वह थोड़ा आराम कर सके, वह चाय पीना शरू कर देते है, रीमा संजनी के लिए भी चाये ले जाती है और दोनों बाते शरू करते है संजनी कहती है की हमे पता होता तो हम आपके आने की तैयारी कर देते रीमा ने कहा की हमे नहीं पता था की तुम यहां पर रहते हो, क्योकि पहली बार यहां पर आकर हमे परेशानी हुई थी.
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नया शहर है, इसके बारेमे जानने के लिए थोड़ा समय भी चाहिए था धीरे-धीरे इसके बारे में पता चला जाएगा, संजनी कहती है की मेरे पति शाम को आ जाएंगे तो आज आपके लिए खाना हमारे यहां पर है दोनों बाते करेंगे और अच्छा भी लगेगा, रीमा कहती है की ठीक है आज शाम को हम दोनों आ जाएंगे, उसके कुछ देर बाद संजनी चली जाती है राजेश अभी आराम कर रहे थे अब उन्हें शायद नींद आ गयी थी, वह सो चुके थे रीमा को संजनी का ऐसे बैठना अच्छा नहीं लग रहा था उसने वह रजाई का खोल ही निकाल दिया था उसके बाद उसे धोने के लिए डाल दिया था
कुछ देर बाद राजेश उठ जाते है अब उनकी तबियत कुछ ठीक लग रही थी, वह पूछते है की संजनी चली गयी है, रीमा ने कहा की वह चली गयी है और हमे शाम को उनके यहां पर भी जाना है उन्होंने ने खाने पर बुलाया है, शाम को हम सब एक साथ में खाना खाएंगे, राजेश कटे है की ठीक है शाम को चलते है, उसके बाद रीमा वह खोल धोने चल देती है राजेश देखते है की यह क्या हो रहा है वह पूछते है रीमा कहती है की संजनी हमारी रजाई में बैठ गयी थी, आपको पता है की मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है
राजेश कहते है की तुम्हारी यह आदत अच्छी नहीं है, हर बार तुम ऐसे ही करती हो, जबकि रीमा को यह पसंद नहीं है, राजेश जानते है की इस बात का कोई अंत नहीं है, इसलिए वह कुछ भी नहीं कहते है शाम होते ही दोनों खाने पर चले जाते है मगर रीमा की यह आदत कभी भी नहीं जाती है दोनों शाम को खाने के बाद वापिस आते है संजनी ने उनके लिए अच्छा खाना बनाया था जिससे उन्हें किसी भी कमी का कोई भी एहसास न हो, आपको यह व्यवहार एक कहानी, (best hindi novels) कैसी लगी, हमे जरुरी बताये और आप इस कहानी को जरूर शेयर करे.
हमारा व्यवहार हिंदी कहानी :- best hindi novels
best hindi novels, हमारा “व्यवहार” ही सब कुछ होता है, अगर हमारा “व्यवहार” अच्छा है तो सब कुछ अच्छा है, अगर वह अच्छा नहीं है तो कुछ भी अच्छा नहीं है, यह कहानी दो दुकान पर काम करने वाले की है, हम इससे यह समझ सकते है की हमारा “व्यवहार” कितना ठीक होना चाहिए एक नगर में दो दुकान वाले थे वह आमने सामने अपनी दुकान पर काम करते थे, उनकी एक ही सामान की दुकान थी, मगर “व्यवहार” दोनों का बहुत अलग था,
रमेश जिसका “व्यवहार” थोड़ा अलग था, वह हमेशा यही गुस्से में रहता था, जिसकी वजह से वह कभी कभी दुखी भी रहता था, दुसरा जिसका नाम महेश था, महेश बहुत ही सज्जन था, सभी से अच्छे से बात करना सभी का आदर करना शायद उसे बहुत अच्छा लगता था, यह कोई दिखावा नहीं था, महेश हमेशा ऐसे ही ऐसा था, उसे यह लगता था, वह जैसा “व्यवहार” करेगा हमे भी वैसा ही मिलेगा, शायद यही कारण था, की वह बहुत अच्छा था, एक दिन की बात है, एक साधू जी रमेश के पास आते है, वह रमेश से कुछ भिक्षा मांगते है,
मगर जैसा की रमेश का “व्यवहार” था वह गुस्सा हो जाता है, वह कहता है की मेरे पास कुछ भी नहीं है, अगर तुमने मुझसे कुछ और पूछा तो मुझे बहुत अधिक गुस्सा आ सकता है, यह सुनकर वह साधू जी कहते है की में यहां से चला जाता हु लेकिन आप गुस्सा न करे, यह ठीक नहीं होता है, रमेश कहता है की मेरी दुकान ठीक नहीं चल रही है, ऊपर से तुम मुझसे शिक्षा दे रहे हो, वह साधु जी अगली दुकान महेश के पास जाता है, महेश साधु जी को देखता है, उन्हें पानी देता है, वह चलकर आये थे, उन्हें भोजन देता है, यह सब कुछ रमेश देख रहा था,
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उसे यही लगता था, की वह भी उस साधु को वह ऐसे जाने देगा मगर यह सब कुछ गलत साबित हुआ था वह तो उनकी सेवा कर रहा था, वह साधु जी कुछ देर बाद चले जाते है, यह देखकर आज रमेश को कुछ ठीक नहीं लग रहा था, कुछ देर बाद रमेश देखता है की महेश की दुकान पर लोग आने लगते है जबकि उसकी दुकान में भी वही सामान है लेकिन मेरे पास कोई नहीं आता है, दो दिन बाद वह साधु जी फिर से रमेश के पास आता है, रमेश साधु जी कहता है, आपको पता है, की मेरे पास कुछ नहीं है,
best hindi novels, फिर भी आप यहां पर आये है जबकि महेश के पास आपको सब कुछ मिल जायेगा यह सुनकर साधु जी कहते है की तुम भी बहुत अच्छे हो मगर अपने “व्यवहार” से ही तुम पीछे हो गए हो, में तुम्हारे पास इसलिए आया हु क्योकि तुम्हे अपना “व्यवहार” अच्छा रखना चाहिए अगर तुम यह कर सकते हो तो तुम जीवन में हमेशा खुश रह सकते हो, शायद आज रमेश को लग रहा था की वह अभी तक गलत कर रहा था, आज वह सब कुछ अच्छा ही करेगा साधु जी उसे आशीर्वाद देते है और चले जाते है वह भी अपने जीवन में अच्छा करना चाहता है,
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