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गोपाल की हास्य, हिंदी कहानी
story in hindi, hindi story, child story in hindi, रामपुर गांव में गोपाल नाम का एक व्यक्ति रहता था गोपाल गरीब था लेकिन वह स्वभाव से बहुत ही उधार और दयालु था और कभी था रास्ते में उसे जो भी भूखा साधू महात्मा दिखाई देता था वह उसे अपने घर ले आता था और उस को खाना खिलाता था.
गोपाल की इस आदत से उसकी पत्नी मालती बड़ी ही दुखी थी क्योंकि गोपाल को इस बात की चिंता नहीं रहती थी कि खाना कहां से आएगा बस वह साधु-संतों को ले आता था इससे उसके घर में दाल चावल आटा सब कुछ बहुत जल्दी खत्म हो जाते थे और फिर बनिए से उधार लेना पड़ता था.
गोपाल की इस आदत को सब जान चुके थे इसलिए बहुत से नकली साधु महात्मा बीच उसकी इस आदत का लाभ उठाते थे और उसके घर आकर भरपेट भोजन किया करते थे दिन भर उसकी पत्नी किचन में रहती थी और जैसे ही काम निपटा आकर आराम करने के लिए जाते गोपाल किसी ना किसी साधु को ले आता था
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उसकी पत्नी मालती को बहुत गुस्सा आता था और वह गोपाल से कई बार इस बात के लिए मना भी करती थी लेकिन गोपाल उसकी एक भी नहीं 1 दिन गर्मी की दोपहर में जब मालती रसोई घर में काम कर रही थी तो अचानक उसने खिड़की से देखा कि तीन हट्टे-कट्टे साधु चले आ रहे हैं
वह एक पड़ोसी से गोपाल के घर का रास्ता पूछ रहे थे तो पड़ोसी में इशारा करते हुए बताया कि यही गोपाल का घर है मालती यह सब देखकर तुरंत समझ गई कि इन साधुओं को भी गोपाल नहीं भोजन के लिए बुलाया होगा
साधुओं को देखकर उसने यह अंदाजा लगा लिया कि यह हट्टे-कट्टे साधु कितनी कितनी पूरियां कर खा सकते हैं सुबह से वैसे ही वह काम से थक चुकी है और ऊपर से इतनी गर्मी में दोबारा खाना बनाने कि उसकी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं है इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए उसने एक उपाय सोचा
वह दरवाजे पर आकर साधुओं ने आवाज लगाई अलक निरंजन मालती ने दरवाजा खोला और साधुओं को प्रणाम किया एक साधू बोला कितनी अन्नपूर्णा देवी है जैसे देवता पति है वैसे ही देव, देवी पत्नी है मालती ने बड़े मीठे की स्वर में कहा आई यह बाबा जी अंदर आकर आसन पर बैठी है मैं आपके लिए ठंडा पानी लाती हूं
तीनों साधु आसन पर बैठ गए मालती रसोई में से पानी लेने चली गई अचानक एक साधू की नजर पास में रखी ओखली और एक भारी भरकम मौसम पर पड़ी उसके पास ही एक थाली रखी हुई थी जिसमें कुछ फूल चावल और एक दीपक जल रहा था ऐसा लगता है कि वहां पर कोई पूजा करने वाला है जब मालती तीनों साधुओं के लिए पानी लेकर आए तो उनमें से एक साधु ने पूछा ओखली और मुसल क्यों रखी है
मालती बोली क्या आपको नहीं पता साधु बोले नहीं फिर मालती ने कहा ओखली और मुसल मेरे पति के कुल देवता है यहां जो भी साधु या महात्मा खाना खाने आता है उसके खून से ही रोक ली और मुसल की पूजा की जाती है यह हमारे कुल की पूजा है यहां पर जो भी खाना खाने आएगा मेरे पति उन में से किसी एक का असर छोड़ कर उसका खून निकाल कर
इस पूजा को पूरा करेंगे मैंने तो अपने पति को कई बार समझाया लेकिन वह मेरी एक भी नहीं सुनते हैं और बहुत से साधु संतों को यहां ले आते हैं मालती की बात सुनकर तीनो के तीनो साधुओं के होश उड़ गए और वह चुपचाप खड़े हो लिए मालती बोली साधु बैठे मैं आपके खाने के लिए कुछ लाती हूं और मैं अपने पति को भी बहुत समझाया कि तुम ऐसा पाप मत किया करो लेकिन उनकी समझ में नहीं आया
इतना कहकर तीनों साधुवाद खड़े हुए थोड़ी देर में गोपाल आया बोला तीनों साधु कहां गए मालती बोली कि वह मुझसे इस ओखली को मांग रहे थे मैंने मना कर दी तो वह तीनों गुस्से में चले गए गोपाल बोला क्या हुआ तुम दे देती क्योंकि गोपाल तो उधार और दयालु था और उसे इन सब के बारे में कुछ पता नहीं था
मालती बोली आप जा कर देख लो शायद अभी बाहर खड़े हो तो दे आना गोपाल मौसम को उठा कर बाहर के लिए भागा तीनों साधु देते जा रहे थे पीछे मुड़कर देखा तो गोपाल ओखली हाथ में लिए आ रहा था और बोल रहा था ठहरो ठहरो में मुसल्ले आ रहा हूं.
story in hindi, hindi story, child story in hindi, तीनों साधु समझ गए कि गोपाल उनका सर फोड़ेगा, इसलिए तीनों भाग खड़े हुए और उसके बाद गोपाल के घर किसी भी साधु और महात्मा में आने की कोशिश नहीं की हमें इतना सीधा भी नहीं बनना चाहिए कि दूसरे लोग हमारे सीधेपन का इतना लाभ उठाएं कि हमें कई मुसीबतो का सामना करना पड़े. अगर यह कहानी आपको पसंद आयी हो तो आगे भी शेयर करे और कमेंट करके हमे भी बातये.
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