Hindi story for class 2 | child story in hindi |
Hindi story for class 2, child story in hindi, मैं आपको पीले गुब्बारे की कहानी के बारे मैं बताने जा रहा हु. जो की इस प्रकार है. एक दिन की बात है हमारी गली मैं एक गुब्बारे वाला आया. जिसका नाम रोहन था. लोग उसे गुब्बारे वाला ही कहते थे. सुजाता ने गुब्बारे वाले की आवाज़ सुनी और दौड़ कर बाहर आई. गुब्बारे वाले के हाथ में कुछ गुब्बारे थे. पीला, नीला, हरा और नारंगी. एक गाड़ी भी थी. गाड़ी पर हरी छतरी थी.
hindi story for class 2 : गुब्बारे की कहानी
मैं आपको पिले गुब्बारे की कहानी के बारे मैं बताने जा रहा हु. जो की इस प्रकार है. एक दिन की बात है हमारी गली मैं एक गुब्बारे वाला आया. जिसका नाम रोहन था. लोग उसे गुब्बारे वाला ही कहते थे. सुजाता ने गुब्बारे वाले की आवाज़ सुनी और दौड़ कर बाहर आई. गुब्बारे वाले के हाथ में कुछ गुब्बारे थे. पीला, नीला, हरा और नारंगी. एक गाड़ी भी थी. गाड़ी पर हरी छतरी थी.
छतरी बड़ी थी. सबको छाया देती थी. गाड़ी में रंग-बिरंगे गुब्बारे भरे हुए थे. सुजाता ने सोचा वह अपनी फ्राक जैसा पीला गुब्बारा लेगी. मुझे एक गुब्बारा चाहिये. सुजाता ने कहा. क्या तुम्हारे पास पैसे हैं. गुब्बारेवाले ने पूछा. पीला गुब्बारा कितने का है. मैं माँ से पैसे ले कर आती हूँ. सुजाता ने कहा. दो रूपये ले कर आना. गुब्बारेवाले ने कहा. सुजाता माँ के पास से पैसे लेकर आई. गुब्बारे वाले को पैसे दिये और पीला गुब्बारा खरीदा.
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गुब्बारा लेकर सुजाता गली में खेलने लगी. गली में भीड़ नहीं थी. पीला गुब्बारा पतंग की तरह लहरा रहा था. सुजाता धागे को उँगली पर लपेट लेती तो गुब्बारा उसके पास आ जाता. वह उसको गाल से लगाती तो नरम नरम लगता. रगड़ती तो मज़ेदार आवाज़ करता. वह धागे को छोड़ देती तो पीला गुब्बारा फिर से दूर आसमान में उड़ने लगता.
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वह दौड़ती तो गुब्बारा भी साथ साथ ऊपर चलता. गली में खेलना सुजाता को अच्छा लगता था. खेल में बड़ा मज़ा था. सुजाता देर तक खेलती रही. पीला गुब्बारा उसका दोस्त बन गया. उसने पीला गुब्बारे का नाम ‘प्यारे’ रख दिया. बहुत देर हो गयी सुजाता, खेलना बंद करो और खाना खा लो. माँ ने भीतर से आवाज़ दी. सुजाता को भी भूख लग रही थी. आती हूँ माँ, सुजाता ने जवाब दिया.
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लेकिन वो पीला गुब्बारे के साथ खाना कैसे खाएगी, सुजाता ने सोचा. उसने गुब्बारे के धागे को दरवाज़े की कुंडी से बाँध दिया. प्यारे, मैं खाना खा लूँ तब तक तुम यहीं रहना. बाद में हम दोनों मिल कर फिर खेलेंगे. सुजाता ने कहा. शायद सुजाता ठीक से बाँध नहीं पायी. धागा खुल गया और पीला गुब्बारा आसमान में उड़ गया. सुजाता उसको पकड़ने के लिये दौड़ी पर वह ऊपर जा चुका था. सुजाता धागा नहीं पकड़ पाई. उसकी आँखों में आँसू आ गए. वह रोने लगी. माँ ने कहा, रो मत. कल नया गुब्बारा ले लेना. तो दोस्तों आपको ये गुब्बारे की नोक झोक वाली छोटी सी कहानी किसी लगी, हमे जरूर बताये.
तितलियों की कहानी
मैं एक छोटी सी कहानी सुनाने जा रहा हु, जिसे पढ़कर आपको बहुत ही अच्छा लगेगा. ज्यादा इधर उधर की बात न करते हुए मैं आपको सीधे कहानी पर आता हु, जो की इस प्रकार है. मीनू के बगीचे में लाल तितलियाँ थीं. वे बगीचे में उड़ती रहती थीं. कभी इस फूल पर कभी उस फूल पर. माँ कहती थीं कि तितलियाँ फूलों का रस पीती हैं. वही उनका भोजन है. चलो हम तितलियाँ पकड़ें.
आशा ने कहा. उसके पास तितलियाँ पकड़ने वाला जाल था. नहीं नहीं तितली मत पकड़ो मीनू ने कहा. पकड़ने से तितली उड़ नहीं सकेगी. फिर वह फूलों का रस कैसे निकालेगी. उसे खाना कौन खिलाएगा. वह तो भूख से मर जाएगी. उसके पर कोमल हैं, पकड़ने से वे टूट जाएँगे.
हाँ, उड़ती हुई तितलियाँ सुन्दर लगती हैं. उन्हें उड़ने दो. चलो हम पेड़ के नीचे बैठकर उन्हें उड़ते हुए देखते हैं. आशा ने कहा. आशा और मीनू पेड़ के नीचे बैठ गईं और देर तक सुन्दर तितलियों को उड़ते हुए देखती रहीं. बच्चों की कहानी, hindi story for class 2, child story in hindi, तो दोस्तों आप लोगो को ये तितलियों की बहुत ही खूबसूरत कहानी कैसी लगी, हमे जरूर बताये. हम आपके जवाब का इंतज़ार करेंगे.
child story in hindi : लाल गुलाब की कहानी
यह गुलाब तो बहुत अच्छे लग रहे है मुझे यह गुलाब तोड़ लेने चाहिए लेकिन मुझे पता है की इन सभी में कनाते बहुत है इसलिए यह गुलाब को तोडना आसान नहीं है वह गुलाब तोड़ने जाता है और अनिल के हाथो में कनाते लग जाते है वह बहुत रोता है क्योकि उसे बहुत दर्द भी हो रहा है उसकी आवाज सुनकर सभी बच्चे भी आ जाते है उन्हें पता चलता है की अनिल के हाथो में कांटे लग गए है
अनिल को पता नहीं था की गुलाब में कांटे भी लगे है इसलिए वह बहुत देर तक रोता रहा था कुछ बच्चे कहते है की अनिल को नहीं पता था की गुलाब के साथ में कांटे भी है इसलिए उसे यह गुलाब नहीं तोडना चाहिए था अनिल उनकी और देख रहा था वह कह रहा था की तुम सही कह रहे हो क्योकि मुझे पता होता तो में यह गुलाब बहुत आराम से तोड़ लेता सभी बच्चे यही कहते है की हमे तो पहले से ही पता है की इसमें कांटे लगे है लेकिन अनिल को अभी पता चल पाया था
यह गुलाब की कहानी हमे यह बात कहती है की जिसके बारे में हमे पता नहीं होता है वह काम नहीं करना चाहिए क्योकि अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम्हे पता चल जाता है की वह काम आसान नहीं है इसलिए तुम्हे पहले उस काम के बारे में पता होना चाहिए तभी वह काम करना चाहिए अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे
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