सही सोच की कहानी के दो भाग, latest hindi story

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यह सही सोच की कहानी भाग एक और दो (latest hindi story) आपको पसंद आएगी, क्योकि जीवन में हम कभी-कभी कुछ फैसले ऐसे लेते है जिससे हमे परेशानी होती है, इसलिए सोच कर ही फैसला करे,

सही सोच की कहानी भाग एक : latest hindi story

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Latest hindi story, एक गांव में एक लड़का जिसका नाम सेवत रहता था, अगर हम सेवत की बात करे तो वह बहुत की कामचोर था काम करना उसे पसंद नहीं था, वह हर काम हमेशा टाल दिया करता था, उसके घर में वह तीन ही लोग थे उसके माता-पिता और सेवत, सेवत का अभी विवहा नहीं हुआ था, but अभी उसका विवाह हो जाए यही कामना उसके माता-पिता करते थे,latest hindi story

 

एक दिन सेवत के पिता उसे अपने साथ ले गए थे, Because वह सेवत को समझना चाहते थे की काम करना बहुत ही जरुरी होता है, इसलिए वह उसे खेत पर ले गए थे, जब सेवत के पिता ने कहा की तुम्हे खेत में क्या दिखाई देता है, सेवत ने कहा की यह खुला मैदान है जो चारो और फैला हुआ है, लेकिन पिता ने कहा की तुम्हे और कुछ नहीं दिखाई देता है,

 

सेवत को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, की पिताजी क्या कहना चाहते है, सेवत ने कहा की मुझे तो और कुछ भी नहीं दिख रहा है, सेवत के पिता ने कहा की यह हमारे खेत है जिससे हमे खाने को मिलता है, अगर यह बात तुम्हे समझ नहीं आती है, तो जीवन में तुम क्या करोगे, सेवत के पिता ने कहा की जब हम खेती करते है तो हम उसे बेचकर जो भी धन कमाते है, उससे हमारा जीवन चलता है,

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शायद पिताजी का समझाना सेवत को बुरा लग रहा था, Because वह कुछ भी समझना नहीं चाहता था, पिताजी को अब बहुत गुस्सा आ रहा था क्योकि सेवत उनकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा था, दोनों घर वापिस आ गए थे, सेवत पढ़ा लिखा था मगर वह खेती नहीं करना चाहता था, वह शहर नहीं जा सकता था, क्योकि उसके पिता उसे खेती की बात समझा रहे थे, वह यही चाहते थे की वह अपनी खेती पर ध्यान दे,

 

सेवत खेती नहीं करना चाहता था तभी उसे कामचोर कहा जाता था, but उसे खेती करना पसंद नहीं था, वह कुछ और करना चाहता था, but वह गांव की दुनिया से बहार भी नहीं निकल रहा था, एक दिन सेवत और उसके पिताजी में इस बात को लेकर झगड़ा हो गया था, वह खेती नहीं कर रहा था, मगर सेवत के पिता यही चाहते थे, सेवत इस बात को मानने को त्यार नहीं था, 

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जब सुबह हुई तो सेवत घर छोड़कर जा चूका था, Because शायद वह परेशान हो गया था, सेवत के पिता ने बहुत ढूढ़ा मगर उन्हें सेवत नहीं मिल रहा था, सेवत ने ऐसा कुछ भी नहीं छोड़ा था जिससे उन्हें यह पता चले की वह कहा गया है, सेवत के पिता बहुत परेशान हो गए थे, उनका एक ही लड़का जो उन्हें छोड़कर चला गया था, अभी उसकी उम्र ही क्या थी, वह बीस साल का हो गया था,

 

उसके माता-पिता दोनों ही परेशान रहने लगे थे, क्योकि वह सेवत को खो चुके थे, पता नहीं अब सेवत कब आएगा, आएगा भी या नहीं, इस बात को वह दोनों लोग नहीं जानते थे, हर रोज यही सोचते थे की आज सेवत आ जाएगा, मगर बहुत समय हो गया था वह नहीं आ रहा था, उधर सेवत अपने गांव से लगभग 200 किलोमीटर दूर एक शहर में चला गया था,

पेड़ और झाड़ी

वह उस जगह पहली बार गया था, उसे कोई भी इसी जगह नहीं मिल रही थी जिस जगह वह रुक पाए उसे रात को स्टेशन पर सोकर गुजारनी पड़ती थी, क्योकि अनजान जगह पर उसे ठरना बहुत मुश्किल लग रहा था, वह गांव से बाहर आ तो गया था, मगर वह कुछ भी इंतजाम नहीं कर पा रहा था, हर रोज वह किसी न-किसी काम की तलाश में निकल पड़ता था,

 

but कोई भी काम उसे नहीं मिल रहा था, जितने पैसे उसके पास थे, वह भी खत्म होने वाले थे, और आखिर पैसे भी खत्म हो ही गए थे, अब क्या करे कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था, वह यह सोचता हुआ स्टेशन पर बैठा था, तभी ट्रैन से एक सेठ उतरा और उसे हाथ में एक बैग था, उसके बैग में पता नहीं क्या था, तभी उसका बैग छीनकर एक आदमी भागता हुआ चला गया था,     

रेल का डिब्बा

सेवत ने सोचा की मुझे उनकी मदद करनी चाहिए, सेवत ने ऐसा ही किया था और वह उस आदमी के पीछे भागा था, वह आदमी के पीछे भागता हुआ काफी दूर चला गया था, उधर सेठ इस बात के लिए परेशान था का उसका बैग किसी चोर ने चुरा लाया था, वह चोर उस बैग को खोल रहा था, उस बैग में कुछ भी नहीं था, उस बैग में कुछ कागज़ थे इसलिए चोर ने वह बैग वही पर फेंका और चला गया था,

 

सेवत पीछा करता हुआ आया और उसे वह बैग मिल गया था उसने वह बैग उठाया और अपने पास रख लिया धीरे-धीरे आगे की और बढ़ने लगा था, सेठ वही पर बैठा था, वह बैग का इंतज़ार कर रहा था सेवत आया और बोला की यह आपका बैग है सेठ ने कहा की यह मेरा बैग है, मेरे इसमें जरुरी कागज़ है इसलिए में परेशान था, सेवत की हालत बहुत ज्यादा खराब थी, वह कुछ दिनों से भूखा लग रहा था, सेठ ने कहा की आपकी मदद से मुझे यह बैग मिल पाया है,  

क्या आप यही सोचते है

सेठ वही पर बैठ गया था और सोच रहा था की आज तुमने मेरी मदद की थी, अगर तुम ऐसा नहीं करते तो मेरा बहुत नुक्सान होता, सेवत ने कहा की इसमें मदद करने की बात क्या थी, और कोई भी होता तो वही करता, मगर तुम मुझे कुछ अलग लगते हो, तुम यहां पर क्या कर रहे हो, सेवत ने बताया की में यहां पर अपने गांव से आया था और किसी नौकरी की तलाश में था ,

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but मुझे यहां पर कोई भी नौकरी नहीं मिली थी, में बहुत परेशान था, काफी दिन पहले मेरे पैसे भी खत्म होने लगे थे, और यहां पर में कैसे रहता हु आप मेरी हालत से समझ चुके है,  सेठ ने कहा की तुम मेरे साथ में चलो, में तुम्हारे लिए कुछ  भी कर सकता हु, फिर सेठ उसे अपने साथ में ले गया था, जब सेवत सेठ के साथ पहुंचा तो सेठ का घर बहुत ही बड़ा था, अगर आपको सही सोच की कहानी भाग एक, (latest hindi story) पसंद आयी है तो आप इसे आगे शेयर करे और कमेंट करके हमे भी बताये,

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