Rochak kahaniya | मेरा बचपन का दोस्त हिंदी कहानी

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Rochak kahaniya | Hindi kahani

मेरा बचपन का दोस्त : Rochak kahaniya, ये बात उन दिनों की है जब हम कभी दसवी कक्षा मे पढ़ते थे, अचानक ही वो मेरे सामने आ गया, मैं अपने गाव जा रहा था ट्रैन से, (hindi kahani) पर उसे आज इतने साल बाद देखकर बड़ा संतोष हुआ की इतने साल बाद आज मुझसे मिला है, 

मेरा बचपन का दोस्त : rochak kahaniya 

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Rochak kahaniya, hindi kahani, हम बचपन में काफी अच्छे दोस्त थे पर आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में कहा इतना समय है किसी से मिलने का , बस वो बचन ही याद आता है, जब हम साथ खलते थे और पढ़ते थे, उसने पूछा की कहा जा रहे हो मैंने कहा की गाव जा रहा हु और तुम,  में यार किसी की शादी में जा रहा हु शादी दो दिन बाद  है, और सुनाओ क्या हो रहा है ,

 

मैने कहा बस वही , जोकि आप सभी को पता ही है, सब ठीक चल  रहा है. मेरे दोस्त ने कहा की क्यों न यार में भी तुम्हारे साथ चलता हू, शादी दो दिन बाद है , तुम्हरे साथ चलके फिर चला जाऊंगा, इस तरह तुम्हारा साथ भी मिल जायेगा और बाते भी हो जायँगी, मैंने सोचा बड़ा अजीब है जाना कहा है, जा कहा रहा है, फिर सोचा की चलो कोई नहीं है, बचपन के बिछड़े अब मिले है, चलो साथ चल देते है.

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ट्रैन आ चुकी थी हम दोनों चढ़कर बैठ गए और फिर बात चीत शरू हो गयी , कुछ उसने सुनाया और में सुनता ही रहा, में कुछ बताता फिर वो शरू हो गया है, में अपनी बात क्या बताता उसकी बाते ही खत्म नहीं रही थी, धीरे धीरे पूरी बर्थ पर फेल चूका था, में यही सोचता रहा की ये आदमी है या कोई मशीन बोलते ही जा रहा है, बस मेरी नज़र तो उसी पर थी, की ये हो क्या रहा है.

 

इतने में टीटी की आवाज आयी , टिकेट प्लीज ,,,,,,,, और एक ये बन्दा जो आ तो गया है पर पता नहीं ये मुझे ले जा रहा है, या में इसे ले जा रहा हू…….

 

टीटी पास आया और टिकेट के लिए कहा मैंने अपना टिकेट दिखाया और फिर वो मेरे दोस्त के पास आया और बोला टिकेट ……….

 

टिकेट का नाम सुनते ही उसने मेरी तरफ देखा , बस फिर में समझ गया की क्या होने वाला है. टिकेट के पैसे और फाइन दोनों मुझे ही भरने पड़े.

 

टीटी के दो बाते मुझे ही सुन्नी पड़ी और उस बन्दे पर तो शर्म नाम की कोई चीज ही नहीं थी. खेर में फिर खिड़की तरफ देखने लगा और सोचने लगा की धन्यवाद भी तो कह सकता था. सोचा की उसे इस बात का एहसास दिलाऊ. यह सोचकर जब में मुड़ा दो देखा की , वो कोई नावल पढ़ने में खो गया , सोचा की दोस्त ही तो है और है भी बचपन का छोड़ो क्या कहना…

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कुछ देर बाद हमे भूख लगी ट्रैन एक स्टेशन पर रुकी मैने खाने में क्या लोगो ये पूछा , उसने कहा की जो तुम्हारा मन हो ले आना, में नीचे उतारकर कुछ देखने लगा और खाने में कुछ ले आया और हम दोनों ने साथ में कहना खाया ऐसा लगा की बचपन की यादे ताजा हो गयी, जब हम साथ में लंच करते थे क्या दिन थे वो………..

 

हमे पहुचने में रात हो गयी थी , रात का सफर ऐसा लग रहा था की सारा जंगल सो ही रहा था पर दोस्त की तरफ देखा तो उसे कोई संकोच भी न था , उसने पूछा की कितनी देर और लगेगी मेने कहा की बस आ ही गए , लगभग हम आ ही गए थे.

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जैसे ही हम पहुचे वो तो बस मस्त था उसे देख कर ऐसा लग रहा था की वो यही आने वाला था. उसने कुछ पैसे मुझसे उधार मांगे , रात हो गयी थी हम थक भी चुके थे सो हम सोने चले गए.
सुबह हो गयी थी और सब उठ चुके थे पर क्या देखा …………

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मेरा दोस्त जा चुका था, सोचा की शायद वो पागल है , युही घूमता रहता है पर एहसास हुआ की नहीं, पागल वो नहीं हम है जो अपनी पूरी ज़िन्दगी काम और अन्य चीजो मैं बिजी है. एक वो है आज़ाद कही भी चला जाता न कोई पैसे की चिंता न किसी की जिमेदारी बस अपने आप को मौज मस्ती व्यस्त रखता है, rochak kahaniya, hindi kahani, काश ऐसा जीवन होता सभी का पर ऐसा हो नहीं सकता,  दोस्तों अपना ख्याल रखो और मजे से जियो अपनी लाइफ………..

 

बचपन की कहानी से मिली सीख :- Rochak kahaniya

जीवन में कुछ बाते याद रह जाती है, मुझे आज भी “बचपन” की वह कहानी याद है, शायद इससे हमे एक अच्छी शिक्षा मिल सकती है, हमारे जीवन में हर रोज नयी कहानी बनती है, हमे लगता है, मगर हम ध्यान नहीं देते है, शायद उन पर गौर करना उतना भी जरुरी नहीं है, इसलिए वह हमे याद नहीं रहती है, लेकिन बचपन की वह कहानी मुझे अच्छे से याद है, जोकि मुझे एक अंकल ने सुनायी थी, उस वक़्त तो कहानी का प्रभाव उतना नहीं था, लेकिन आज शायद इसका महत्व समझ में आता है

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आपको भी यह कहानी पसंद आयेगी, यह एक लड़के की कहानी जोकि पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं था, वह हमेशा ही दुसरो के लिए हंसी का पात्र बनता था उसके गुरु भी उसे समझाकर थक गए थे, वह कहते थे की अगर तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे, तो तुम्हे कुछ भी नहीं आएगा सभी बच्चे उसका मजाक बनाया करते थे, क्योकि वह लड़का पढ़ने में होशियार नहीं था, वह सभी की बाते सुनकर एक दिन बहुत परेशान हो गया था, वह घर गया और उसने खाना भी नहीं खाया था, वह घूमने चला जाता है, शायद उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था,

 

उसे बहुत देर घूमते हुए हो गयी थी, अब उसे बहुत प्यास लगी थी, उसने सभी जगह पर देखा था, उसे दूर एक कुआ नज़र आता है, वह उस कुए के पास जाता है, उसमे देखता है की इसमें बहुत अधिक पानी है, वह कुए के अंदर बाल्टी को डालकर पानी निकाल लेता है, उसके बाद वह पानी पीता है, वह पानी पीकर एक पेड़ के पास बैठ जाता है, उसकी नज़र कुए पर थी क्योकि जिस रस्सी से वह पानी निकालर लाया था, उसने कुए पर बहुत अधिक निशान बना दिया था, यह जब हो रहा था, जब कोई भी पानी निकालता था,

सुनना जरुरी है कहानी

वह लड़का सोचता है, जब बहुत अधिक बार पानी को बाहर लाया जाता है, तो कुए की दिवार पर निशान बना दिया है, वह लड़का सोचता है जब यह रस्सी उस दिवार पर निशान बना सकती है, तो अगर में मेहनत करू तो कुछ हो सकता है, वह लड़का घर जाता है उसके बाद वह पढ़ाई करता है वह इस बात को जानता है, की सभी उसका मजाक बनाते रहेंगे मगर वह ध्यान नहीं देता है, वह अपने काम पर ध्यान रखता है, कुछ समय बाद वह सब कुछ याद कर लेता है, वह अपने जीवन को बहुत अच्छा बना देता है,

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rochak kahaniya, hindi kahani, यह “बचपन की कहानी” सुनकर ऐसा लगा था की परेशानी सभी के सामने आती है, मगर हमे देखना है की हम उसे कैसे दूर कर सकते है इसलिए सभी समस्या को समझो उनका समाधान करो, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे,

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