गिलहरी की अदभुत हिंदी मोरल कहानी, child story in hindi

Author:

Child story in hindi | story for kids in hindi

Child story in hindi, एक वन मैं साध नाम के एक मुनि रहते थे. वो बहुत ही तपस्वी थे. कुछ समय बाद एक दिन एक विचित्र घटना घटी. अपनी तपस्या समाप्त करने के बाद ईश्वर को प्रणाम करके उन्होंने अपने हाथ खोले ही थे कि उनके हाथों में एक नन्ही सी गिलहरी आ गिरी. आकाश में एक चील पंजों में उस गिलहरी को दबाए उडी जा रही थी और संयोगवश गिलहरी पंजों से छूटकर गिर पडी थी.

1- गिलहरी की अदभुत हिंदी मोरल कहानी :- child story in hindi

hindi story.jpg
story for kids in hindi

मुनि ने मौत के भय से थर थर कांपती गिलहरी को देखा. मुनि और उनकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी. कई बार पत्नी संतान की इच्छा व्यक्त कर चुकी थी. मुनि दिलासा देते रहते थे. मुनि को पता था कि उनकी पत्नी के भाग्य में अपनी कोख से संतान को जन्म देकर मां बनने का सुख नहीं लिखा है.

 

किस्मत का लिखा तो बदला नहीं जा सकता परन्तु अपने मुंह से यह सच्चाई बताकर वे पत्नी का दिल नहीं दुखाना चाहते थे. यह भी सोचते रहते कि किस उपाय से पत्नी के जीवन का यह अभाव दूर किया जाए. मुनि को नन्हीं गिलहरी पर दया आ गई. उन्होंने अपनी आंखें बंदकर एक मंत्र पढा और अपनी तपस्या की शक्ति से गिलहरी को मानव बच्ची बना दिया. वह उस बच्ची को हाथों में उठाए घर पहुंचे और अपनी पत्नी से बोले सुभागे, तुम सदा संतान की कामना किया करती थी.

लालच बुरी बला है कहानी

समझ लो कि ईश्वर ने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली और यह बच्ची भेज दी. इसे अपनी पुत्री समझकर इसका लालन पालन करो. मुनि पत्नी बच्ची को देखकर बहुत प्रसन्न हुई. बच्ची को अपने हाथों में लेकर कितनी प्यारी बच्ची है. मेरी बच्ची ही तो है यह. इसे मैं पुत्री की तरह ही पालूंगी. इस प्रकार वह गिलहरी मानव बच्ची बनकर मुनि के परिवार में पलने लगी. उसने बच्ची का नाम वेदांता रखा.

 

मुनि भी वेदांता से पितावत स्नेह करने लगे. धीरे धीरे वे यह भूल गए की उनकी पुत्री कभी गिलहरी थी. मां तो बच्ची के प्यार में खो गई. वह दिन रात उसे खिलाने और उससे खेलने में लगी रहती. मुनि अपनी पत्नी को ममता लुटाते देख प्रसन्न होते कि आखिर संतान न होने का उसे दुख नहीं रहा. मुनि ने स्वयं भी उचित समय आने पर वेदांता को शिक्षा दी और सारी ज्ञान विज्ञान की बातें सिखाई. समय पंख लगाकर उडने लगा.

 

देखते ही देखते मां का प्रेम तथा मुनि का स्नेह व शिक्षा प्राप्त करती वेदांता बढते बढते सोलह वर्ष की सुंदर, सुशील व योग्य युवती बन गई. माता को बेटी के विवाह की चिंता सताने लगी. एक दिन उसने मुनि से कह डाला सुनो, अब हमारी वेदांता विवाह योग्य हो गई हैं. हमें उसके हाथ पीले कर देने चाहिए. तभी वेदांता वहां आ पहुंची. उसने अपने केशों में फूल गूंथ रखे थे.

शेखचिल्ली की दुकान

चेहरे पर यौवन दमक रहा था. मुनि को लगा कि उनकी पत्नी ठीक कह रही हैं. उन्होंने धीरे से अपनी पत्नी के कान में कहा मैं हमारी बिटिया के लिए अच्छे से अच्छा वर ढूंढ निकालूंगा. उन्होंने अपने तपोबल से सूर्यदेव का आवाहन किया. सूर्य मुनि के सामने प्रकट हुए और बोले प्रणाम मुनि मुनि, कहिए आपने मुझे क्यों स्मरण किया. क्या आज्ञा है. मुनि ने वेदांता की ओर इशारा करके कहा यह मेरी बेटी है. सर्वगुण सुशील है. मैं चाहता हूं कि तुम इससे विवाह कर लो. तभी वेदांता बोली तात,

 

यह बहुत गर्म है. मेरी तो आंखें चुंधिया रही है. मैं इनसे विवाह कैसे करूं. न कभी इनके निकट जा पाऊंगी, न देख पाऊंगी. मुनि ने वेदांता की पीठ थपथपाई और बोले ठीक हैं. दूसरे और श्रेष्ठ वर देखते हैं. सूर्यदेव बोले मुनिवर, बादल मुझसे श्रेष्ठ है. वह मुझे भी ढक लेता है. उससे बात कीजिए. मुनि के बुलाने पर बादल गरजते लरजते और बिजलियां चमकाते प्रकट हुए. बादल को देखते ही वेदांता ने विरोध किया तात,

सेवा का भाव एक कहानी

यह तो बहुत काले रंग का हैं. मेरा रंग गोरा हैं.

हमारी जोडी नहीं जमेगी. मुनि ने बादल से पूछा तुम्ही बताओ कि तुमसे श्रेष्ठ कौन है.

बादल ने उत्तर दिया पवन. वह मुझे भी उडाकर ले जाता है.

मैं तो उसी के इशारे पर चलता रहता हूं. मुनि ने पवन का आवाहन किया.

पवन देव प्रकट हुए तो मुनि ने वेदांता से ही पूछा पुत्री, तुम्हे यह वर पसंद है.

 

वेदांता ने अपना सिर हिलाया नहीं तात! यह बहुत चंचल है.

एक जगह टिकेगा ही नहीं. इसके साथ गॄहस्थी कैसे जमेगी.

मुनि की पत्नी भी बोली हम अपनी बेटी पवन देव को नहीं देंगे.

दामाद कम से कम ऐसा तो होना चाहिए, जिसे हम अपनी आंख से देख सकें.

मुनि ने पवन देव से पूछा तुम्ही बताओ कि तुमसे श्रेष्ठ कौन है.

 

पवन देव बोले मुनिवर, पर्वत मुझसे भी श्रेष्ठ है. वह मेरा रास्ता रोक लेता है.

मुनि के बुलावे पर पर्वतराज प्रकट हुए और बोले मुनिवर,

आपने मुझे क्यों याद किया. मुनि ने सारी बात बताई.

पर्वतराज ने कहा पूछ लीजिए कि आपकी कन्या को मैं पसंद हूं क्या.

वेदांता बोली ओह, यह तो पत्थर ही पत्थर हैं.

इसका दिल भी पत्थर का होगा.

मुनि ने पर्वतराज से उससे भी श्रेष्ठ वर बताने को कहा तो पर्वतराज बोले चूहा मुझसे भी श्रेष्ठ हैं.

नकल के लिए अक्ल जरूरी

story for kids in hindi, Child story in hindi, वह मुझे भी छेदकर बिल बनाकर उसमें रहता है. पर्वतराज के ऐसा कहते ही एक चूहा उनके कानों से निकलकर सामने आ कूदा. चूहे को देखते ही वेदांता खुशी से उछल पडी तात, तात. मुझे यह चूहा बहुत पसंद है. मेरा विवाह इसी से कर दीजिए. मुझे इसके कान और पूंछ बहुत प्यारे लग रहे हैं. मुझे यही वर चाहिए. मुनि ने मंत्र बल से एक गिलहरी को तो मानवी बना दिया, पर उसका दिल तो गिलहरी का ही रहा. मुनि ने वेदांता को फिर गिलहरी बनाकर उसका विवाह गिलहरे से कर दिया और दोनों को विदा किया.

 

2- गिलहरी और कबूतर की मोरल कहानी :- story for kids in hindi

वह गिलहरी देखती है कि पेड़ पर ही कबूतर बैठा हुआ है और वह कबूतर बीमार लग रहा है गिलहरी उसकी मदद करने के लिए उसके पास जाती है और कहती है कि मुझे लगता है कि तुम बीमार हो गए कबूतर कहता है कि आज मैं उड़ रहा था और मैं एक पेड़ पर जाकर बैठ गया वहां पर मुझे घायल होना पड़ा

बच्चों के ज्ञान की कहानी

जिसकी वजह से मेरी तबीयत बहुत अधिक खराब हो गई है और मुझे आज खाने को भी नहीं मिल रहा था यह सुनकर गिलहरी को बहुत दुख होता है वह कहती है कि मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूं क्योंकि मुझे लगता है कि तुम बहुत ही अच्छे कबूतर हो और मुझे इस बात का भी ज्ञान है कि जब भी मुझे जरूरत पड़ती है तुम मेरी हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते हो और आज तुम्हें जरूरत है तो इसलिए मुझे भी मदद करनी होगी है

 

यह बात सुनकर कबूतर कहता है कि मुझे बहुत अधिक प्यास लगी है और खाने को भी मुझे कुछ नहीं मिला है अगर तुम मेरी मदद करना चाहती है तो मेरे खाने की व्यवस्था कर दो जिससे कि मेरी तबीयत जल्दी ठीक हो जाए गिलहरी अपने दोस्तों से बात करती है और कबूतर के लिए सभी जरूरी सामान का इंतजाम कर देती है जिससे कि वह जल्दी ठीक हो जाए कबूतर देखता है कि वह एक गिलहरी उसकी मदद कर रही है और उसकी सेवा कर रही है

छोटा भीम और जादूगरनी

जबकि वह ऐसा नहीं कर सकती थी लेकिन फिर भी वह जानते हैं कि कबूतर को उसकी जरूरत है और इसलिए वह उसकी मदद करनी है कबूतर यह देखकर बहुत खुश होता है क्योंकि बहुत अधिक गिलहरियां भी इसी काम में लगी हुई है ऐसा लगता है मानो कबूतर कोई राजा हो और गिलहरी उसकी सेना हो जिस तरह से सेना राजा की रक्षा करती है इसी तरह सभी गिलहरी मिलकर कबूतर की रक्षा कर रही थी और उसकी सेवा भी कर रही थी

 

कुछ दिन बाद जब कबूतर ठीक हो जाता है और कहता है कि तुमने मेरी बहुत मदद की है.  मुझे नहीं लगता था कि कोई मेरी मदद कर पाएगा लेकिन आज मैंने देखा कि तुम गिलहरी होकर भी तुमने मेरी बहुत मदद की गिलहरी कहती है कि एक दूसरे की मदद करनी चाहिए जरूरत पड़ने पर उसका साथ देना चाहिए यही जिंदगी है

राजा के खजाने की कहानी

story for kids in hindi, Child story in hindi, इसलिए अगर हम एक दूसरे की मदद करते हैं तो इससे दूसरे के जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर कर सकते हैं आज कबूतर को यह बात पता चल गई थी कि गिलहरी उसकी बहुत अच्छे दोस्त बन गई है इसकी वजह से वह ठीक भी हो पाया, जीवन में सभी की मदद करना बहुत जरूरी होता है 

Read More child story in hindi :- 

छोटा भीम और जादूगरनी

छोटा भीम और जादूगरनी

जलपरियों की कहानी

सबसे गरीब कौन एक कहानी

जल परी की कहानी

ऊंट और सियार की कहानी

भगत बत्तख की कहानी

मंद बुद्धि की कहानी

मोटू पतलू और चिराग

सोनू के हाथी की कहानी

गुरु और चेले की कहानी

राजा और सेवक की कहानी 

दरबारियों की परीक्षा

मोटू पतलू और नगर की सफाई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.