animal story in hindi
कंजूस भेड़िया की कहानी

animal story in hindi
ये कहानी एक ऐसे जानवर की है जो की बहुत ही कंजूस था. वो एक जंगल मैं रहता था. वह कंजूसी अपने शिकार को खाने में किया करता था. जितने शिकार से दूसरा भेड़िया तीन दिन काम चलाता, वह उतने ही शिकार को हफ्ते भर तक खींचता. जैसे उसने एक हिरण का शिकार किया. पहले दिन वह एक ही कान खाता.
बाकी बचाकर रखता. दूसरे दिन दूसरा कान खाता. ठीक वैसे जैसे कंजूस व्यक्ति पैसा घिस घिसकर खर्च करता हैं. भेड़िया अपने पेट की कंजूसी करता. इस चक्कर में प्रायः भूखा रह जाता. इसलिए दुर्बल भी बहुत हो गया था. एक बार उसे एक मरा हुआ बारहसिंघा मिला. वह उसे खींचकर अपनी मांद में ले गया. उसने पहले हिरण के सींग खाने का फैसला किया ताकि मांस बचा रहे.
कई दिन वह बस सींग चबाता रहा. इस बीच हिरण का मांस सड गया और वह केवल गिद्धों के खाने लायक रह गया. इस प्रकार कंजूस भेड़िया प्रायः हंसी का पात्र बनता. जब वह बाहर निकलता तो दूसरे जीव उसका मरियल सा शरीर देखते और कहते वह देखो, कंजूस जा रहा हैं. पर वह परवाह न करता. कंजूसों में यह आदत होती ही हैं. कंजूसों की अपने घर में भी खिल्ली उडती हैं, पर वह इसे अनसुना कर देते हैं.
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उसी वन में एक शिकारी शिकार की तलाश में एक दिन आया. उसने एक सुअर को देखा और निशाना लगाकर तीर छोडा. तीर जंगली सुअर की कमर को बींधता हुआ शरीर में घुसा. क्रोधित सुअर शिकारी की ओर दौडा और उसने खच से अपने नुकीले दंत शिकारी के पेंट में घोंप दिए. शिकारी ओर शिकार दोनों मर गए. तभी वहां कंजूश भेड़िया आ निकला. वह् खुशी से उछल पडा. शिकारी व सुअर के मांस को कम से कम दो महीने चलाना हैं.
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उसने हिसाब लगाया. रोज थोडा थोडा खाऊंगा. वह बोला. तभी उसकी नजर पास ही पडे धनुष पर पडी. उसने धनुष को सूंघा. धनुष की डोर कोनों पर चमडी की पट्टी से लकडी से बंधी थी. उसने सोचा आज तो इस चमडी की पट्टी को खाकर ही काम चलाऊंगा. ऐसा सोचकर वह धनुष का कोना मुंह में डाल पट्टी काटने लगा.
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ज्यों ही पट्टी कटी, डोर छूटी और धनुष की लकडी पट से सीधी हो गई. धनुष का कोना चटाक से भेड़िया के तालू में लगा और उसे चीरता हुआ. उसकी नाक तोडकर बाहर निकला. मख्खीचूस भेड़िया वहीं मर गया. दोस्तों इसलिए सही कहा गया है की हमे कभी भी ज्यादा कंजूस नहीं बनना चाहिए, क्योकि कभी कभी ज्यादा कंजूशपण भी बहुत नुकसान दायक साबित हो सकता है.
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