struggle story hindi
परिश्रम की हिंदी कहानी (struggle story hindi) आपको पसंद आएगी क्योकि इस कहानी में परिश्रम से ही सब कुछ बदल सकता है यह सब पता चलता है.
परिश्रम की हिंदी कहानी : struggle story hindi
परेशानी से दूर एक किसान हमेशा अपने काम में लगा रहता था, उसे अपने काम के अलावा कोई भी काम अच्छा नहीं लगता था हम यह कह सकते है की वह अपने काम के प्रति हमेशा ईमानदार रहता था उसका एक लड़का था जिसका नाम शुभम था, शुभम का ध्यान हमेशा खेल-कूद में लगा रहता था उसकी उम्र भी कम नहीं थी मगर फिर भी वह अपनी जिम्मेदारी से दूर था
उसका एक कारण उसके पिताजी भी थे क्योकि उन्होंने ने उसे काम करने के बारे में कभी जोर नहीं दिया था, वह इसलिए की वह अपने काम में हमेशा व्यस्त रहते थे, एक दिन उनके यहां पर उनके रिश्तेदार आये थे क्योकि कुछ दिन बाद उनके लड़के की शादी थी, वह उसी की चिठ्ठी देने आये थे, शादी का समय दो दिन बाद था उसके पिताजी को अपने काम की चिंता थी और वज इसीलिए कही भी बहार नहीं जाते थे,
जिस दिन शादी थी उसके पिताजी ने उसी सुबह को अपना काम पूरा किया और शुभम को लेकर शादी में चले गए थे, शुभम को बहुत अच्छा लग रहा था क्योकि उसके भाई की शादी थी, जिसकी शादी हो रही थी वह उसकी बुआ का लड़का था शुभम उस दिन शादी में ही था बल्कि उसके पिताजी जल्दी ही चले गए थे उन्हें खेत का काम देखना था शुभम अगले दिन वहा से आया था, जब शुभम घर आया तो उसकी माँ ने कहा की शुभम का विवाह भी कर देना चाहिए
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तभी शुभम के पिता ने कहा की यह बड़ा हो गया है और अपने काम की इसे चिंता नहीं है और यह कोई काम भी नहीं करता है पुरे दिन खेलने में लगा रहता है, शुभम की माँ ने कहा की तुम्हे उसे काम करने का मौका देना चाहिए तभी तो वह काम करेगा आज तुम्हे घर पर रहना है और शुभम काम पर जाएगा, यह सुनकर शुभम के पिताजी को चिंता होने लगी थी, उधर जब सुबह में सुना तो वह भी सोचने लगा था
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इस तरह शुभम पहली बार काम पर गया था उसने पिताजी को काम करते देखा था मगर वह खेत पर क्या कर सकता था उसने कभी काम किया नहीं था अब वह सोचने लगा था की क्या किया जाए तभी उसकी नज़र अपने दोस्त पर गयी थी जोकि अपने खेत में पानी दे रहा था शुभम को देखकर कहने लगा की आज तुम यहां पर आये हो आज तुम्हारे पिताजी कहा पर है शुभम ने कहा की आज मुझे ही काम करना है
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शुभम कहने लगा की शरूर कहा से करू कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी उसके पिताजी सामने से आते हुए नज़र आये थे, जब पिताजी शुभम के पास आये तो कहने लगे की तुम सीधे ही यहां पर आ गए कुछ पता भी हिअ आज क्या करना है सुबह सिर्फ देख रहा था उसे तो कुछ पता ही नहीं था की कैसे काम को किया जाए आज तुम्हे पुरे खेत में पानी देना है क्योकि पेड़ो को पानी की आवश्यकता है
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उसके बाद शुभम ने पानी दिया, और पुरे दिन भर खेत में काम करता रहा था शुभम का आज वह काम अच्छा लग रहा था क्योकि पहली बार उसने वह काम किया था, उसके बाद शुभम घर आ गया था उसके पिताजी को लग नहीं रहा था की वह आज काम को पूरा कर पायेगा, लेकिन शुभम ने वह पूरा किया था कुछ दिन बाद गांव में कुश्ती का प्रोग्राम किया जाना था और जितने वाले को बहुत सा धन भी दिया जाना था
यह प्रतियोगिता कुछ गांव को मिलकर की जा रही थी जबकि शुभम भी इसमें भाग ले रहा था क्योकि वह कुश्ती बहुत अच्छी तरह से जानता था यह बात सभी गांव के आदमी भी जानते थे क्योकि यह एक खेल शुभम को आता था कुछ दिन बाद यह प्रतियोगिता होने वाली थी शुभम इस बात के लिए खुश था उसके पिताजी को यह काम अच्छा नहीं लगता था लेकिन शुभम को पसंद था इसलिए वह कुछ नहीं कहते थे
प्रतियोगिता का दिन आ गया था सभी लोग खाली मैदान में खड़े हो गए थे, सभी तरह के खेल जब हुए तो कुश्ती का प्रोग्राम भी शरूर हो गया था शुभम की अभी बारी आने वाली थी और सभम की माँ और पिताजी यह देखने के लिए आये हुए थे, शुभम बहुत ही अच्छा खेला था और परिणाम भी निकलने वाले थे शुभम को पहला इनाम घोषित हुआ था, यह सुनकर शुभम बहुत ही खुश हुआ था
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उसे बहुत सा धन प्राप्त हुआ था, और सभी लोग घर की और जाने लगे थे शुभम के पिताजी को भी अच्छा लग रहा था शुभम के पिताजी ने कहा की अगर इस तरह तुम अपना मन अपने प्रत्येक कार्यो में लगा लोगे तो तुम जरूर जीत हासिल करोगे इस तरह बाते करते हुए वह लोग घर पहुंच चुके थे उन्हें अभी कुछ देर ही हुई थी की गांव का जमींदार उनके घर पारा आया और कहने लगा की शुभम के लिए में अपनी लड़की का रिश्ता लेकर आया हु अगर तुम्हे मंजूर है तो हम आगे बाते कर सकते है,
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शुभम की माँ को बहुत ख़ुशी हुई थी, क्योकि शुभम की जीत के बाद उसका विवाह भी होने जा रहा था इसलिए उन्होंने रिश्ते के लिए हां कह दी थी और कुछ दिनों बाद ही शादी भी होने वाली थी जब शादी हुई तो शुभम की जिंदगी भी बदल चुकी थी वह वह पहले जैसा नहीं था अब वह अपने काम पर भी ध्यान दे रहा था वह अब दोनों ही खेत पर जाया करते थे उसके पिताजी बहुत खुश थे की आज उनका बेटा भी साथ में काम कर रहा है
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यह छोटी सी कहानी हमे यही बता देती है की जिंदगी में खुशिया ऐसे ही नहीं मिलती है, उन्हें पाने के लिए हमे थोड़ा परिश्रम भी करना पड़ता है और हो सकता है की कुछ समय लग जाए मगर एक दिन जिंदगी बहुत खुशाली बन जायेगी आपको पता भी नहीं चलेगा कुछ खेल समय का भी है थोड़ा समय तो लग ही जाता है
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