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छोटी सी बात हिंदी कहानी
hindi stories, hindi story, वो भीड़ वाला इलाका उन रास्तो पर चलना बहुत ही कठिन होता है इतनी भीड़ देखकर तो बस ऐसे ही लगता था की अगर भीड़ कम हो जाए तो तभी कुछ लिया जाए मगर ऐसा होना कोई आसान तो था नहीं इसलिए उस बाजार में जाना जरुरी होता है अगर समान लाना है तो जाना ही पड़ेगा
अपने गांव से तीन किलोमीटर की दुरी पर बसा हुआ था ये बाजार पडोसी गांव के भी लोग इस बाजार में समान लेने जाते थे इसका मैन कारण था आस-पास कोई और बाजार नहीं था बस यही पर था इसलिए भीड़ होना जरुरी था आप कभी भी इस बाजार में जाए आपको आसानी से समान नहीं मिलेगा
ऐसा भी होता था की आप एक समान के लिए खड़े है और वो भी आपको दो घंटे में मिलेगा क्योकि जब नंबर आएगा तभी आपको समान मिलेगा नहीं तो आप घंटो खड़े रह सकते है ऐसा ही एक किस्सा याद आ रहा है जो हम आपको यहां पर बताने जा रहे है
समान लेने के लिए एक लाइन लगी थी लाइन में लगभग पचास लोग खड़े थे और अंत में एक बूढी अम्मा, इनकी उम्र भी बहुत जयादा थी और अगर हम गर्मी की बात करे तो वो भी कम नहीं थी बस खड़े-खड़े पसीने आ रहे थे पर क्या करे जब काम होगा तभी यहां से जाएंगे
धीरे-धीरे लाइन आगे बढ़ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे हम रेलगाड़ी का टिकट लेने के लिए खड़े थे पर लाइन खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी बस आगे बढ़ती थी कोई तो इतना समान ले रहा था की लगता है आज ही सालभर का ले जाएगा कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाए
तभी एक आदमी ने आवाज लगायी की आज शाम तक यही पर खड़ा रखेंगे अब समान देने वाला भी एक ही आदमी था वो किसे-किसे समान दे इसलिए समय बहुत जयादा लग रहा था हमने भी उस बूढी अम्मा को देखा और कहा की अम्मा ऐसे तो आपको बहुत समय लगेगा आप कुछ देर आराम कर लो
अम्मा ने कहा बेटा घर में में ही थी समान लाने के लिए मेरा बेटा खेत गया था और कोई ऐसा नहीं है जो समान ला सके अब अगर आराम करूंगी तो और बहुत समय लग जाएगा, अम्मा देख कर ऐसा लगता था की हम आज जवान है तो सबकुछ कर सकते है और अम्मा बुढ़ापे में भी काम कर रही है जो उम्र उनकी आराम करने की है उसमे काम करना तो अच्छा नहीं है
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तभी मन में एक विचार आया की अम्मा आप मुझे अपने समान की पर्ची दे दो में अपने समान के साथ आपका भी समान ले लूंगा और आप थोड़ा आराम कर लो अम्मा ने कुछ देर देखा और कहा की ठीक है और एक घंटे बाद आखिर समान का नंबर आ ही गया और हमने अपना समान ले लिया और अम्मा का भी,
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hindi stories, hindi story, अम्मा अपना समान लेकर चली गयी और हमारे मन में हमेशा विचार आता रहा की बुढ़ापे में काम करना बहुत ही कठिन होता है पर मज़बूरी भी कोई चीज है जिसके आगे सब बेकार है कुछ नहीं किया जा सकता है, जितना हो सके हमे बुजुर्गो की हमेशा मदद करनी चाहिए, अगर आपको यह छोटी सी बात अच्छी लगी है तो आगे भी शेयर करे और हमे भी बताये.
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