गुरु का ज्ञान, hindi katha

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गुरु  का ज्ञान

hindi katha, hindi kahani, एक आश्रम में एक ऋषि और उनकी पत्नी रहते थे ऋषि के पास बहुत से बच्चे पढ़ने के लिए आते थे पूरी साल पढ़ने के बाद ऋषि मुनि ने उन बच्चों से कहा अब तुम अपने घर जा कर मिलाओ सब बच्चे अपने घर जाने के लिए तैयार हो गए.

 

थोड़ी ही देर में ऋषि मुनि की पत्नी आई बोली आपने बिना इन बच्चों की परीक्षा लिए ही इन्हें घर जाने के लिए बोल दिया फिर कैसे पता चलेगा कि इनमें से कौन सा बच्चा सबसे होशियार है और कौन बुद्धू ऋषि मुनि ने कहा तुम चिंता मत करो मैंने रास्ते में उसका भी इंतजाम कर दिया है सब बच्चे जंगल के रास्ते से अपने घर जाने लगे रास्ते में कांटो की झाड़ियां पढ़ी थी कुछ बच्चे तो उन झाड़ियों में उलझ कर घायल हो गए  और कुछ बच्चे झाड़ियों को वहीं पड़ा जाने के लिए दूसरे रास्ते ढूंढने लगे

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ऋषि मुनि और उनकी पत्नी दूर से छिपकर उन सब बच्चों को देख रही रहे थे उन बच्चों में से एक बच्चा ऐसा था जिसने कोशिश की और बहुत देर तक कोशिश करने के बाद उन झाड़ियों को हटा कर दूर फेंक दिया ताकि रास्ते में आने जाने वालों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़े

 

ऋषि मुनि अपनी पत्नी से बोले देखो इन सब बच्चों में सबसे बुद्धिमान और होशियार यही बच्चा है इसमें ना केवल अपनी समस्या को हल किया बल्कि औरों की भी भलाई सूची और रास्ते में से इन झाड़ियों को हटा दिया ताकि आने जाने वालों  मुसीबत का सामना ना करना पड़े जो अपने साथ-साथ दूसरों की भलाई के बारे में भी सोचता है वही सबसे बुद्धिमान और होशियार होता है

 

भगवान की देन

एक बार की बात है एक जंगल था उसमें एक  बारहसिंघा रहता था  एक दिन  बारहसिंघा नदी में पानी पीने गया उसने पानी में अपने अपने पतले पैरों को देखा और देख कर कहने लगा भगवान ने मेरे पैरों को कितना पतला बनाया है

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यह कितने बुरे लगते हैं सभी जानवरों के पैर मोटे और मजबूत है पर मेरे पैर कितने पतले हैं थोड़ी देर में शेर के आने की आवाज सुनाई दी बारहसिंघा अपने पतले-पतले पैरों से बहुत तेज भागा और शेर से बहुत दूर चला गया

 

रास्ते में झाड़ियों में उसके सिंह अटक गए जिन पर उस को सबसे ज्यादा घमंड था थोड़ी ही देर में शेर भी उसका पीछा करते करते वहीं पर पहुंच गया बड़ी मुश्किल से बारहसिंघा ने अपने  सिंघो को झाड़ि से निकाला और फिर अपने पतले-पतले पैरों से शेर से बहुत दूर भाग गया

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जंगल में अंदर जाकर वह थोड़ी देर बैठ गया और सोचने लगा जिन पतले-पतले पैरों को मैं बुरा बता रहा था आज उन्हीं की वजह से मेरी जान शेर से बच पाई है नहीं तो  सिंग की वजह से मैं पकड़ा जाता और आखिर मुझे शेर खा जाता

hindi katha, hindi kahani, शायद इसीलिए भगवान ने मुझे पतले पैर दिए इतने मजबूत और  भागने वाले दिए कि मैं अपनी रक्षा कर सकूं हर किसी को भगवान ने कुछ ना कुछ  जरूर दिया है अगर हमने कुछ कमियां हैं तो हमने कुछ ऐसे गुण भी हैं जिनसे हम अपने इस दुनिया में अच्छी पहचान बना सकते हैं बस जरुरत हमें अपने अंदर छुपे अच्छाइयों को पहचानने की.

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