Duck story kids in hindi
Duck story kids in hindi, हिमाचल प्रदेश के वनो मैं एक बहुत ही बड़ा और मशहूर तालाब था. उस तालाब मैं हर प्रकार के जीवो के लिए भोजन पर्याप्त मात्रा मैं था. चाहे वो मछली हो या फिर केकड़े या कछुए आदि. उस तालाब के पास मैं ही एक बूढ़ा बत्तख भी रहता था. वो बहुत ही आलसी भी था.
Duck story kids in hindi : भगत बत्तख की हिंदी कहानी
Duck story kids in hindi, उसे अपने लिए खुद से भोजन पकड़ना भी अच्छा नहीं लगता था. इसलिए आलस्य के मारे वह प्रायः भूखा ही रहता. एक टांग पर खडा यही सोचता रहता कि क्या उपाय किया जाए कि बिना हाथ पैर हिलाए रोज भोजन मिले. एक दिन उसे एक उपाय सूझा तो वह उसे आजमाने बैठ गया. “बत्तख” तालाब के किनारे खडा हो गया और लगा आंखों से आंसू बहाने. एक केकडे ने उसे आंसू बहाते देखा तो वह उसके निकट आया और पूछने लगा मामा, क्या बात हैं भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने की बजाय खडे आंसू बहा रहे हो. बत्तख ने जोर की हिचकी ली और भर्राए गले से बोला बेटे, बहुत कर लिया मछलियों का शिकार.
अब मैं यह पाप कार्य और नहीं करुंगा. मेरी आत्मा जाग उठी हैं. इसलिए मैं निकट आई मछलियों को भी नहीं पकड रहा हूं. तुम तो देख ही रहे हो. केकडा बोला मामा, शिकार नहीं करोगे, कुछ खाओगे नही तो मर नहीं जाओगे. “बत्तख” ने एक और हिचकी ली ऐसे जीवन का नष्ट होना ही अच्छा हैं बेटे, वैसे भी हम सबको जल्दी मरना ही हैं. मुझे ज्ञात हुआ हैं कि शीघ्र ही यहां बारह वर्ष लंबा सूखा पडेगा. “बत्तख” ने केकडे को बताया कि यह बात उसे एक महात्मा ने बताई हैं, जिसकी भविष्यवाणी कभी गलत नहीं होती. केकडे ने जाकर सबको बताया कि कैसे “बत्तख” ने बलिदान व भक्ति का मार्ग अपना लिया हैं और सूखा पडने वाला हैं. उस तालाब के सारे जीव दौडे “बत्तख” के पास आए और बोले भगत मामा, अब तुम ही हमें कोई बचाव का रास्ता बताओ.
अपनी अक्ल लडाओ तुम तो महाज्ञानी बन ही गए ही गए हो. “बत्तख” ने कुछ सोचकर बताया कि वहां से कुछ कोस दूर एक जलाशय हैं जिसमें पहाडी झरना बहकर गिरता हैं. वह कभी नहीं सूखता . यदि जलाशय के सब जीव वहां चले जाएं तो बचाव हो सकता हैं. अब समस्या यह थी कि वहां तक जाया कैसे जाएं. “बत्तख भगत” ने यह समस्या भी सुलझा दी मैं तुम्हें एक एक करके अपनी पीठ पर बिठाकर वहां तक पहुंचाऊंगा Because अब मेरा सारा शेष जीवन दूसरों की सेवा करने में गुजरेगा. सभी जीवों ने गद् गद् होकर बत्तख भगत जी की जै के नारे लगाए. अब “बत्तख भगत” के पौ बारह हो गई. वह रोज एक जीव को अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाता और कुछ दूर ले जाकर एक चट्टान के पास जाकर उसे उस पर पटककर मार डालता और खा जाता. कभी मूड हुआ तो भगत जी दो फेरे भी लगाते और दो जीवों को चट कर जाते तालाब में जानवरों की संख्या घटने लगी.
चट्टान के पास मरे जीवों की हड्डियों का ढेर बढने लगा और भगत जी की सेहत बनने लगी. खा खाकर वह खूब मोटे हो गए. मुख पर लाली आ गई और पंख तेज से चमकने लगे. उन्हें देखकर दूसरे जीव कहते देखो, दूसरों की सेवा का फल और पुण्य भगत जी के शरीर को लग रहा हैं. “बत्तख भगत” मन ही मन खूब हंसता. वह सोचता कि देखो दुनिया में कैसे कैसे मूर्ख जीव भरे पडे हैं, जो सबका विश्वास कर लेते हैं. ऐसे मूर्खों की दुनिया में थोडी चालाकी से काम लिया जाए तो मजे ही मजे हैं. बिना हाथ पैर हिलाए खूब दावत उडाई जा सकती हैं संसार से मूर्ख प्राणी कम करने का मौका मिलता हैं बैठे बिठाए पेट भरने का जुगाड हो जाए तो सोचने का बहुत समय मिल जाता हैं.
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बहुत दिन यही क्रम चला. एक दिन केकडे ने “बत्तख” से कहा मामा, तुमने इतने सारे जानवर यहां से वहां पहुंचा दिए, लेकिन मेरी बारी अभी तक नहीं आई. भगत जी बोले बेटा, आज तेरा ही नंबर लगाते हैं, आजा मेरी पीठ पर बैठ जा. केकेडा खुश होकर “बत्तख” की पीठ पर बैठ गया. जब वह चट्टान के निकट पहुंचा तो वहां हड्डियों का पहाड देखकर केकडे का माथा ठनका. वह हकलाया यह हड्डियों का ढेर कैसा हैं. वह जलाशय कितनी दूर हैं, मामा. “बत्तख” भगत ठां ठां करके खुब हंसा और बोला मूर्ख, वहां कोई जलाशय नहीं हैं. मैं एक एक को पीठ पर बिठाकर यहां लाकर खाता रहता हूं. आज तु मरेगा. केकडा सारी बात समझ गया.
Duck story kids in hindi, वह सिहर उठा परन्तु उसने हिम्मत न हारी और तुरंत अपने जंबूर जैसे पंजो को आगे बढाकर उनसे दुष्ट बत्तख की गर्दन दबा दी और तब तक दबाए रखी, जब तक उसके प्राण पखेरु न उड गए. फिर केकेडा “बत्तख” भगत का कटा सिर लेकर तालाब पर लौटा और सारे जीवों को सच्चाई बता दी कि कैसे दुष्ट “बत्तख” भगत उन्हें धोखा देता रहा. इसलिए हमे कभी भी आंख मूंधकर किसी पर जल्दी से विश्वास नहीं करना चाहिए.
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