bhoot pret ki kahani | Bhoot ki kahani
Bhoot pret ki kahani, दोस्तों मेरा नाम विकास चौधरी है और मैं भूत प्रेतों पर विस्वास करता है. भूत प्रेतों का अस्तित्व है या नहीं ये कहना आसान नहीं है. क्योकि कुछ लोगो का कहना है की ये सब होते है और कुछ कहता है की नहीं होते है. भूत प्रेत, चुड़ैल ये सब बस कहानियों में ही अच्छे लगते हैं, इनका कोई अस्तित्व नहीं होता. साथ ही बहुत सारे रहस्यमय जीवों से भी यह दुनिया भरी पड़ी है.
वह प्रेत-आत्मा आज भी वही है :- bhoot pret ki kahani
Bhoot pret ki kahani, बुरी “आत्माएँ” अधिकतर कमजोर दिल वालों को, गंदे रहने वालों को ही अपना निशाना बनाती हैं तथा साथ ही पूजा पाठ करने वाले, स्वच्छ रहने वाले, निडर लोगों के पास यह बुरी “आत्मा” जाने से डरती हैं. पर कुछ “आत्माएँ” ऐसी भी होती हैं जो किसी से भी नहीं डरतीं, कहीं भी बेरोक आती जाती रहती हैं.
वो सुनसान रास्ता
इसका कारण यह है कि जैसे कोई निडर व्यक्ति अकाल काल के गाल में समा जाता है तो जब तक उसकी “आत्मा” का उद्धार नहीं होता, वह भटकता रहता है पर बेखौफ होकर. सभी आत्माएँ बुरी भी नहीं होती, कुछ अच्छी भी होती हैं. दरअसल यह इनके “आत्मा” के रूप में आने से पहले यानी कहने का तात्पर्य है कि अकाल मौत से पहले ये जिस रूप में, जिस स्वभाव के, मनुष्य या किसी अन्य जीव के रूप में होते हैं,
मरने के बाद भी अधिकतर अपने उसी व्यवहार का उपयोग करते हैं पर साथ ही इनके अकाल मृत्यु का कारण क्या था, वह भी इनके स्वभाव में बदलाव को प्रभावित करता है. तो वह व्यक्ति अच्छा रहने के बावजूद, मरने के बाद उसे मारने वालों या उनके परिवार के लोगों को सताता है और यह भी हो सकता है कि वह अपने लोगों का भला करे, Because कई प्रेत ऐसे होते हैं जो अपनों का कुछ नहीं बिगाड़ते और फायदा ही पहुँचाते हैं.
भयानक भूत
हमारे क्षेत्र में एक साधु थे, जो जादू टोना में सिद्ध थे, बहुत कुशल तांत्रिक माने जाते थे. कहा जाता है कि ये साधु अपने तंत्र मंत्र के बल पर, पूजा पाठ के बल पर एक भूत को अपने कब्जे में कर लिए थे. ये उस भूत से उसकी क्षमता अनुसार काम करा लेते थे जैसे कि किसी के बर्तन से धान गेहूँ निकलवा लेना, किसी दुकान से दिन दहाड़ें बिना दुकानदार के जाने कोई वस्तु चुरवा लेना आदि. कुछ लोग तो कहते हैं कि पंडी जीखेती बारी का काम भी उस भूत से करा लेते थे,
जैसे की कुलि से खेत में पानी चलवाना यानी खेत की सिंचाई आदि. एक सुनी घटना याद आ रही है. आप भी सुन लें. जिस पर सिंचाई के लिए कुलि लगी हुई थी. एक दिन कुछ महिलाएँ खेतों की ओर जा रही थीं तो एक महिला क्या देखती है कि साधु के खेत के कुएं पर लगी कुलि अपने आप बहुत तेजी से चल रही है और पानी निकाल निकालकर नाली में डाल रही है, और वह पानी नाली के रास्ते पंडी के खेत में जा रहा है.वह बहुत डर गई और सहमे हुए कुछ और औरतों को यह दृश्य दिखाई.
अनहोनी एक कहानी
कुछ औरतें तो यह देखकर चिल्लाने लगी तभी कुलि का चलना बंद हो गया और खेतों की ओर से साधु भी दौड़कर आ गए, साथ ही गाँव के 2-4 और लोग आ गए. जब महिलाओं ने यह बात बताई तो साधु तड़ाक से बोल पड़ें, अरे मैं ही तो था, आधी रात से ही आकर कुलि चला रहा हूँ, शायद अंधेरे के कारण तुम लोग मुझे देख नहीं पाए होगे. पर गाँव के कुछ बड़ बुजुर्गों को समझते देर नहीं लगी, कि साधु का भूत कुलि चला रहा था. ऐसे बहुत सारे किस्से हैं,
उस भूत के बारे में. एक बार तो एक दुकानदार को वह भूत इतना परेशान कर दिया कि उस दुकानदार को आकर साधु से माफी माँगनी पड़ी और एक जोड़ी पीले धोती भी देनी पड़ी, तब जाकर उस भूत ने उस दुकानदार का पीछा छोड़ा था. दरअसल हुआ यह था कि साधु अपनी लड़की की शादी में उधार पर कुछकपड़े लिए थे. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि साधु ने अपनी लड़की की शादी में कई कपड़ों, गहनों की दुकानों से बहुत सारा सामान उस भूत से चुरवाया था पर समाज, गाँव हित को दिखाने के लिए कुछ सामान उधार भी लिए थे.
पीपल का भूत
ताकि लोगों को सच्चाई का पता न चले. हाँ, जिस दुकानदार से साधु कुछ कपड़ें उधार लिए थे, साधु आज कल करते रहे. एक दिन दुकानदार का मुनीम आया और साधु की गाय खोलकर लेकर चला गया. शायद साधु घर पर नहीं थे. जिस दिन वह गाय उस दुकानदार के घर पर गई उसी दिन अचानक उस दुकानदार के घर में आग लग गई. खैर इतना तक तो ठीक था पर अब धीरे धीरे उस दुकानदार की परेशानी बढ़ने लगी. कभी उसकी दुकान से कपड़ों का कोई गट्ठर गायब हो जाता तो कभी कभी उसके रुपये पैसे रखने वाले 8 बक्से से रुपये पैसे. उसे पता ही नहीं चलता कि यह कैसे हो रहा था.
वह बार बार अपने यहाँ काम करने वाले लोगों पर चिल्लाता. धीरे धीरे उसके वहाँ काम करने वाला भी कोई नहीं बचा और ग्राहक भी आने बंद हो गए Because कुछ ग्राहक बताते थे कि उसकी दुकान में जाकर बैठने पर अजीब लगता. कभी कभी तो ऐसा लगता कि कोई अदृश्य शक्ति है जो जबरदस्ती बैठे ग्राहकों को उठा रही है या इधर उधर खींचकर परेशान कर रही है. अब तो वह दुकान ही टूटने के कगार पर पहुँच गई फिर कुछ लोगों ने कहा कि उस साधु बेकार है उसके बस्का कुछ भी नहीं है. और लोगो ने साधु से अलग भी अपनी समस्या को सुलझाने का फैसला ले लिया. और उन्होंने अपनी समस्या को भी सुलझा लिया, तो दोस्तों आपको ये भूत की कहानी, Bhoot pret ki kahani, कैसी लगी, हमे जरूर बताये.
साहब की आत्मा की हिंदी कहानी :- Bhoot ki kahani
यह एक मकान की भूत कहानी है, यह बात उस समय की है,
जब एक बूढ़े बाबा उस पुराने मकान में देखभाली का काम करते थे,
उन्हें यही लगता था, उनका साहब बहुत अच्छा है, यह सच भी था,
उनके साहब बहुत अच्छे थे, वह बूढ़े बाबा बताया करते थे,
एक दिन उनके साहब रात में कभी नहीं आया करते थे
वह समय से घर आ जाया करते थे,
लेकिन आज पता नहीं क्या हो गया था, वह अभी तक आये नहीं थे,
बूढ़े बाबा इंतज़ार कर रहे थे, ऐसा कभी भी नहीं हुआ था,
जब देखीं एक आत्मा
उस मकान में वह बूढ़े बाबा और उनके साहब रहते थे,
साहब की उम्र बहुत अधिक हो गयी थी, मगर उन्होंने अभी तक शादी नहीं की थी,
बूढ़े बाबा ने बहुत बार उनसे कहा भी था, की उन्हें शादी करनी चाहिए
लेकिन शायद वह करना नहीं चाहते थे, बूढ़े बाबा यह बात एक आदमी से कह रहे थे
क्योकि उसे लगता था, की शायद उस मकान में कुछ है,
यह कहानी जानने के लिए वह बूढ़े बाबा के पास आया था,
बूढ़े बाबा ने बताया की जब रात बहुत अधिक हो गयी थी,
साहब नहीं आये तो उसे भी नींद नहीं आ रही थी,
कुछ समय बाद ही दरवाजे पर कोई आता है, वह कौन था,
जब बूढ़े बाबा ने दरवाजा खोला तो कोई आदमी आया था, वह बता रहा था, की उसके साहब अब कभी वापिस नहीं आयंगे, क्योकि वह एक कार से टकरा गए थे, उसके बाद वह जीवित नहीं है, यह सुनकर बूढ़े बाबा को बहुत दुःख हुआ था, उनके घर पर काम करते हुए बहुत साल बीत गए थे, अब उनके साहब भी नहीं रहे तो उनके जीवन में कुछ नहीं रहा था, वह उनके साथ बात किया करते थे, उन्हें बहुत अच्छा लगता था, मगर अब उनके साथ कौन बात करेगा, उसके अगले दिन ही वह मकान छोड़ चुके थे,
भूतो का संसार
समय बीत रहा था, मकान अब बहुत बुरी हालत में हो गया था, उसके चारो और घास उग आयी थी, वह मकान कुछ दुरी पर बना हुआ था, लेकिन एक दिन की बात है, एक आदमी ने उस मकान की छत पर किसी को देखा था, यह उस समय की बात है, जब वह अपने काम से घर वापिस आ रहा था, वह जानता था, उस मकान में कोई नहीं रहता है, वह कोई भूत हो सकता था, क्योकि और कोई उस मकान में क्यों होगा, वह आदमी बहुत डर भी गया था,
अगले दिन भी उस आदमी ने किसी को देखा था, वह साहब भी हो सकते है, जो अपने मकान में वापिस आये है, लेकिन यह भूत बनकर वापिस आये है, वह आदमी बहुत डर गया था, इसलिए वह सब कुछ बाबा से पूछने आया था, जब बाबा ने सब कुछ सूना तो उन्हें यकीन नहीं हुआ था, उन्हें यही लग रहा था, शायद उसके साहब वापिस आये है, वह उन्हें देखना चाहता था, क्योकि जब उस आदमी ने बताया तो उन्हें यकीन नहीं हो रहा था, इसलिए वह देखना चाहता था,
एक घर की डरावनी कहानी
Bhoot pret ki kahani, अगले दिन वह बूढ़े बाबा अपने साहब को देखने जाते है, क्योकि उन्हें लगता है अगर यह सच है तो उनसे दुबारा मिला जा सकता है, पूरी रात भर इंतज़ार करने पर भी कोई नहीं आया था, बूढ़े बाबा को कुछ समझ नहीं आया था यह क्या हो रहा है, वह क्यों नज़र नहीं आ रहे है, मगर कुछ लोगो ने तो उन्हें देखा था, बात जितनी आसान लगती है, उतनी नहीं थी, उस बूढ़े बाबा वह अपने साहब नज़र नहीं आते है, वह भी समझ नहीं पाता है, यह क्या हो रहा है, इसमें कितना सच है, यह बता कोई नहीं जानता है, लेकिन इन सबके पीछे जरूर कोई बात है, जिसके कारण वह नज़र आते भी है और नहीं भी,
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