stories in hindi
यह सही सोच की कहानी भाग तीन (stories in hindi) पढ़ रहे है, अगर आपने पहले दो भाग नहीं पढ़े है तो आप उन्हें भी पढ़ सकते है, हम यहां पर पहले दो भाग के बारे में थोड़ा बता देते है जिससे आपको यह कहानी समझ में आ सके,
सही सोच की कहानी भाग तीन : stories in hindi
सेवत अपनी मर्जी का काम करना चाहता था लेकिन उसके पिताजी के बहुत ज्यादा खेती थी इसलिए वह यही चाहते थे की सेवत उनके खेती का काम करना सीख ले, लेकिन सेवत को खेती करना पसंद नहीं था, इसलिए वह हर रोज एक बात सुनकर परेशान हो गया था तभी वह घर छोड़कर चला जाता है,
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इस तरह वह एक शहर में सेठ से मिलता है सेठ बहुत ही अच्छा आदमी है, इसलिए वह उसे अपने साथ काम पर रख लेता है कुछ दिन बाद सेठ की पत्नी कहती है की हमे सेवत के साथ अपनी लड़की का विवाह कर देना चाहिए, सेठ यह बात सुनता है और सेवत को कहता है की तुम्हे मेरे साथ चलना चाहिए में तुम्हे अपने घर पर ले जाना है घर की बात सुनकर सेवत डर जाता है, अब हम आगे पढ़ते है,
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सेठ की गाडी गांव में दाखिल हो गयी थी, सभी गांव वाले गाडी की और देख रहे थे, उधर सेवत को बहुत डर लग रहा था उसे अजीब तरह से देख सेठ बोला की तुम्हे क्या परेशानी है सेवत ने कहा की आज में बहुत साल बाद घर पर आ रहा हु, और मुझे डर भी बहुत लग रहा है, इसलिए थोड़ा परेशान हु, सेठ बोला की तुम्हे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,
बाते करते हुए सेठ और सेवत घर पहुंच गए थे, गाडी सेवत के घर के सामने रुकी और सेवत ने घर का दरवाजा खटखटाया और अंदर से सेवत की माँ ने दरवाजा खोला सेवत को बहार खड़ा हुआ देखकर सेवत की माँ बहुत खुश हो गयी थी, लेकिन जब उसकी माँ ने सेवत के साथ एक आदमी को देखा तो पूछा यह कौन है, सेवत ने बताया की मेरे सेठ है जो आप सभी से मिलने आये है,
दोनों अंदर आ चुके थे और आराम कर रहे थे तभी सेवत के पिताजी आ गए थे, सेवत को देखकर वह बहुत खुश हुए थे, मगर वह उस आदमी को नहीं जानते थे उन्होंने पूछा की यह कौन है सेवत ने बताया की जिनके यहां पर में काम करता हु यह मेरे सेठ जी है, पिताजी ने सबके लिए अच्छे पकवान का इंतजाम किया और सेठ ने सेवत के पिताजी से पूछा की आप से मुझे कुछ बात करनी है,
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सेवत के पिताजी ने कहा की आप कह सकते है सेठ बोला की में बात को घुमाकर नहीं कहता हु बल्कि मेरा मानना यह है की हमे बात को सीधे ही कहना चाहिए सेवत के पिताजी कुछ भी समझ नहीं पा रहे थे, तभी सेठ बोला की मुझे आपका लड़का चाहिए सेवत के पिताजी कुछ भी नहीं समझे थे, तभी सेठ बोला की में अपनी लड़की का विवाह आपके लड़के के साथ करना चाहता हु अगर आपकी इजाजत हो, सेवत के पिताजी ने कहा की आप बहुत बड़े आदमी है,
में तो एक किसान हु, अगर आप ऐसा सोचते है तो आप कर सकते है, आपने अगर ऐसा सोचा है तो कुछ सोचकर ही सोचा होगा, मगर एक बात में यहां पर बताना चाहता हु की मेरा लड़का इतना काबिल नहीं है जितना आप सोच रहे है, सेठ बोला की मेने उसके साथ बहुत समय बिताया है इसलिए मुझे लगता है की वह ठीक है, सेवत के पिताजी को अच्छा लग रहा था,
सेठ बोला की हमे फिर शादी की तयारी करनी चाहिए जबकि सेवत के पिताजी ने कहा की आप एक बार और सोच लीजिये हम बहुत छोटे आदमी है, सेठ बोला की छोटा या बड़ा कुछ नहीं होता है, यह तो इंसान की अपनी सोच पर निर्भर करता है हम जैसा सोचते है वैसे बन जाते है, अगर घमंड को पास में लाते है तो वह हमारे पास आ जाता है, इसलिए ऐसी कोई भी चीज जो हमे नुक्सान पहुचाये हमे पास में नहीं लानी चाहिए,
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सेठ की बातो में बहुत कुछ छुपा हुआ था सेवत के पिताजी को लग रहा था की सेठ बहुत अच्छा आदमी है अगर उसकी यह आदत सभी में आ जाए तो दुनिया में कभी कोई किसी का बुरा न सोचे, मगर ऐसा होना थोड़ा मुश्किल है, हमे भी लगता है की सेठ सही सोचता है कोई इस दुनिया में सभी समान है कोई बड़ा या छोटा नहीं है,
इसके बाद सेठ वहा से जाने को कहता है और सेवत को अपने साथ में ले जाता है जिससे कुछ तयारी कर पाए उधर सेठ की पत्नी अपनी लड़की से पूछती है की तुम्हे सेवत पसंद है या नहीं क्योकि सेठ की पत्नी ज्यादा कुछ नहीं जानती है, सेठ की लड़की शादी के लिए मान जाती है अब सेठ की पत्नी सब कुछ समझ जाती है, कुछ देर बाद सेठ वहा पर आ जाता है,
सेठ अपनी पत्नी को बुलाता है और सारी बात अपनी पत्नी को बता देता है, सेठ की पत्नी कहती है की लड़की भी शादी के लिए मान गयी है, सेठ को बहुत अच्छा लगता है और सेठ शादी की तयारी करना शरू कर देता है सेठ सेवत से कहता है की तुम्हे अब घर पहुंचना चाहिए और बाकी की तयारी करके में तुम्हे बता दूंगा और तुम्हे भी तयारी करनी चाहिए,
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सेवत घर पर जाता है और अपने पिताजी से कहता है की सेठ जी ने वहा पर तयारी शुरू कर दी है, और आपसे कहा की आप भी यहां पर तयारी करवाए, सेवत की माँ बहुत खुश होती है इस ख़ुशी में वह यह भी भूल जाते है की सेवत यहां से चला गया था, और दोनों तरफ से शादी कितयारी हो जाती है, कुछ दिन बाद सेवत की शादी हो जाती है, सेवत सेठ जी के यहां पर काम करता है और सेठ को भी बहुत अच्छा लगता है क्योकि वह अपनी लड़की को हर रोज देखता है, इस तरह सेवत की यह कहानी यहां तक आएगी यह पता नहीं था मगर जब सब कुछ अच्छा होता है तो सब अच्छा है,
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